Jharkhand Municipal Elections: सीएम ने पलटा रघुवर सरकार का फैसला, गैर दलीय होगा धनबाद, चास और देवघर नगर निगम का चुनाव; जानें राजनीतिक वजह
Jharkhand Municipal Elections नगर निकायों के चुनाव दलीय आधार पर नहीं होंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने पूर्व की रघुवर दास सरकार के फैसले को पलट दिया है। यह निर्णय मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में हुआ। अब धनबाद चास और देवघर नगर निगम के चुनाव गैर दलीय होंगे।

जागरण संवाददाता, धनबाद। धनबाद, चास और देवघर नगर निगम के चुनाव दलीय आधार पर नहीं होंगे। इसके साथ ही झारखंड के सभी नगर निकायों के चुनाव गैर दलीय आधार पर होंगे। इस बाबत झारखंड की हेमंत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मंगलवार को रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में पूर्व की भाजपा सरकार ( रघुवर दास सरकार) के फैसले को पलट दिया गया। कैबिनेट ने नगरपालिका संशोधन अधिनियम को स्वीकृति प्रदान कर दी है। दलीय आधार के बजाय गैर दलीय आधार पर नगर निकायों का चुनाव कराने का निर्णय लिया गया। अब पुरानी व्यवस्था फिर से लागू होगी जो 2018 से पहले लागू थी। मेयर का चुनाव सीधे होगा, जबकि डिप्टी मेयर का चयन चुने हुए वार्ड पार्षद अपने बीच से किसी एक को करेंगे।
नगरपालिका संशोधन अधिनियम से संबंधित प्रस्ताव
नए प्रस्ताव के अनुसार राज्य के नगर निकायों में अब दलगत आधार पर मेयर अथवा अध्यक्ष का चुनाव नहीं होगा। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने नगरपालिका अधिनियम-2018 में संशोधन कर दिया है। पूर्व के नियम को अपनाते हुए सरकार ने तय किया है कि मेयर का चयन दलगत आधार के बगैर होगा। मतलब यह कि उम्मीदवारों को पार्टी का सिंबल नहीं मिलेगा। इसी प्रकार डिप्टी मेयर अथवा उपाध्यक्ष का चुनाव सीधे नहीं होगा बल्कि निर्वाचित वार्ड पार्षदों के बीच से किसी एक का चयन वार्ड पार्षद ही करेंगे। वार्ड पार्षदों का निर्वाचन होने के बाद इसके लिए अलग से तिथि निर्धारित कर चुनाव कराया जाएगा।
राज्य सरकार के पास होगी मेयर को हटाने की शक्ति
संशोधित एक्ट के अनुसार अगर मेयर अथवा अध्यक्ष लगातार तीन से अधिक बैठकों में बिना पर्याप्त कारण के अनुपस्थत रहते हैं अथवा जानबूझकर अपने कर्तव्यों की अनदेखी करते हैं तो उन्हें राज्य सरकार हटा सकेगी। इसके अलावा शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम होने की स्थिति में भी अथवा किसी आपराधिक मामले में छह माह से अधिक फरार होने अथवा दोषी करार होने के बाद बाद राज्य सरकार स्पष्टीकरण पूछेगी एवं समुचित अवसर देने के बाद आदेश पारित कर हटा सकेगी। एक बार हटाए गए अध्यक्ष अथवा महापौर को पूरे कार्यकाल के दौरान फिर से अध्यक्ष के रूप में निर्वाचन की पात्रता नहीं होगी।
चुनाव की तैयारी में लगे राजनीतिक दलों को लगा झटका
हेमंत सरकार के फैसले से सभी राजनीतिक दलों को झटका लगा है। भाजपा, कांग्रेस समेत ज्यादातर दल चुनाव की तैयारी में लगे थे। गैर दलीय आधार पर चुनाव होने से राजनीतिक दल चुनाव मैदान से बाहर हो गए हैं। नगर निकाय चुनावों में राजनीतिक दलों की भूमिका सीमित हो जाएगी। साल 2018 के पहले की तरह नगर निकाय चुनाव में प्रत्याशी निर्दल खड़े होंगे। चुनाव परिणाम आने के बाद राजनीतिक दलों के लिए न तो कुछ उछलने के लिए होगा और न ही हतोत्साहित होने का कारण।
इन नगर निकायों में होने हैं चुनाव
धनबाद, चास और देवघर नगर निगम समेत 14 नगर निकायों में चुनाव लंबित है। यहां मई, 2020 में ही चुनाव होना था, पर कोरोना के कारण टल गया। निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों को निर्वाचित पदाधिकारियों के दायित्व की जिम्मेदारी दे दी गई। 14 में 6 नगर निकाय वैसे हैं, जो हाल में बने हैं और वहां पहली बार चुनाव होने हैं। नवसृजित नगर निकायों के नाम हैं-गोमिया, बड़की सरिया, धनवार, हरिहरगंज, बचरा और महागामा।
2018 में 34 निकायों के हुए थे चुनाव, 20 में भाजपा की जीत
राज्य में 2018 से पहले नगर निकायों के चुनाव गैर दलीय आधार पर ही होते थे। रघुवर सरकार के दौरान 2018 में नगरपालिका अधिनियम में संशोधन कर यह चुनाव दलीय आधार पर कराने का फैसला लिया गया। इसके तहत नगर निगम के मेयर-डिप्टी मेयर, नगर परिषद के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष और नगर पंचायत के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद का चुनाव दलीय आधार पर कराने का प्रावधान था। 2018 में 34 नगर निकायों के चुनाव हुए और 20 पर भाजपा का कब्जा हो गया। कांग्रेस ने तीन, झामुमो ने तीन, आजसू ने दो निकायों पर कब्जा जमाया। वहीं झाविमो को दो निकायों में दो सीटें मिलीं। दिलचस्प यह रहा कि रांची, मेदिनीनगर, हजारीबाग, गिरिडीह और आदित्यपुर नगर निगम चुनाव में मेयर-डिप्टी मेयर के सभी पदों पर भाजपा का कब्जा हो गया।
कोरोना के कारण चुनाव लंबित
8 नगर निकायों का कार्यकाल मई, 2020 में पूरा हो चुका है। उनमें धनबाद, देवघर, चास, चक्रधरपुर, झुमरी तिलैया, विश्रामपुर, कोडरमा और मझियांव नगर निकाय शामिल हैं। कोरोना की पहली लहर के कारण मई 2020 में चुनाव स्थगित कर दिया गया था।
फैसले को पलटने की पीछे की वजह
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपना चेहरा बचाने के लिए पूर्व की रघुवर सरकार के फैसले का पलटा है। दरअसल, झामुमो की पकड़ शहरी क्षेत्रों में मजबूत नहीं है। नगर निकाय चुनाव शहरी क्षेत्र में होते हैं। यहां भाजपा का दबदबा है। चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में जाने पर सरकार के काम-काज को लेकर सवाल उठाए जाते। भाजपा को हमला करने का माैका मिलता। इसलिए हेमंत सरकार ने पुरानी व्यवस्था को ही कायम करने का निर्णय लिया है। गैर दलीय आधार पर चुनाव होने के कारण कोई भी राजनीतिक दल श्रेय नहीं ले सकेगी।

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