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    1911 से रह रहे परिवार विस्थापन को मजबूर, 30,000 लोगों के लिए 'कुआं और खाई' की स्थिति; जहरीली गैस से दो मौतें

    By Mohan Kumar GopeEdited By: Nishant Bharti
    Updated: Sat, 06 Dec 2025 02:19 PM (IST)

    धनबाद के केंदुआडीह में भूगर्भीय गैस रिसाव से राजपूत बस्ती के 30,000 लोग प्रभावित हैं। 1911 से रह रहे परिवार विस्थापन को मजबूर हैं, क्योंकि उनके घरों क ...और पढ़ें

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    केंदुआडीह का राजपूत बस्ती

    डॉ. मोहन गोप, धनबाद। धनबाद मुख्यालय से महोत्सव किलोमीटर की दूरी पर स्थित है केंदुआडीह का राजपूत बस्ती। इसी बस्ती के 53 वर्षीय लाल बहादुर सिंह अपनी पत्नी और बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर मायूस है। दो बच्चे और पत्नी भूगर्भीय गैस से प्रभावित होकर अस्पताल में बीमार है। 

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    लाल बहादुर अपने घर के आंगन से निकलते गैस के धुएं को देखते हैं। तो कभी बाथरूम के बगल से निकलते गैस से परेशान है। कहते हैं धीरे-धीरे गैस घर के चारों ओर घेरा बना चुकी है। एक-एक कर घर जमीदोज डोज हो रहे हैं। 

    आज बेटे सूरज सिंह और बेटी आंचल और पत्नी मिनी बाला देवी अस्पताल से घर लौटेगी। अब चिंता है कि घर की इस हालत में फिर सब कैसे रहेंगे। यह केवल लाल बहादुर सिंह की चिंता नहीं है। बल्कि राजपूत बस्ती में रहने वाले लगभग 30000 लोग भविष्य को लेकर चिंतित हैं। 

    अभी तक दो महिलाओं की मौत

    एक ओर जान का खतरा है, बस्ती से अभी तक दो महिलाओं की मौत हो गई है, तो दूसरी और रोजगार की चिंता है। लाल बहादुर कहते हैं यहां से विशेषण प्रबंधन बेलगढ़िया टाउनशिप शिफ्ट करने को कहा है। 

    लेकिन वहां रोजगार के कोई साधन नहीं है। ऐसे में आखिर वहां लोग कैसे जाएंगे। हम लोगों के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई हो गई है।

    हम लोग रैयत, 1911 से रह रहा परिवार 

    लाल बहादुर घर के कागजात दिखाते हैं। बताते हैं बस्ती के लोग यहां 1911 से रह रहे हैं। उसे समय यहां कुछ भी नहीं था। सभी ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन था। लेकिन कभी भी सरकार और बीसीसीएल प्रबंधन की ओर से पहल नहीं की गई। 

    रोजगार और विस्थापन को लेकर वर्ष 1984 में बहुत हंगामा और आंदोलन किया गया। इसके बाद प्रबंधन की नींद नहीं खुली। आज गैस के वजह से लोगों की जान जा रही है। तब जाकर सरकार और प्रशासन शिफ्ट करने की बात कर रहा है।

    302 घर चिन्हित, अब संख्या 500 से ऊपर 

    कंपनी प्रबंधन की ओर से 2010-11 में यहां पर 302 घरों को चिन्हित करके इसे विस्थापन करने की कोशिश की गई थी। लेकिन रोजगार की व्यापक व्यवस्था नहीं होने के वजह से यह शिफ्टिंग का काम नहीं हो पाया। अब लगभग आसपास मिलकर 500 से ज्यादा घर हैं। और यह सभी प्रभावित हैं। लगभग 25000 की आबादी है। 

    तीन जगह से गैस रिसाव, एक दर्जन से ज्यादा घर ध्वस्त हो चुके 

    राजपूत बस्ती में अभी तीन जगह से गैस रिसाव हो रहा है। दो जगह पर कंपनी प्रबंधन की ओर से मिट्टी डालकर भर गया है। जबकि एक जगह पर सर्वे चल रहा है। लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है की कम से कम 10 जगह पर छोटे-मोटे गैस रिसाव हो रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों की मानें तो तो यह कार्बन मोनोऑक्साइड है। यह दम घोटने वाला होता है। 

    वातावरण जहरीला, मुख्य सड़क पर आ रही तीव्र गंध 

    राजपूत बस्ती से निकलने वाला जहरीला गैस बढ़ता जा रहा है। केंदुआ - धनबाद मुख्य मार्ग से गुजरने पर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। तीव्र गंध महसूस किया जा सकता है। यही कारण है कि आसपास सभी दुकान बंद हो गए हैं। जाने वाले लोग मास्क का प्रयोग कर रहे हैं।

    नेताओं के प्रति लोगों में काफी गुस्सा 

    राजपूत की बस्ती के लोगों में नेताओं के प्रति काफी गुस्सा है। सांसद और विधायक को भी लोग कोस रहे हैं। राजू सिंह, विनय और धर्मेंद्र सिंह बताते हैं कि चुनाव के समय वोट मांगने के लिए नेता यहां आते हैं और जीत जाने के बाद कोई नहीं देखने आ रहे हैं। 

    कई वर्षों से लोग यहां विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। लेकिन किसी भी पार्टी के नेताओं को इससे कोई मतलब नहीं है।