एक के पीछे चलेगी दूसरी ट्रेन, धनबाद-गया के बीच 67 KM रेलखंड पर ऑटोमेटिक सिग्नल का काम पूरा
धनबाद रेल मंडल में हावड़ा-नई दिल्ली मार्ग पर ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली शुरू होने से ट्रेनों का परिचालन सुरक्षित होगा। मानपुर से शर्माटांड़ तक 67 किमी रेल मार्ग पर यह प्रणाली लागू हो गई है। 2026 तक 200 किमी तक के पूरे रेल मार्ग पर इसे लागू करने का लक्ष्य है। इससे ट्रेनों की लेटलतीफी कम होगी और दुर्घटनाओं की आशंका भी कम हो जाएगी।

जागरण संवाददाता, धनबाद। हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग पर एक ट्रैक पर एक के पीछे दूसरी ट्रेन चलाई जा सकेगी। साथ ही लेटलतीफी और दुर्घटना की आशंका भी कम होगी। सुरक्षित रेल परिचालन के लिए रेलवे ने ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली अपनाना शुरू कर दिया है।
प्रधानखंता से मानपुर तक धनबाद रेल मंडल के 200 किमी तक रेल मार्ग पर मानपुर से शर्माटांड़ तक 67 किमी रेल मार्ग को ऑटोमेटिक सिग्नल से लैस कर दिया गया है।
इनमें मानपुर से शर्माटांड़ व शर्माटांड़ से चिचाकी तक का हिस्सा शामिल है। 200 किमी तक के पूरे रेल मार्ग पर जुलाई 2026 तक ऑटोमेटिक सिग्नलिंग पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
सेमी हाई स्पीड ट्रेनों में मददगार होगी ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली
हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग पर 160 की रफ्तार से सेमी हाई स्पीड ट्रेन का ट्रायल अप्रैल में हो चुका है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय से धनबाद तक रेल महाप्रबंधक स्पीड ट्रायल कर चुके हैं।
मौजूदा 130 किमी की अधिकतम गति से चल रही यात्री ट्रेनों को 160 किमी प्रति घंटे की गति से चलाने से पहले ऑटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली अपनायी जा रही है।
क्या है ऑटोमेटिक सिग्नल?
रेलवे के नियम के अनुसार, दो स्टेशन के बीच की दूरी औसत 10 किमी होती है। एक स्टेशन से चलने वाली ट्रेन जब तक दूसरे स्टेशन पर नहीं पहुंच जाती, तब तक दूसरी ट्रेन नहीं चलाई जाती है। एक स्टेशन से अगले स्टेशन तक पहुंचने में 10-12 मिनट का समय लग जाता है।
यानी 10-12 मिनट तक एक ट्रैक पर दूसरी दूरी नहीं चल पाती है। पीछे की ट्रेन को रोक कर रखना पड़ता है। ऑटोमेटिक सिग्नल से इस तकनीकी बाधा को दूर किया जा सकेगा। ऑटोमेटिक सिग्नल से एक के पीछे दूसरी ट्रेन चलाई जा सकेगी। स्टेशन के खुलने के बाद ट्रेन के अगले स्टेशन पर पहुंचने का इंतजार नहीं करना होगा।
रेल अधिकारी का कहना है कि ऑटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली से बगैर किसी अतिरिक्त स्टेशन के निर्माण और रखरखाव के अधिक से अधिक ट्रेन चलाने के लिए प्रमुख जंक्शन स्टेशन के ट्रैफिक को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
तकनीकी खराबी आने पर पीछे चल रही ट्रेन के चालक को मिल जाएगी सूचना
ऑटोमेटिक सग्नलिंग प्रणाली कंप्यूटराइज्ड है। इसकी विशेषता यह है कि आगे चल रही ट्रेन में कोई तकनीकी खराबी आ गई तो पीछे चल रही दूसरी ट्रेन के चालक को सूचना मिल जाएगी। इससे जो ट्रेन जहां है, वहीं उसके पहिए थम जाएंगे।
यानी ट्रेनों की टक्कर की संभावना भी लगभग समाप्त हो जाएगी। इस प्रणाली के तहत स्टेशन यार्ड से लगभग डेढ़ किमी पर एडवांस स्टार्टर सिग्नल लगाया जाएगा। सिग्नल के जरिए ट्रेन के स्टेशन में प्रवेश करते ही स्टेशन मास्टर को तत्काल सूचना मिल जाएगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।