Bank Fraud: मरने के बाद भी डीवीसी कर्मचारी उठाते रहे पेंशन, बैंकों की करतूत, अब फंसेगी गर्दन
डीवीसी पेंशनर्स समाज के अध्यक्ष के आरटीआइ से खुलासा हुआ कि बैंकों ने मृत कर्मियों को पेंशन देकर डीवीसी को करोड़ों का चूना लगाया। डीवीसी ने बैंकों से 15 करोड़ से अधिक की राशि रिकवर की है। अशोक कुमार जैन ने गहन जांच की मांग की है, जिसमें डीवीसी के वित्त विभाग और बैंकों की मिलीभगत का आरोप लगाया गया है। आरटीआई के बाद कार्रवाई हुई, लेकिन कई अनियमितताएं सामने आईं।

दामोदर घाटी निगम में बैंकों की मिलीभगत से पेंशन भुगतान में हुई गड़बड़ी।
संजय बर्मन, जागरण, पंचेत (धनबाद)। दामोदर वैली कॉरपोरेशन (DVC) के मृत कर्मियों को पेंशन राशि का भुगतान कर बैंकों ने निगम को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है। यह पेंशन राशि केंद्रीय पेंशन प्रोसेसिंग केंद्र (सीपीपीसी) के माध्यम से सीधे खातों में भेजी जाती रही।
डीवीसी पेंशनर्स समाज के केंद्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार जैन ने डीवीसी के सदस्य (वित्त) को पत्र लिखकर इस पूरे मामले की तत्काल और गहन जांच की मांग की है। जैन ने अपने पत्र में बताया है कि कुल 1207 मृत कर्मियों के खातों में अनियमित रूप से पेंशन भुगतान किया गया।
जैन का कहना है कि इस घोटाले में डीवीसी के वित्त विभाग और विभिन्न बैंकों के अधिकारियों की मिलीभगत रही है। उन्होंने यह भी आश्चर्य जताया कि आरटीआई आवेदन और केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) के निर्देश के बावजूद बैंकों ने मृत कर्मियों के खातों में पेंशन भेजना जारी रखा।
आरटीआई के बाद डीवीसी अधिकारियों ने कुछ शाखाओं का निरीक्षण कर 15 करोड़ रुपये से अधिक की राशि रिकवर की है। हालांकि, जैन का कहना है कि यदि गहन जांच की जाए तो रिकवरी की राशि और भी बढ़ सकती है।
उन्होंने कुछ उदाहरण भी दिए हैं-दुर्गापुर स्टील थर्मल प्लांट के कर्मी नारायण चंद्र घोष 2013 में सेवानिवृत्त हुए और 2019 में उनका निधन हो गया, फिर भी 2024 तक उनके खाते में पेंशन जाती रही। इसी तरह मैथन की गौरी देवी, दोमनी देवी और परिमल कुमार दुबे जैसे कई मृत कर्मियों के खातों में भी वर्षों तक पेंशन राशि भेजी गई।
जैन ने आरोप लगाया कि डीवीसी प्रबंधन ने खुद की जिम्मेदारी छोड़कर पेंशन वितरण का कार्य बैंकों को सौंप दिया है। इसके एवज में डीवीसी प्रति पेंशनभोगी 75 रुपये प्रतिमाह बैंक चार्ज के रूप में देती है। इस मद में भी लाखों रुपये की गड़बड़ी सामने आई है। जांच में कई बैंक अधिकारी और डीवीसी कर्मी सवालों के घेरे में आ सकते हैं।

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