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    धनबाद में सोहराय के अवसर पर होने से जा रही चोईख पूरा प्रत‍ि‍योग‍िता... झलकता आद‍िवास‍ियों का प्रकृृत‍ि प्रेम

    By Jagran NewsEdited By: Atul Singh
    Updated: Wed, 02 Nov 2022 03:27 PM (IST)

    बंटी महतो ने बताया कि चोईख पूरा में चावल को कूटकर पानी मिलाकर एक पेस्ट बनाते हैं। इसे चौक पूरा बोलते हैं। आदिवासी समुदाय के लोग अपने घर के आंगन में और जहां गोमाता या मवेशी रहते हैं वहां भी घर की महिलाएं अपने हाथ से आकृति बनाती हैं।

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    बंटी महतो ने बताया कि चोईख पूरा में चावल को कूटकर पानी मिलाकर एक पेस्ट बनाते हैं।

    जागरण संवाददाता, धनबाद: आदिवासियों का प्रमुख पर्व है सोहराय। इसे बांधना पर्व बोलते हैं। दीपावली के कुछ दिन बाद इसे मनाया जाता है। इसके उपलक्ष्य में गुरुवार को चोईख पूरा प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। शहीद शक्तिनाथ महतो स्मारक इंटर कॉलेज सिजुआ के कुड़माली भाषा विभाग की ओर से इस प्रतियोगिता का आयोजन विद्यालय परिसर में सुबह 10 बजे से किया जाएगा। इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि विधायक मथुरा प्रसाद महतो करेंगे। आयोजन समिति के सदस्य बंटी महतो ने बताया कि इसमें लड़के और लड़कियां दोनों भाग ले सकते हैं। विजेताओं को समिति की ओर से पुरस्कृत किया जाएगा। इसके साथ ही सभी को प्रतिभागिता का प्रमाण पत्र भी मिलेगा। कालेज के लगभग सभी छात्र भाग लेने में रुचि ले रहे हैं। बंटी ने बताया कि लगभग 300 छात्र इस प्रतियोगिता में शामिल होंगे।

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    यह है चोईख पूरा प्रतियोगिता

    बंटी महतो ने बताया कि चोईख पूरा में चावल को कूटकर पानी मिलाकर एक पेस्ट बनाते हैं। इसे चौक पूरा बोलते हैं। आदिवासी समुदाय के लोग अपने घर के आंगन में और जहां गोमाता या मवेशी रहते हैं वहां भी घर की महिलाएं अपने हाथ से आकृति बनाती हैं। यह एक संस्कृति धरोहर है। समुदाय के लोगों ने क‍हा क‍ि पूर्वजों की ओर से दी गई परंपरा है। हम लोग किसान हैं, इसलिए प्रकृति की उपासना करते हैं। गोवंश की सहायता धान अन्य फसल तैयार करते हैं। गोवंश किसान के सच्चे साथी हैं। जो किसान का सच्चा साथी है बस उसी की उपासना और आराधना हमलोग करते हैं। बंटी ने बताया कि इसी सांस्कृतिक धरोहर को एक प्रतियोगिता के तौर पर रखा गया है। आज के आधुनिक युग में हमारी आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति को भूलती जा रही है। बस उसी को बढ़ावा देने के लिए यह एक विशेष कदम उठाया गया है। इसमें सभी लोगों की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है ताकि हम अपनी संस्कृति और जड़ों से जुड़े रहे।