सौ साल बाद चिरकुंडा के लोगों को बराकर नदी पर मिलेगा नए पुल का तोहफा, निर्माण कार्य में तेजी लाने का निर्देश
Dhanbad News बिहार और पश्चिम बंगाल को जोड़ने के लिए चिरकुंडा में बराकर नदी पर 1925 में पुल का निर्माण कराया गया था। उस समय बिहार और ओड़िशा सरकार ने मिलकर जमीन देकर पुल का निर्माण कराया था।
आशीष अंबष्ठ, धनबाद: बिहार और पश्चिम बंगाल को जोड़ने के लिए चिरकुंडा में बराकर नदी पर 1925 में पुल का निर्माण कराया गया था। उस समय बिहार और ओड़िशा सरकार ने मिलकर जमीन देकर पुल का निर्माण कराया था।
इस पुल की क्षमता दस टन भार उठाने की है लेकिन समय बदलने के साथ इसकी उपयोगिता बढ़ती चली गई। समय के साथ काफी उच्च भार वाले वाहन भी इस ब्रिज से गुजरने लगे। कोलियरी क्षेत्र और पश्चिम बंगाल सीमा होने के कारण अवागमन काफी बढ़ गया।
निर्माण कार्य के तेजी लाने के निर्देश
झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ने वाली बराकर नदी पर निर्माणाधीन टू लेन पुल के निर्माण में तेजी लाने के लिए पथ प्रमंडल सचिव ने निर्देश दिया है। यह योजना वैसे भी एक साल लेट चल रही है। पुल निर्माण की प्रगति को लेकर विभाग लगातार समीक्षा कर रहा है।
झारखंड सरकार ने तीन साल पहले शुरू की थी पहल
चिरकुंडा बराकर के बीच बनने वाले इस पुल के लिए झारखंड सरकार ने तीन साल पहले ही पहल की थी लेकिन कोरोना काल के कारण दो साल मामला लटक गया। अब फिर से इस पर काम शुरू हुआ है। फिलहाल पिलर का काम शुरू किया गया है।
दरोगा प्रधान कंस्ट्रक्शन कंपनी को पुल निर्माण का जिम्मा दिया गया है। कंस्ट्रक्शन कंपनी के मुताबिक, 2024 दिसंबर तक पुल का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
55 करोड़ की लागत से बन रही पुल
55 करोड़ की लागत से बनाए जा रहे इस पुल पर पैदल चलने के लिए अलग से फुटपाथ भी बनाया जाएगा। पुल की लंबाई 650 मीटर और चौड़ाई 14.8 मीटर होगी। गौरतलब है कि पुराने पुल के क्षतिग्रस्त होने के कारण बड़े और वजनदार वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही इस पुल की आयु सीमा भी समाप्त हो गई है।
घुमकर जाना पड़ता है बंगाल
पुल के कमजोर होने के कारण लोगों को 10 किलो मीटर घुमकर डिगुडीह चेकपोस्ट होकर जाना आना पड़ता है। इस वजह से टोल टैक्स का अतिरिक्त भार भी लोगों को उठाना पड़ता है।
पुराने पुल के बगल में बन रहा
15 मीटर की दूरी पर नए पुल का निर्माण किया जा रहा है। यह चिरकुंडा की तरफ से दाहिने साइड की ओर बनाया जा रहा है। इसका ठेका दारोगा प्रधान ठेका कंपनी को दिया गया है। कंपनी को दो साल के भीतर काम को पूरा करने का निर्देश दिया गया है।