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    कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर धनबाद में अलर्ट, ड्रग कंट्रोलर को जब्त करने का आदेश

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 06:13 AM (IST)

    राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद धनबाद में कोल्ड्रिफ कफ सिरप को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। ड्रग इंस्पेक्टरों ने दवा दुकानों को इसे जब्त करने का निर्देश दिया है। जिले में हर महीने लगभग 20 लाख रुपये की कफ सिरप की बिक्री होती है। डॉक्टरों ने मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर ही दवा खरीदने की सलाह दी है।

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    ड्रग इंस्पेक्टर को निर्देश, जब्त करें कोल्ड्रिफ सिरप। सांकेतिक तस्वीर

    मोहन गोप, धनबाद। कोल्ड्रिफ कफ सिरप के कारण राजस्थान व मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद झारखंड में भी स्वास्थ्य महकमा हरकत में आ गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के बाद राज्य में विभाग अलर्ट मोड़ पर आ गया है।

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    सभी जिलों के ड्रग इंस्पेक्टर से कोल्ड्रिफ को जब्त करने व इसकी जानकारी उपलब्ध कराने की मांग की है। धनबाद में भी विभाग अलर्ट मोड़ पर आ गया है। ड्रग इंस्पेक्टर की ओर से जिले से दवा दुकानदारों को

    निर्देश देकर ऐसा कफ सिरप है, तो जब्त करने को कहा है। दूसरी ओर, झारखंड केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने भी इस पर गंभीरता दिखाई है।

    धनबाद समेत सभी जिलों के जिलाध्यक्ष को पत्र लिखकर कोल्ड्रिफ कफ सिरप यही है, तो इसे वापस कंपनी को करने को कहा है। महासचिव सुभाष चंद्र मंडल ने कहा कि हालांकि झारखंड में यह दवा नहीं है, लेकिन यही इसके बावजूद कहीं स्टाक है, तो इसे लौटाया जाएगा।

    धनबाद में हर माह 20 लाख की कफ सिरप की बिक्री

    विभाग की मानें तो जिले में हर महीने लगभग 20 लाख रुपए के कफ सिरप की बिक्री हो रही है। इसमें लगभग 2 लाख से ज्यादा के कफ सिरप बच्चों को दी जा रही है। केवल कफ सिरप पर ही एक बड़ा बिजनेस धनबाद में चल रहा है।

    हाल में ही में धनबाद के बेकारबांध के पास भारी मात्रा में एक बड़ी कंपनी के खांसी की दवा के रैपर जब्त किए गए थे। लेकिन इस पर अभी तक कोई खुलासा नहीं हो पाया। स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय पुलिस अभी तक कार्रवाई के नाम पर फाइलों की ही जांच रही है।

    खुद से नहीं खरीदे खांसी की दवा: डॉ. अविनाश

    एसएनएमएमसीएच के शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ. अविनाश कुमार ने बताया कि 2 वर्ष से नीचे के बच्चों को खांसी की दवा अमूमन नहीं दी जाती है। 6 माह के नीचे के बच्चे को तो बिल्कुल नहीं दी जाती है।

    6 महीने से ऊपर के बच्चों को लक्षण के अनुसार खांसी की दवा दी जा सकती है। लेकिन इसके लिए सामान्य साल्ट जैसे लिवोसमुटामोल, सिट्राजिन दवा देते हैं। एक साथ कई साल्ट वाली दवा नहीं दी जाती। निर्देश का पालन होगा।

    उन्होंने कहा कि सबसे पहले मरीज व उनके घरवाले खुद से दवा दुकान से दवा नहीं खरीदें। क्योंकि मुनाफा के चक्कर में घटिया क्वालिटी की दवा मरीज तक पहुंच जाती है। जब भी दवा खरीदें, डाक्टरों की पर्ची से और उनकी लिखी दवा ही खरीदें।

    जब भी दवा खरीदें, तो कोई ब्रांड अथवा बड़ी विश्वसनीय कंपनी की दवा खरीदें। जिससे मिलावट या क्वालिटी में खराबी लगभग नहीं मिलती है।

    सरकारी अस्पताल में सप्लाई दवा की भी होगी जांच

    ड्रग इंस्पेक्टर की ओर से सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की जाने वाली दवा की भी जांच की जाएगी। इससे पहले स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी की जगह की जांच के बाद गुणवत्ता में फेल निकली थी। मामले पर हाई कोर्ट में चल रही है।

    इससे पहले स्वास्थ्य विभाग के एनसीसी एनसीडी सेल की ओर से खरीदी गई, बीपी शुगर की दवा भी काम गुणवत्ता की शिकायत आई थी, इसकी भी जांच चल रही है।

    विभिन्न जगहों पर हो रही जांच: ड्रग इंस्पेक्टर

    ड्रग इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यालय का निर्देश का पालन हो रहा है। सभी दवा दुकानों को निर्देश दिया जा रहा है। यदि कोल्ड्रिफ कफ सिरप कहीं पाया जाता है, तो तत्काल जब्त कर लिया जाएगा। इसमें दवा दुकानदारों को भी सहयोग करने को कहा गया है।

    क्या कहते हैं मरीज

    मरीज जान बचाने की लिए दवा लेते हैं, लेकिन मिलावट के कारण दवा जहरीला बन रहा है। ऐसे में आखिर दवा कंपनियों पर कैसे विश्वास किया जाए। - अशोक कुमार, बैंक मोड़

    घर में अमूमन कोई न कोई सर्दी-खांसी से बीमार पड़ते हैं। लेकिन दवा कंपनियों की मिलावट के कारण अब तो डर लगता है। खासकर बच्चों की दवा को लेकर जो घटना सामने आई है, झकझोरने वाली है। - भोलानाथ, भूली