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    अब जंतर-मंतर पर होगी डीसी लाइन की लड़ाई, आंदोलनकारियों ने किया दिल्ली कूच

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 02 Oct 2018 09:02 PM (IST)

    रेल के नीचे कोयला का भंडार है। इस पर कोल इंडिया और कोयला मंत्रालय की नजर है। वह रेल लाइन को उखाड़ कोयले का खनन करना चाहता है।

    अब जंतर-मंतर पर होगी डीसी लाइन की लड़ाई, आंदोलनकारियों ने किया दिल्ली कूच

    संवाद सहयोगी, कतरास (धनबाद): 15 जून 2017 को धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन बंद होने के बाद से लगातार आंदोलन जारी है। आंदोलनकारी पुन: रेल लाइन चालू करने की मांग कर रहे हैं। सुनवाई नहीं होने पर आंदोलनकारियों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है ताकि धनबाद की जनता की आवाज केंद्रीय रेल व कोयला मंत्री पीयूष गोयल तक पहुंच सके। गांधी जयंती पर मंगलवार को आंदोलनकारियों ने कतरास स्थित खादी ग्रामोद्योग भंडार में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद बस पर सवार होकर दिल्ली कूच कर गए। झारखंड प्रदेश कांग्रेस के सचिव रणविजय सिंह और सामाजिक संस्था जागो के संस्थापक राकेश रंजन उर्फ चुन्ना यादव ने झंडा दिखाकर बस को रवाना किया। साथ ही धनबाद से भी एक बस दिल्ली के लिए खुली। जंतर मंतर पर 4 से 6 अक्टूबर तक धरना-प्रदर्शन चलेगा।

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    रणविजय ने कहा कि डीसी रेल लाइन को बंद हुए एक साल से ज्यादा बीत गया। समय-समय पर विपक्षी दलों के नेताओं ने अपने-अपने स्तर से आंदोलन किया पर सरकार ने अपनी आंखें मूंद रखी है। 26 जोड़ी ट्रेनों का परिचालन का अचानक बिना किसी को सूचना दिए बंद कर देना जनता के साथ नाइंसाफी है। सामाजिक संस्था जागो के संस्थापक चुन्ना यादव ने कहा कि रेल लाइन भूमिगत आग से प्रभावित जरूर है लेकिन कोयले का खनन करने के लिए बंद किया गया है। जंतर-मंतर पर तीन दिवसीय धरना के बाद भी केंद्र सरकार ने रेल लाइन चालू करने का फैसला नहीं लिया तो अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। बलराम हरिजन, अमजद राईन, आलोक गुप्ता, मिट्ठू ¨सह, फिरोज खान, भोलू यादव, राजेश ¨सह, सोनू राय, बलराम हरिजन आदि शामिल थे। डीसी लाइन बंद होने से 26 जोड़ी ट्रेनें प्रभावित

    जानकारी हो कि धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन धनबाद और बोकारो जिले के 14 स्टेशनों से होकर गुजरती है। धनबाद और राजधानी रांची को जोड़ने वाली यह लाइन रेलवे की व्यस्त लाइनों में एक थी। मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के अलावा प्रतिदिन तीन दर्जन से ज्यादा मालगाड़ियां चलती थीं। जबकि प्रति वर्ष सफर करने वाले रेल यात्रियों की संख्या एक करोड़ के आस-पास है। भूमिगत आग से रेल लाइन को खतरा बताकर रेलवे ने 17 जून 15 को बंद कर दी।