Hemophilia Disease: पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है यह बीमारी, लेकिन धनबाद में मरीजों को अब निशुल्क मिलेंगी महंगी दवाएं
शहीद निर्मल महतो मेमोरियल कॉलेज एवं अस्पताल में अब हीमोफीलिया के मरीजों के लिए निशुल्क दवाएं मिलेंगी। महंगी दवा के कारण हीमोफीलिया के मरीज बाहर से दवा नहीं खरीद पा रहे थे। अब दवा के लिए अस्पताल प्रबंधन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।

जागरण संवाददाता, धनबाद: शहीद निर्मल महतो मेमोरियल कॉलेज एवं अस्पताल में अब हीमोफीलिया के मरीजों के लिए निशुल्क दवाएं मिलेंगी। महंगी दवा के कारण हीमोफीलिया के मरीज बाहर से दवा नहीं खरीद पा रहे थे। अब दवा के लिए अस्पताल प्रबंधन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर एके वर्णवाल ने बताया कि हीमोफीलिया के मरीजों के लिए अस्पताल में निशुल्क दवाएं दी जाएंगी। इसके लिए निविदा की प्रक्रिया जारी है। प्रबंधन यह कोशिश कर रहा है कि जल्द प्रक्रिया पूरी हो जाए, ताकि हीमोफीलिया के गंभीर मरीज को बाहर से लगा करने की जरूरत ना पड़े। अस्पताल प्रबंधन 2 वर्षों के लिए दवा खरीद रहा है, ताकि मरीजों को निर्बाध रूप से दवा मिलती रहे। अस्पताल में फिलहाल 70 मरीज सूचीबद्ध हैं, जिनका समय समय पर इलाज चल रहा है।
संताल परगना से सबसे ज्यादा आते हैं हीमोफीलिया के मरीज: अधीक्षक ने बताया कि हीमोफीलिया के सबसे ज्यादा मरीज संताल परगना क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल हीमोफीलिया को लेकर शोध जारी है। अस्पताल में हीमोफीलिया के लिए अलग वार्ड तैयार किया गया है। यहां आने वाले मरीजों को ब्लड बैंक से रक्त उपलब्ध कराने का निर्देश है। इसके लिए किसी भी प्रकार के डोनर अथवा एक्सचेंज की आवश्यकता नहीं है। इससे पहले 2020 में हीमोफीलया के मरीजों के लिए दवा शुरू कराई गई थी, लेकिन कुछ दिनों में ही दवा खत्म होने से मरीज बाहर से दवा खरीदने लगे।
एक बार बहना शुरू हो तो फिर रुकता नहीं है खून: डॉक्टर वर्णवाल ने बताया कि हीमोफीलिया एक प्रकार का अनुवांशिक रोग है। यह बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी चल सकती है। इस बीमारी में सबसे गंभीर बात यह है कि यदि शरीर में किसी भी प्रकार का चोट लग जाए, रक्त स्राव होने लगे तो रुकता नहीं है। खून को थक्का बनाने के लिए प्लेटलेट्स की भूमिका बेहद अहम होती है, लेकिन हीमोफीलिया के मरीजों में प्लेटलेट्स नहीं होते हैं। ऐसे में इस प्रकार के मरीज को यदि चोट लग जाए तो रक्तस्राव रोकना बहुत बड़ी चुनौती होती है। इसके अलावा ऐसे मरीजों को गंभीर होने पर खुद से नाक से ब्लीडिंग होने लगती है। बिना किसी चोट के भी रक्तस्राव होते हैं, जिससे शरीर में खून की कमी हो जाती है और मरीज की स्थिति बिगड़ती जाती है। इसकी दवा की कीमत काफी महंगी होती है। एक मरीज को प्रति महीना लगभग 2000 रुपये तक का दवा खाना पड़ता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।