झारखंड में मुश्किल में ईसीएल, गोड्डा में जमीन देने से इन्कार, सीएमडी को आदिवासियों ने बनाया बंधक
झारखंड के गोड्डा में आदिवासियों ने ना सिर्फ ईसीएल को जमीन देने से इन्कार कर दिया बल्कि सीएमडी समेत अन्य को तीर-धनुष के बल पर बंधक बना लिया। रात करीब सवा 10 बजे सभी को इस शर्त पर छोड़ा गया कि दोबारा वे इधर देखेंगे तक नहीं!
जागरण टीम, गोड्डा: झारखंड में कोल इंडिया की अनुषांगिक इकाई ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) खतरे में है। जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर रविवार को झारखंड के गोड्डा में भारी बवाल हुआ। यहां के आदिवासियों ने ना सिर्फ ईसीएल की परियोजना के लिए जमीन देने से इन्कार कर दिया, बल्कि ईसीएल सीएमडी समेत अन्य अधिकारियों को तीर-धनुष के बल पर बंधक बना लिया। रात करीब सवा 10 बजे सभी को इस शर्त पर मुक्त किया गया कि दोबारा वे आदिवासियों के गांवों की ओर देखेंगे तक नहीं!
रविवार की शाम करीब छह बजे ग्रामीणों के साथ वार्ता के लिए ईसीएल के सीएमडी एपी पांडा, तकनीकी निदेशक जेपी गुप्ता, राजमहल परियोजना के जीएम रमेशचंद्र महापात्रा, क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक एसके प्रधान समेत पांच कोयला गोड्डा जिले के ललमटिया थाना क्षेत्र स्थित तालझारी गांव में पहुंचे थे। यहां इन्हें आदिवासी ग्रामीणों ने बंधक बना लिया। उनका कहना था कि तालझारी, भेरेंडा, पहाड़पुर में रहनेवाले आदिवासी राजमहल परियोजना के लिए अपनी कृषि योग्य जमीन नहीं देंगे। इस जमीन पर किसी सूरत में खनन नहीं होगा। अधिकारियों को बंधक बनाने की सूचना पर आइआरबी के जवान मौके पर पहुंचे। देर रात करीब सवा 10 बजे लिखित करार के बाद सभी अधिकारियों को मुक्त किया गया।
पांच साल पहले जमीन ली, दो दर्जन रैयतों को नौकरी दी, 10 करोड़ से अधिक का मुआवजा भी बांटा
दरअसल, परियोजना के लिए पांच साल पहले ही ईसीएल ने करीब 125 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। उसके एवज में दो दर्जन रैयतों को नौकरी व दस करोड़ से अधिक मुआवजा भी दिया गया था। बावजूद ग्रामीण जमीन खाली नहीं करना चाह रहे। उनका कहना है कि जिनको नौकरी दी, मुआवजा दिया, उनसे ही जमीन ले लो। जमीन नहीं मिलने से परियोजना बंदी की कगार पर पहुंच चुकी है।
इसी परिप्रेक्ष्य में वार्ता करने के लिए रविवार की शाम सीएमडी कई अधिकारियों के साथ तालझारी पहुंचे थे। जैसे ही यह अमला गांव पहुंचा और आदिवासी ग्रामीणों के समक्ष अपनी बात रखी, वे भड़क गए। उन्होंने सभी को घेर लिया, बंधक बना लिया। सूचना पाते ही पुलिस व आइआरबी के जवान तालझारी गांव पहुंचे। उन्होंने भी ग्रामीणों को समझाया, पर वह नहीं माने। ग्रामीणों ने दो टूक कह दिया कि जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए वह हर लड़ाई लड़ेंगे। भेरेंडा गांव के पास मुख्य सड़क को ग्रामीणों ने जगह-जगह जाम कर दिया, ताकि पुलिस प्रशासन की गाड़ी गांव में नहीं पहुंच सके। आदिवासी ग्रामीण ढोल, नगाड़े और पारंपरिक हथियार से लैस होकर ईसीएल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। रात में दर्जनों अन्य गांवों के आदिवासी तीर धनुष लेकर तालझारी गांव पहुंचे।
मामले में गोड्डा के एसपी नाथू सिंह मीणा ने बताया कि आदिवासी बहुल गांवों में पुलिस बल प्रयोग करने की जगह बातचीत कर कोयला अधिकारियों को वहां से सकुशल निकालने की कोशिश की गई। हम शांति का मार्ग अपना रहे हैं। महागामा अनुमंडल पुलिस प्रशासन की ओर से ग्रामीणों से वार्ता की गई। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है।
देर रात सभी अधिकारी लौटे परियोजना मुख्यालय
महागामा अनुमंडल प्रशासन की ओर से ग्रामीणों के साथ वार्ता के बाद रात सवा दस बजे ग्रामीणों ने लिखित करार कर ईसीएल के अधिकारियों को मुक्त कर दिया। देर रात सभी अधिकारी राजमहल परियोजना मुख्यालय ऊर्जानगर लौटे।