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    Gangs of Wasseypur: वासेपुर में सिर्फ गोलियों की तड़तड़ाहट नहीं, शायर भी हैं लाजवाब

    By Atul SinghEdited By:
    Updated: Wed, 22 Dec 2021 01:11 PM (IST)

    धनबाद के वासेपुर में सिर्फ गोलियों की तड़तड़ाहट नहीं है। यहां ऐसे उर्दू शायर भी हैं जिनकी बुक सीरीज देश-विदेश में चर्चा-ए-आम हो चुकी हैं। प्रसिद्धि क ...और पढ़ें

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    धनबाद के वासेपुर में सिर्फ गोलियों की तड़तड़ाहट नहीं है। यहां ऐसे उर्दू शायर भी हैं,

    जागरण संवाददाता, धनबाद : धनबाद के वासेपुर में सिर्फ गोलियों की तड़तड़ाहट नहीं है। यहां ऐसे उर्दू शायर भी हैं, जिनकी बुक सीरीज देश-विदेश में चर्चा-ए-आम हो चुकी हैं। प्रसिद्धि का आलम ऐसा है कि इनकी किताबों के प्रकाशन में आर्थिक सहयोग भी मिल रहा है। राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद दिल्ली ने धनबाद के शायर अहमद निसार की नई किताब सरहाने मीर के की छपाई के लिए आर्थिक सहयोग देने की घोषणा की है। राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद से अहमद निसार को अबतक चार किताबों के छपाई के लिए आर्थिक सहयोग मिल चुका है। इनमें वर्ष 2015 में बर्गे उम्मीद, 2016 में हवा के हाथ और 2019 में मौसम खिलाफ था। इस खबर से उर्दू साहित्य प्रेमियों ने खुशी का इजहार करते हुए अहमद निसार को मुबारकबाद दी है। उल्लेखनीय है कि अहमद निसार के संपादन में त्रैमासिक उर्दू पत्रिका आलमी फलक ने देश-विदेश में अपनी पहचान बना ली है। आलमी फलक का प्रकाशन धनबाद के वासेपुर से हो रहा है। आलमी फलक एक बुक सीरीज है और पूरे भारत में इसकी धूम है। विदेशी रचनाओं को भी इस पुस्तक में शामिल किए जाने से इसकी गूंज दूर देश के साहित्य प्रेमियों तक सुनाई दे रही है।

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    आलमी फलक झारखंड से निकलने वाला बेहतरीन रसाला

    हाल ही अहमद निसार ने डा अल्लामा इकबाल की जयंती के मौके पर त्रैमासिक उर्दू पत्रिका आलमी फलक का चौथा अंक जारी किया था। उर्दू साहित्य के दिग्गजों में मुस्तनसर हुसैन तारड़, मुशर्रफ आलम जौकी, प्रो मनाजिर आशिक हरगानवी, शमोएल अहमद, हुसैन उल हक, अलीमउल्लाह हाली, जया फारूकी, डा रऊफ खैर, हाफिज कर्नाटकी, हक्कानी अल कासमी, असीम काव्यानी वगैरह ने आलमी फलक को झारखंड से निकलने वाला बेहतरीन रसाला बताया है। प्रो मनाजिर आशिक हरगानवी का कहना है कि झारखंड से इस उच्चकोटि की और 320 पेज की यह पहली किताब है। प्रो शमीम कासमी एवं इजहार खिजर का कहना है कि आलमी फलक के संपादक अहमद निसार अच्छे शायर हैं। उनके तीन गजल संग्रह मौसम खिलाफ था, हवा के हाथ और बरगे उम्मीद की छपाई का भार राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद ने उठाया है और उर्दू एकाडमियों ने भी सम्मानित किया है। बीबीएमकेयू के प्रो अब्दुल मतीन (हेड उर्दू विभाग) का कहना है कि अहमद निसार के संपादन में आलमी फलक के अब तक के सभी अंक लाजवाब और बेमिसाल हैं। इनको उर्दू अदब के नामवर कलमकारों का सहयोग मिल रहा है।