Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जिस औलाद को कलेजे की टुकड़े की तरह पाला, उसी ने कर दिया बेघर; भावुक कर देगी इन बुजुर्गों की कहानी

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 07:16 PM (IST)

    धनबाद में वृद्ध माता-पिता की दर्दनाक कहानियाँ सामने आई हैं जहां उन्हें उनके अपने बच्चे वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं। सावित्री देवी और पुष्पा रानी जैसी महिलाओं को अपने बेटों द्वारा त्याग दिया गया। अस्पतालों में बुजुर्गों के लिए उचित व्यवस्था नहीं है और कई लावारिस हालत में पाए जाते हैं। जिले में लगभग 3.50 लाख बुजुर्ग हैं जिनमें डिप्रेशन आम है।

    Hero Image
    धनबाद में बुजुर्ग वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर। फोटो जागरण

    मोहन गोप, धनबाद। कहते हैं भगवान के बाद दूसरा रूप मां बाप का होता है। मां बाप हमें जन्म ही नहीं देते, बल्कि पाल-पोस कर काबिल बनते हैं, ताकि बच्चे उनके बुढ़ापे का सहारा बने। उनके बुरे समय में उनके साथ खड़े रहे, लेकिन भाग दौड़ और दिखावे की जिंदगी इस रिश्ते को भी शर्मसार कर रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कई ऐसे बुजुर्ग हैं जिनके भरे पूरे परिवार होने के बाद भी अपनी जीवन वृद्ध आश्रम में गुजर रहे हैं। लालमणि वृद्ध आश्रम में जानते हैं कई ऐसे ही बुजुर्ग की कहानी।

    सावित्री के पांच बेटे, लेकिन बन गई बेसहारा

    कतरास की रहने वाली 86 वर्षीय सावित्री देवी के पांच बेटे हैं। पांचो बेटे अपने पैर पर खड़े हैं और घर परिवार चला रहे हैं। सावित्री देवी बताती है जीवन भर जिसके लिए मर मिटे, पेट काट कर पढ़ाया लिखाया, आज उन बेटे ने ही उन्हें अलग कर दिया, मां का कर्ज भूल गए, मजबूरी में वृद्धा आश्रम में जाकर रहना पड़ रहा है।

    पुष्पा रानी के चार बेटे भी कोई काम के नहीं

    जामाडोबा की रहने वाली 70 वर्षीय पुष्पा रानी बच्चों के नाम सुनकर उदास हो जाती है। कहती है बच्चों के लालन पालन में सारी उम्र गुजार दी। लगा कि बुढ़ापे में सभी शहर बनेंगे। पति की मौत के बाद अचानक बच्चे के व्यवहार में बदलाव आ गया। कोई भी बेटा मुझे रखने को तैयार नहीं हुआ। आज किसी तरीके से वृद्धा आश्रम में जीवन गुजर रही हूं। यहां पर अपनापन मिला।

    रिश्तेदार भी नहीं बने सहारा

    हीरापुर के रहने वाले 65 वर्षीय अजीत लंबे समय से यहां रह रहे हैं। बताते हैं एकमात्र बेटे का निधन हो गया। पत्नी भी चल बसी। जिस रिश्तेदार के लिए हमेशा मदद के लिए तैयार रहता था, अंतिम समय में अब वह भी साथ नहीं दे रहे हैं। सबने अपना अपना रंग दिखा दिया है।

    सरकारी अस्पतालों में भी निर्देश का पालन नहीं

    सुप्रीम कोर्ट और स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के बावजूद धनबाद के सरकारी अस्पताल में बुजुर्ग लोगों के लिए बेहतर चिकित्सा की व्यवस्था नहीं है। शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बुजुर्गों के लिए वार्ड बनाया गया है, लेकिन कई बुजुर्ग व्यवस्था से काफी नाराज हैं।

    यही स्थिति लावारिस वार्ड की भी है। हर दिन कोई ना कोई अपने बुजुर्ग माता-पिता को अस्पताल छोड़ जा रहा है। 24 सितंबर 2024 को यहां फुलेश्वर भुइया को उनके घर वाले ने लावारिस अवस्था में छोड़कर फरार हो गए।

    तब से अस्पताल के आसपास भटक कर फुलेश्वर किसी तरीके से रह रहा है। अब अस्पताल प्रबंधन की नजर पड़ी है और भर्ती करने की तैयारी कर रहा है।

    धनबाद में 3.50 लाख बुजुर्ग

    जिला स्वास्थ्य विभाग की माने तो धनबाद में लगभग 3.50 लाख बुजुर्गों की संख्या है। इसमें सबसे ज्यादा संख्या 60 वर्ष से लेकर 80 वर्ष के बीच की है। अब स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे बुजुर्गों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवा शुरू की जा रही है।

    बताया जाता है अकेलेपन के कारण बुजुर्गों में डिप्रेशन की स्थिति सबसे ज्यादा हो रही है। कोरोना संक्रमण काल के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित बुजुर्ग भी हुए हैं।

    यह एक सामाजिक बुराई तेजी से बढ़ रही है। इसके लिए सोचना होगा जिस मां-बाप ने पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया। आज उन्हें त्याग दिया जा रहा है। इसके लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है। कि हम अपने बुजुर्गों और माता-पिता का सम्मान करें। अस्पताल में इसके लिए काउंसलिंग की व्यवस्था है। -डॉ. सीके सुमन, वरीय अस्पताल प्रबंधक, एसएनएमएमसीएच।