गुजरात की कंपनी ने धनबाद के वाहन मालिकों को लगाया चूना, करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी ने सबको चौंकाया
धनबाद में वैष्णवी ट्रांसपोर्ट नामक कंपनी पर 40 से अधिक लोगों से करोड़ों की वाहन धोखाधड़ी का आरोप है। पीड़ितों के अनुसार उन्हें आकर्षक योजनाओं का लालच देकर गाड़ियां फाइनेंस कराई गईं जिनकी ईएमआई कुछ समय बाद बंद हो गई। अब पीड़ितों को बैंक से नोटिस मिल रहे हैं और वे न्याय की गुहार लगा रहे हैं। पीड़ितों ने प्रशासन से दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।

जागरण संवाददाता, धनबाद। शहर में एक बड़े वाहन धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है, जिसमें गुजरात की 'वैष्णवी ट्रांसपोर्ट' नामक एक कंपनी पर 40 से अधिक लोगों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगा है। पीड़ितों ने शुक्रवार को गांधी सेवा सदन में एक प्रेस वार्ता आयोजित कर अपनी आपबीती सुनाई और न्याय की गुहार लगाई।
पीड़ित बनियाहीर निवासी इंद्रजीत सिंह ने बताया कि नौ मार्च 2024 को राजकुमार दत्ता और मुकेश साव नामक दो व्यक्तियों ने उनसे संपर्क किया था। उन्होंने गुजरात की एक कंपनी की आकर्षक योजना के बारे में बताया, जिसमें वाहन फाइनेंस कराकर अच्छी कमाई का लालच दिया गया था।
इंद्रजीत सिंह के अनुसार, उन्हें एक बैंक मैनेजर द्वारा घर बुलाकर कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए गए और बाद में उन्हें पता चला कि उनके नाम पर एक गाड़ी फाइनेंस करा ली गई है।
शुरुआत के चार-पांच महीनों तक गाड़ी की ईएमआई का भुगतान होता रहा, लेकिन उसके बाद ईएमआई आनी बंद हो गई। पिछले तीन महीनों से ईएमआई नहीं आने के कारण, अब पीड़ितों को बैंक से नोटिस मिल रहे हैं और वे परेशान हैं।
इंद्रजीत सिंह ने बताया कि उन्हें यह भी नहीं पता कि उनके नाम पर कौन-सी गाड़ी और किस मॉडल की गाड़ी फाइनेंस कराई गई है। उन्हें केवल शोरूम से फोन करके सूचित किया गया था कि उनकी गाड़ी की डिलीवरी हो गई है।
उन्होंने बताया कि इस धोखाधड़ी में कुल 120 से ज्यादा लग्जरी वाहनों को फाइनेंस कराया गया है। पीड़ितों का आरोप है कि आरोपी अब इन वाहनों का इस्तेमाल नशीले पदार्थों की तस्करी और फर्जी दस्तावेजों से वाहनों को बेचने जैसे गंभीर अपराधों में कर रहे हैं। इस धोखाधड़ी और इसके आपराधिक परिणामों से हम और हमारे परिवार बेहद परेशान हैं, और भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
सभी पीड़ित लोगों ने एकजुट होकर मीडिया के माध्यम से प्रशासन और सरकार से न्याय की अपील की है। वे चाहते हैं कि उनकी गाड़ियां उन्हें वापस मिल जाएं और धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।
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