Dhanbad news: यहां फिल्म शोले का डायलॉग बोल असरानी को देना पड़ा था असली होने का प्रमाण, पंचेत डैम से जुड़ी हैं उनकी कई यादें
धनबाद में अभिनेता असरानी को फिल्म 'शोले' का डायलॉग बोलकर अपनी पहचान साबित करनी पड़ी। पंचेत डैम से उनकी कई यादें जुड़ी हैं, जहाँ उन्होंने फिल्मों की शूटिंग की और यादगार पल बिताए। उन्होंने डैम के शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता की सराहना की और इसे अपने जीवन के सुखद पलों में से एक बताया।

पंचेत में फिल्म की शूटिंग के दौरान डीवीसी के तत्कालीन परियोजना प्रमुख व अन्य लोगों से मिलते अभिनेता असरानी। (फाइल फोटो)
रामजी यादव, पंचेत (धनबाद)। दिग्गज फिल्म अभिनेता असरानी भले ही अब हमारे बीच नहीं रहे, मगर पंचेत क्षेत्र के लोगों के जेहन में आज भी वह जिंदा हैं। उनकी मौत की सूचना पर इस क्षेत्र के लोग आज भी मर्माहत हैं।
वर्ष 2011 में असरानी जब बांग्ला फिल्म परिवर्तन की शूटिंग के लिए पहली बार पंचेत आए थे तो उन्हें देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ी थी।
शताब्दी राय व तापस पाल द्वारा निर्मित इस फिल्म की शूटिंग पंचेत डैम की खूबसूरत वादियों व काशीपुर महाराज के किले में हुई थी। पंचेत में जब इस फिल्म की शूटिंग के लिए असरानी आए तो लोगों को यह सहज विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह असली असरानी हैं।
क्षेत्र में जोरों पर चर्चा फैली थी कि यहां डुप्लिकेट असरानी आए हैं
क्षेत्र में जोरों से चर्चा फैल गई थी कि यहां डुप्लिकेट असरानी आए हैं। इसके बाद भीड़ ने असरानी से आग्रह किया कि अगर आप असली असरानी हैं तो अपना चर्चित डायलाग सुना दें।
इसके बाद उन्होंने लोगों के आग्रह पर मशहूर हिन्दी फिल्म शोले के डायलाग -हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं, हम नहीं सुधरेंगे तो तुम क्या सुधरोगे, सुनाया था।
इस डायलाग को सुनकर लोगों ने खूब उनकी तारीफ की थी और उन्हें विश्वास हो गया था कि पंचेत क्षेत्र में जो असरानी आए हैं वह असली हैं।
मछुआरों ने याद किये एनके साथ बिताए पल
असरानी के साथ बिताए पल को याद कर आज भी पंचेत के मछुआरे बाबू धीवर रोमांचित हो जाते हैं। मगर उन्हें सहज विश्वास नहीं हो रहा कि असरानी इस दुनिया में नहीं रहे।
बाबू धीवर बताते हैं कि बांग्ला फिल्म परिवर्तन के एक दृश्य (सीन) में अभिनेत्री को बचाने के क्रम में अभिनेता डैम के पानी में डूबने लगता है। तभी असरानी वहां पहुंच जाते हैं और पास में खड़े मछुआरा बाबू धीवर से अभिनता को बचाने के लिए आग्रह करते हैं। इसके बाद बाबू धीवर अभिनेता को डूबने से बचा लेते हैं।
बाबू धीवर को वह सीन आज भी याद है। कहते हैं कि जिस आदमी (असरानी) के डायलॉग को बचपन से सुना था उन्हें सामने से देखने का मौका मिला था। वह अद्भूत कलाकार थे। भले ही वह अब इस दुनिया में नहीं हैं, मगर उनकी यादें हमेशा दिल में रहेंगी।
इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही असरानी की मुलाकात पंचेत आइबी में डीवीसी के तत्कालीन परियोजना प्रमुख अनिमेष मुखर्जी (अब स्वर्गीय) से भी हुई थी और उनके साथ बैठकर चाय पी थी।
इधर स्नेक सेवर मुबारक अंसारी ने कहते हैं कि असरानी से वह भी पंचेत के निरीक्षण भवन में मिले थे। वह अच्छे अभिनेता के साथ-साथ अच्छे इंसान भी थे। उनकी मौत से आहत हूं।
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