फ्रॉम बलिया टू झरिया: लगातार चार बार विधायक बनने का रिकॉर्ड है सूर्यदेव सिंह के नाम, आज समर्थक मना रहे पुण्यतिथि
विधायक जी के नाम से मशहूर झरिया विधानसभा का चार बार विधायक रहनेवाले सूर्यदेव सिंह की बुधवार को पुण्यतिथि है। कतरास मोड़ और पास स्थित भाजपा-जमसं कार्यालय में उनकी पुण्यतिथि पर भाजपा जमसं के पदाधिकारी सिंह मेंशन के लोग व मजदूर नेता उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।

गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया: विधायक जी के नाम से मशहूर झरिया विधानसभा का चार बार विधायक रहनेवाले सूर्यदेव सिंह की बुधवार को पुण्यतिथि है। कतरास मोड़ और पास स्थित भाजपा-जमसं कार्यालय में उनकी पुण्यतिथि पर भाजपा, जमसं के पदाधिकारी, सिंह मेंशन के लोग व मजदूर नेता उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।
झरिया के साथ पूरे धनबाद में स्थापित किया सिंह मेंशन को...
चार दशक से आज तक झरिया की राजनीति में सिंह मेंशन के लोग छाए हैं, यह सूर्यदेव सिंह की ही देन है। पहले सूर्यदेव फिर इनकी पत्नी कुंती देवी, और उनके बाद पुत्र संजीव सिंह झरिया के विधायक बने। सूर्यदेव ने 70 के दशक में जनता मजदूर संघ का गठन कर कोयला मजदूरों को उनका हक दिलाया, इसलिए मजदूर इन्हें मसीहा के रूप में भी लोग याद करते हैं। 1977 से सूर्यदेव लगातार चार बार झरिया विधानसभा से विधायक बने।
उत्तर प्रदेश के बलिया जिला स्थित गोन्हिया छपरा में एक किसान परिवार के घर में जन्मे सूर्यदेव सिंह लगभग 22 वर्ष की उम्र में काम की तलाश में झरिया आए थे। शैक्षणिक योग्यता अधिक नहीं होने के कारण कोलियरी में कई वर्षों तक काम किया। बाद में मजदूर नेता बीपी सिन्हा के यहां भी रहे। वर्षों तक विभिन्न मजदूर संगठनों में भी रहे। सूर्यदेव ने जनता पार्टी का उम्मीदवार बनकर यहां के श्रमिक नेता एसके राय को हराकर पहली बार 1977 में झरिया के विधायक बने। इसके बाद उन्होंने 1980, 1985 व 1990 में भी जीत दर्ज की। झरिया से लगातार चार बार चुनाव जीतने का रिकाॅर्ड सूर्यदेव सिंह के ही नाम है। वर्ष 1991 में बलिया में सांसद का चुनाव लड़ने के दौरान 15 जून को उनका निधन हो गया।
पूर्व पीएम चंद्रशेखर के काफी करीबी थे सूर्यदेव
झरिया के विधायक सूर्यदेव सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के काफी करीबी थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद चंद्रशेखर दो बार झरिया आए। मकर संक्रांति के अवसर पर झरिया आकर सूर्यदेव से मिले थे। चंद्रशेखर ने झरिया कोयलांचल में ही दही, चूड़ा खाकर मकर संक्रांति मनाई थी। इसके अलावा सूर्यदेव कई बार दिल्ली
जाकर प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से मिले थे।
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