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    सिर्फ आग बुझाना ही फायर ब्रिगेड का काम नहीं, जानें और किन जगहों पर काम करता है विभाग

    By Deepak PandeyEdited By:
    Updated: Sat, 08 Jun 2019 10:05 AM (IST)

    फायर ब्रिगेड का काम सिर्फ आग बुझाना नहीं है। उसका प्राथमिक काम आपदा राहत है। किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में फायर ब्रिगेड ही राहत कार्य शुरू करता है।

    सिर्फ आग बुझाना ही फायर ब्रिगेड का काम नहीं, जानें और किन जगहों पर काम करता है विभाग

    जागरण संवाददाता, धनबाद: आपदा प्रबंधन की दिशा में हमारे हुक्मरान कितने संजीदा हैं, यह इसी एक बात से साबित हो जाता है कि झारखंड राज्य गठन के दो दशक बाद भी राज्य में फायर सर्विस एक्ट लागू नहीं किया जा सका है। राज्य में फायर ब्रिगेड है और उसके तहत 38 फायर स्टेशन काम कर रहे हैं। बावजूद यह विभाग नख-दंत विहीन है।

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    विभाग के कर्मचारी पूरी तरह संबंधित जिला के प्रशासन व नगर निगम के चाकर की भूमिका में हैं। प्रशासन व निगम ने कहा तो किसी घटना की जांच करेंगे अथवा अपने स्तर से किसी भी तरह की कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं हैं। परिणाम यह है कि तमाम बहुमंजिली इमारतें, उनमें चल रहे कोचिंग संस्थान, शिक्षण संस्थान, हॉस्पिटल खुलेआम आग से सुरक्षा के प्रति मनमानी बरत रहे हैं, लेकिन उन पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं।

    किस नियमावली के तहत काम कर रहा फायर ब्रिगेड: झारखंड का अग्निशमन विभाग बिहार फायर सर्विस एक्ट 1948 के तहत ही काम कर रहा है। बिहार री ऑर्गनाइजेशन एक्ट 2000 के तहत बिहार के ही फायर सर्विस एक्ट को अंगीकार किया गया है। इसके तहत अग्निशमन कर्मी स्थानीय प्रशासन व नगर निगम के दिशानिर्देश पर ही काम करने को बाध्य हैं। इसके अलावा नेशनल बिल्डिंग कोड -2005 (एनबीसी) के तहत बहुमंजिली इमारतों, शिक्षण संस्थानों, व्यावसायिक इमारतों सहित 15 मीटर से ऊंचे सभी निर्माण के लिए अग्निशमन विभाग अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करता है।

    अभी तक नियुक्ति व प्रोन्नति नियमावली ही बनी: राज्य में अग्नि निवारण अधिनियम को लेकर तमाम कवायद बेकार साबित हुए हैं। 2007 में जो फायर सर्विस एक्ट बनाया गया उसमें सिर्फ विभाग में राजपत्रित व अराजपत्रित कर्मचारी नियुक्ति व प्रोन्नति नियमावली की ही चर्चा है जिसे सरकार से स्वीकृति मिल सकी है। दूसरी तरफ जिस बिहार फायर सर्विस एक्ट 1948 के तहत झारखंड के अग्नि शमन कर्मी काम कर रहे वह अब बिहार में ही अप्रासंगिक है। वहां 1988 में अलग से बिहार अग्नि निवारण अधिनियम बनकर तैयार है।

    2014 से विचाराधीन है प्रस्ताव: झारखंड के स्टेट फायर ऑफिसर सुधीर वर्मा के मुताबिक वर्ष 2014 में ही अग्निशमन विभाग ने झारखंड फायर सर्विस एक्ट का मसौदा तैयार कर गृह विभाग के सिपुर्द कर दिया है। इसे पूर्व डीजी आशा सिन्हा के कार्यकाल में ही भेजा गया था। अब इसे गृह विभाग द्वारा अनुमोदित कर राज्य कैबिनेट को भेजा जाना है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही अधिनियम लागू हो सकेगा।

    अधिनियम लागू होने से क्या मिलेगा अधिकार: स्टेट फायर ऑफिसर के पद से अवकाशप्राप्त रामकृष्ण ठाकुर के मुताबिक फायर सर्विस एक्ट बन जाने से अग्नि शमन विभाग के अधिकारी आग से बचाव की समुचित व्यवस्था नहीं करने पर संबंधित पक्ष को कानूनी नोटिस भेज सकेंगे। अग्निकांड होने पर उनके खिलाफ मुकदमा दायर कर सकेंगे। उन्हें गिरफ्तार करने का भी अधिकार मिल जाएगा। वे बहुमंजिली इमारतों का समय पर निरीक्षण कर आग से सुरक्षा उपकरणों की स्थिति का अवलोकन कर सकेंगे। खामियां पाए जाने पर भवन को सील करने का भी अधिकार उन्हें मिल जाएगा। आग लगने की स्थिति में वे भीड़भाड़ वाली सड़कों को वन वे कर आग बुझाने तक आम लोगों का आवागमन रोक सकेंगे।

    सिर्फ आग बुझाना ही फायर ब्रिगेड का काम नहीं: जिला आपदा प्रबंधक संजय झा की मानें तो फायर सर्विस एक्ट लागू होने के बाद ही फायर ब्रिगेड अपनी पूरी भूमिका निभा सकता है। फायर ब्रिगेड का काम सिर्फ आग बुझाना नहीं है। उसका प्राथमिक काम आपदा राहत है। किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में फायर ब्रिगेड ही राहत कार्य शुरू करता है। चाहे कोई कुएं में गिरे, भूकंप आए अथवा कोई भी प्राकृतिक आपदा आए फायर ब्रिगेड कर्मियों को राहत कार्य चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है। इसमें आग बुझाना सबसे बाद का काम है। हालांकि नियमों की कमी की वजह से व्यवस्था नहीं बन पा रही। 

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