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    Digital India की जमीनी हकीकत... लेन-देन में 82% लोग आनलाइन, पर साक्षरता 30% पर अटकी; आरबीआइ ने जताई गहरी चिंता

    By Ravi Kumar Chourasia Edited By: Mritunjay Pathak
    Updated: Fri, 05 Dec 2025 02:09 PM (IST)

    RBI: भारत में डिजिटल लेन-देन तेज़ी से बढ़ रहा है, पर डिजिटल साक्षरता की गति धीमी है। आरबीआई ने इस पर चिंता जताई है, क्योंकि 82% लोग डिजिटल लेन-देन का ...और पढ़ें

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    भारत में डिजिटल क्षारता पर जोर।

    जागरण संवाददाता, धनबाद। डिजिटल क्रांति के इस दौर में जहां 82 प्रतिशत भारतीय लेन-देन के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग कर रहे हैं, वहीं वित्तीय और डिजिटल साक्षरता का स्तर बेहद कम है। गुरुवार को धनबाद के कोयला नगर में आयोजित क्षेत्र स्तरीय वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के क्षेत्रीय निदेशक प्रेम रंजन ने इस विषय पर चिंता जताई।

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    प्रेम रंजन ने कहा कि डिजिटल लेन-देन के साथ जुड़े जोखिमों और खतरों को समझने वाले लोगों की संख्या केवल 31 प्रतिशत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वित्तीय साक्षरता केवल पढ़ने-लिखने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समझना भी आवश्यक है कि नागरिक अपने वित्तीय अधिकारों को कैसे पहचानें और अपने हित में सही निर्णय लें।

    आरबीआइ निदेशक ने बताया कि दुनिया के अन्य देशों में वित्तीय साक्षरता दर 50 से 60 प्रतिशत तक है, जबकि भारत में यह आंकड़ा 30 प्रतिशत से भी कम है। यह अंतर न केवल नागरिकों की व्यक्तिगत वित्तीय सुरक्षा के लिए चुनौती है, बल्कि देश की आर्थिक मजबूती के लिए भी चिंताजनक है।

    उन्होंने देश की आर्थिक प्रगति से इसे जोड़ते हुए कहा कि भारत आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि डिजिटल युग में हर नागरिक को बुनियादी वित्तीय जानकारी हो और वित्तीय साक्षरता दर में सुधार हो।

    उन्होंने आगे कहा कि जागरूक नागरिक न केवल अपने वित्तीय हितों की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देने में योगदान कर सकते हैं। इसलिए वित्तीय शिक्षा और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना अब हर नागरिक और संस्थान की प्राथमिकता होनी चाहिए।