Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Wasseypur के डान फहीम खान के बेटे ने खा ली मिठाई, क्या झारखंड सरकार खाएगी रहम

    By Md Shahid Edited By: Mritunjay Pathak
    Updated: Sat, 08 Nov 2025 11:28 PM (IST)

    Gangs of Wasseypur: धनबाद के वासेपुर के गैंगस्टर फहीम खान को 22 साल बाद जेल से रिहाई की उम्मीद है। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फहीम की याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया है। फहीम फिलहाल जमशेदपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। कोर्ट के फैसले के बाद वासेपुर में खुशी का माहौल है। फहीम का नाम 1989 के सागीर हत्याकांड से जुड़ा था। रिहाई अब सरकार के फैसले पर निर्भर है।

    Hero Image

    हाई कोर्ट के निर्देश के बाद मिठाई खाते फहीम खान के पुत्र इकबाल खान।

    जागरण संवाददाता, वासेपुर/ रांची। धनबाद के कुख्यात वासेपुर इलाके के गैंग्सटर फहीम खान, जिनकी जीवनी पर आधारित फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' बनी थी, को 22 साल बाद जेल से रिहाई की किरण नजर आ रही है। 75 वर्षीय फहीम वर्तमान में जमशेदपुर की घाघीडीह सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Fahim

    झारखंड हाईकोर्ट ने फहीम की याचिका पर राज्य सरकार को विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इसके लिए छह सप्ताह का समय निर्धारित किया है। हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की बेंच में शुक्रवार को सुनवाई हुई।

    फहीम की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा और लुकेश कुमार ने पैरवी की। उन्होंने तर्क दिया कि फहीम को 2009 में सजा मिली और उन्होंने जेल में 20 साल से अधिक समय गुजार दिया है। उम्र 75 साल होने के कारण स्वास्थ्य समस्याएं गंभीर हैं, इसलिए सजा में छूट (रिमिशन) देकर रिहाई दी जाए। उन्होंने 1995 के एक्ट का हवाला देते हुए मांग की।

    विरोध में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सजा रिव्यू बोर्ड ने फहीम को समाज के लिए खतरा बताते हुए रिहाई का विरोध किया था। बोर्ड का मानना है कि उनकी रिहाई से कानून-व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। सरकार ने स्पष्ट किया कि रिहाई का अधिकार पूरी तरह राज्य का है और 2007 के एक्ट के तहत विचार उचित है।

    कोर्ट के निर्देश के बाद वासेपुर के कमर मखदूमी रोड स्थित फहीम के घर पर जश्न का माहौल है। शनिवार को परिवारजन और रिश्तेदारों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाइयां दीं। फहीम के बड़े बेटे इकबाल खान ने मीडिया से कहा-आखिरकार न्याय की जीत हुई। पूरे परिवार को कोर्ट पर भरोसा था। पापा जल्द घर लौटेंगे।

    फहीम की पत्नी रिजवाना परवीन ने दर्द बयां करते हुए कहा-पति के बिना परिवार चलाना, बच्चों की परवरिश करना कितना मुश्किल होता है, यह एक औरत ही समझ सकती है। अल्लाह के दरबार में दुआ कबूल हुई। ऊपर वाले के यहां देर है, लेकिन अंधेर नहीं।

    सागीर हत्याकांड का पुराना मामला

    फहीम का नाम अपराध जगत में 1989 में वासेपुर के सागीर हसन सिद्दीकी हत्याकांड से जुड़ा। 10 मई 1989 को सागीर की गोली मारकर हत्या हुई थी। धनबाद कोर्ट ने 1991 में फहीम को बरी कर दिया, लेकिन हाईकोर्ट ने फैसला पलटकर आजीवन कारावास सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में इसे बरकरार रखा।

    जेल में फहीम कई बार बीमार पड़े और अस्पताल में भर्ती हुए। रिहाई अब पूरी तरह झारखंड सरकार पर निर्भर है। यदि सरकार रिमिशन मंजूर करती है, तो फहीम घर लौट सकते हैं, वरना जेल में ही रहना पड़ेगा। वासेपुर में यह खबर चर्चा का विषय बनी हुई है।