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    Diwali 2022: सिखों में 'बंदी छोड़ दिवस' के रूप में मनाई जाती है दिवाली, मुगलों के काल से जुड़ा है किस्‍सा

    By Jagran NewsEdited By: Deepak Kumar Pandey
    Updated: Mon, 24 Oct 2022 02:47 PM (IST)

    Diwali 2022 बैंक मोड़ गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के धर्म प्रचार सचिव गुरजीत सिंह और उपाध्यक्ष सतपाल सिंह ब्रोका बताते हैं कि सिख धर्म के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बादशाह जहांगीर ने सिखों के छठवें गुरू हरगोविंद साहिब को बंदी बना लिया।

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    आज सभी सिख परिवार अपने घरों में दीये जलाएंगे।

    जागरण संवाददाता, धनबाद: दिवाली के दिन को सिख धर्म के अनुयायी बंदी छोड़ दिवस के नाम से त्योहार मनाते हैं। इस त्योहार को मनाने के पीछे का इतिहास बड़ा रोचक है। बैंक मोड़ गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के धर्म प्रचार सचिव गुरजीत सिंह और उपाध्यक्ष सतपाल सिंह ब्रोका बताते हैं कि सिख धर्म के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बादशाह जहांगीर ने सिखों के छठवें गुरू हरगोविंद साहिब को बंदी बना लिया। उसने हरगोविंद साहिब जी को ग्वालियर के किले में कैद कर दिया, जहां पहले से ही 52 हिंदू राजा कैद थे। संयोग से जब जहांगीर ने गुरू हरगोविंद साहिब जी को कैद किया तो वह बहुत बीमार पड़ गया। काफी इलाज के बाद भी वह ठीक नहीं हो रहा था। तब बादशाह के काजी ने उसे सलाह दिया कि वह इसलिए बीमार पड़ गया है क्योंकि उसने एक सच्चे गुरु को कैद कर लिया है।

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    काजी ने कहा कि अगर वह स्वस्थ होना चाहता है तो उसे गुरु हरगोविंद सिंह को तुरंत छोड़ देना चाहिए। कहते हैं कि अपने काजी की सलाह पर काम करते हुए जहांगीर ने तुरंत गुरु को छोड़ने का आदेश भी जारी कर दिया। गुरु हरगोविंद सिंह जी ने अकेले रिहा होने से इन्‍कार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे जेल से बाहर तभी जाएंगे, जब उनके साथ कैद सभी 52 हिन्दू राजाओं को भी रिहा किया जायेगा। गुरु जी का हठ देखते हुए उसे सभी राजाओं को छोड़ने का आदेश जारी करना पड़ा। यह आदेश जारी करते समय भी जहांगीर ने एक शर्त रख दी। उसकी शर्त थी कि कैद से गुरु जी के साथ सिर्फ वही राजा बाहर जा सकेंगे, जो सीधे गुरुजी का कोई अंग या कपड़ा पकड़े हुए होंगे। उसकी सोच थी कि एक साथ ज्यादा राजा गुरु जी को छू नहीं पायेंगे और इस तरह बहुत से राजा उसकी कैद में ही रह जाएंगे। जहांगीर की चालाकी देखते हुए गुरु जी ने एक विशेष कुर्ता सिलवाया, जिसमें 52 कलियां बनी हुई थीं। इस तरह एक-एक कली को पकड़े हुए सभी 52 राजा जहांगीर की कैद से आजाद हो गए।

    जहांगीर की कैद से आजाद होने के बाद जब गुरु हरगोविंद सिंह जी वापस अमृतसर पहुंचे, तब पूरे गुरुद्वारे में दीप जलाकर गुरु जी का स्वागत किया गया। तब से इस दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इसी खुशी में आज के दिन व्यापक पैमाने पर लाइट सज्जा एवं आतिशबाजी की जाती है। धनबाद में बैंक मोड़ गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी की ओर से गुरद्वारा साहिब को आकर्षक तरीके से सजाया गया है। शाम में यहां की लाइटिंग देखने वाली होगी। इसके साथ ही सभी सिख परिवार अपने घर में दीये जलाएंगे।