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    इस विधि से खेती के बहुत फायदे, 90 फीसद सब्सिडी भी दे रही झारखंड सरकार

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Wed, 09 Feb 2022 09:35 AM (IST)

    ड्रिप इरीगेशन योजना के लिए किसानों को 90 फीसद तक उनके लागत पर सब्सिडी दी जा रही है। इसके लिए जिला कृषि पदाधिकारी ने सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी को किसानों से आवेदन लेने के लिए निर्देश दिया है।

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    कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में ड्रिप इरीगेशन से खेती ( फाइल फोटो)।

    जागरण संवाददाता, धनबाद। काेरोना काल के पहले बहुत सारे किसानों ने प्रवासी मजदूरों के रूप में दूसरे प्रदेशों में अपने लिए जीविका के साधन ढ़ुढ़ने की कोशिश की थी। लेकिन कोरोना संक्रमण की भयावहता ने उनके कमाई के इस जरिए को भी छीन लिया। मजबूरन इस लोगों ने वापस घर आकर खेती करनी शुरू कर दी। कुछ ने अपने मेहनत के बूते बेहतर काम कर दिखाय और बताया कि खेती किसानी का धंधा भी लाभ दे सकता है। इसके तो कुछ ने शुरूआती कदम के बाद अपने प्रयासों को विराम लगा दिया। वहज थी सिंचाई पर आनेवाली अधिक लागत। इसके लिए कृषि विभाग ने इन किसानों की परेशानी दूर करने के लिए इन किसानों को ड्रिप इरीगेशन के जरिए खेती किसानी के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया। और इस क्रम में कई योजनाओं की शुरूआत की है। इन्हीं योजनाओं में से एक है ड्रिप इरीगेशन। इस विधि से खेती करनेवाले किसानों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सब्सिडी देने की भी योजना बना रखी है। जिसका नाम है प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना।

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    90 फीसद तक सब्सिडी

    इस योजना के लिए किसानों को 90 फीसद तक उनके लागत पर सब्सिडी दी जा रही है। इसके लिए जिला कृषि पदाधिकारी ने सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी को किसानों से आवेदन लेने के लिए निर्देश दिया है। जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि इस योजना के तहत एक एकड़ जमीन पर सिंचाई के लिए सरकार की ओर से प्रति एकड़ 70 हजार रूपये का बजट तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि गिरते भू जल स्तर के अनुपात में कृषि योग्य जमीन का रकबा बढ़ाने के लिए इस योजना को बनाया गया है। ड्राप मोर क्राप के जरिए किसानों को सिंचाई करने के लिए ड्रिप, मिनी माइक्रो स्प्रिंकलर, और पाेर्टेबल स्प्रिंकलर जैसे यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है।

    क्या है ड्रिप इरीगेशन सिस्टम

    सिंचाई की वह विधि जिसमें कम पानी का प्रयोग कर ज्यादा से ज्यादा फसल का उत्पादन करना होता है। इसके लिए छोटे व्यास वाली पाइप की मदद से पौधों की जड़ों तक पानी को बूंद बूंद करके पहुंचाया जाता है। इससे सतह वाष्पण के साथ भूमि रिसाव से जल की खपत कम हो जाती है।