Four Labour Codes: नए श्रम कानूनों के विरोध में सीटू का संग्राम, मानव श्रृंखला बना किया विरोध, मोदी सरकार का पुतला दहन
CITU: झारखंड प्रदेश सीटू सम्मेलन में चार नए श्रम कानूनों के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया। सीटू इन कानूनों को श्रमिक विरोधी मानती है और राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है। सम्मेलन में श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने और उनके हितों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

धनबाद में मानव श्रृंखला बनाकर चार नए श्रम कानूनों का विरोध करते सीटू कार्यकर्ता। (फोटो जागरण)
जागरण संवाददाता, धनबाद। केंद्र सरकार ने देश के श्रम कानूनों में बड़े बदलाव करते हुए 29 पुरानी श्रम व्यवस्थाओं को खत्म कर चार नए लेबर कोड लागू किए हैं। इसका भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़े मजदूर संगठन CITU-Centre of Indian Trade Unions (भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र) ने विरोध किया है।

धनबाद में चल रहे भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीटू) के तीन दिवसीय आठवें राज्य सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को चार नए लेबर कोड के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया। दूसरी ओर, नई श्रमशक्ति नीति 2025 एवं चार श्रम संहिता (लेबर कोड) के विरोध में एक किलोमीटर लंबा मानव श्रृंखला बनाकर मोदी सरकार का पुतला दहन किया गया। नेतृत्व सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन ने किया।
सीटू के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य तपन सेन ने शनिवार को कोयला नगर गेस्ट हाउस में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई चार लेबर कोड से श्रमिकों को भारी परेशानी होगी। यह कानून पूरी तरह से पूंजीपतियों के हित में बनाया गया है।
इस मुद्दे पर 26 नवंबर से देशव्यापी आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि एमडीओ माडल के तहत खदानों का संचालन निजीकरण से भी अधिक खतरनाक साबित होगा। इससे देश की खनन व्यवस्था पूरी तरह पूंजीपतियों के हाथ में चली जाएगी। केंद्र सरकार कारपोरेट घरानों के इशारे पर काम कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि आउटसोर्सिंग कंपनियों पर ईडी की कार्रवाई महज दिखावा है। आज तक किसी भी कार्रवाई का ठोस परिणाम सामने नहीं आया। मौके पर राष्ट्रीय सचिव सुदीप दत्ता एवं राज्य सचिव मानस चटर्जी उपस्थित थे। प्रतिनिधि सत्र की अध्यक्षता भवन सिंह, प्रकाश विप्लव, सुरेश प्रसाद गुप्ता, सुंदरलाल महतो, एवं पूनम कुमारी ने संयुक्त रूप से की।
राज्य महासचिव विश्वजीत देव द्वारा पेश राजनीतिक-सांगठनिक प्रतिवेदन पर कुल 38 यूनियनों के प्रतिनिधियों ने चर्चा में भाग लिया।
बहस के दौरान केंद्र सरकार की नई श्रमशक्ति नीति 2025 और लेबर कोड वापस लेने, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण के विरोध तथा किसान-मजदूर एकता को मजबूत करने के लिए 26 नवंबर को कार्यस्थलों व जिला मुख्यालयों पर जुझारू विरोध-प्रदर्शन करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया।
क्या है नया श्रम कानून
केंद्र सरकार ने देश के श्रम कानूनों में बड़े बदलाव करते हुए 29 पुरानी श्रम व्यवस्थाओं को खत्म कर चार नए लेबर कोड लागू किए हैं। इनके नाम हैं-वेज कोड 2019, औद्योगिक संबंध कोड 2020, सामाजिक सुरक्षा कोड 2020 और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020।
इन कोड के तहत वेतन, काम के घंटे, छुट्टियां, नौकरी सुरक्षा, नियुक्ति पत्र, सामाजिक सुरक्षा, ग्रेच्युटी, ओवरटाइम, ठेका कर्मचारियों और गिग वर्कर्स से जुड़े नियमों में व्यापक बदलाव किए गए हैं।
सरकार का दावा है कि इससे रोजगार में पारदर्शिता और श्रमिकों को अधिकार मिलेंगे, जबकि ट्रेड यूनियन इसे पूंजीपतियों के हित में बनाया गया कानून बता रही हैं। यह कानून देशभर में लागू होने की प्रक्रिया के साथ 2025 से चरणबद्ध रूप से प्रभावी हो रहा है।

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