बिहार सरकार के पूर्व मंत्री ओपी लाल का रिम्स रांची में निधन, कोरोना से थे संक्रमित Dhanbad News
बिहार सरकार के पूर्व मंत्री व बाघमारा के पूर्व विधायक ओपी लाल का रविवार को रिम्स रांची में निधन हो गया। वह बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक निर्वाचित हुए थे। कोयलांचल के प्रमुख मजदूर नेताओं में उनकी गिनती होती थी।
बाघमारा, जेएनएन। बाघमारा की राजनीति में साढ़े तीन दशक तक सूर्य की तरह चमकने वाले पूर्व मंत्री ओपी लाल का रविवार को अंत हो गया। वे 78 साल के थे। कोरोना से संक्रमित होने के बाद रिम्स रांची में इलाज चल रहा था। रविवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।
1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद लाल का बाघमारा की राजनीति में तेजी से उदय हुआ।1985 में हुए एकीकृत बिहार विधानसभा चुनाव में लाल को कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया। उसके बाद लाल ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। चुनाव में माफिया विरोधी लहर में वे पहली बार विजयी हुए। उनको विंदेश्वरी दुबे के मंत्री मंडल में उत्पाद ,मध निषेद व खान भूतत्त्व मंत्री बनाया गया। मुख्यमंत्री विंदेश्वरी दुबे के खासमखास होने के कारण लाल की गिनती बिहार के सुपर सीएम में आती थी। मंत्रिमंडल का कोई भी निर्णय बगैर लाल के नही होता था। उसके बाद 1990 वे 1995 के चुनाव में जीत हासिल कर बाघमारा में हैट्रिक बनाने वाले पहले विधायक बने। वर्ष 2000 में वे जदयू प्रत्याशी जलेश्वर महतो से हार गए। 2005 में भी चुनाव हारने के बाद वे खड़े नही हुये। 2010 के विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा टिकट देने के बाद भी वे टिकट नही लिये ओर जलेश्वर महतो का समर्थन करने की घोषणा की।
सादगी व मधुर वाणी ,सहनशीलता उनके जीवन का अंग थी।कभी किसी को ऊंची आवज में बोलना या किसी भी सरकारी सेवक पर धौंस दिखाना उनकी डिक्शनरी में नही था।अपने कार्यकर्ताओं को भी वे नियंत्रण में रखने की कला में माहिर थे।यही कारण है कि दस वर्षों तक मंत्री रहने के बाद भी उनपर कोई आरोप आज तक नही लगा।1985 में चुुुनाव जितने के बाद धनबाद जिला में माफिया उन्मूलन के खिलाफ लाल के प्रयास से जबरदस्त अभियान सरकार ने चलाया था।उस समय धनबाद जिला में माफियाओं की तूती बोलती थी।माफिया के विरोध में कोई आवाज नही उठा सकता था।लाल के प्रयास से इसपर बहुत हद तक रोक लग गई।