Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Dr. Keshav Baliram Hedgewar ने रखी थी आरएसएस की नींव, आज उनकी मनाई जा रही जयंती

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Thu, 01 Apr 2021 10:27 AM (IST)

    डॉ. हेडगेवार की आज जयंती मनाई जा रही है। भाजपा के नेता हिंदू धर्म को संगठित करने और मानसिक रूप से सबल बनाने के उनके प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें याद कर रहे हैं। विधायक राज सिन्हा ने भी ट्वीट कर आरएसएस के संस्थापक को याद किया है।

    Hero Image
    आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ( फाइल फोटो)।

    धनबाद, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक और प्रथम सर संघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की आज ( 1 अप्रैल) को जयंती है। उनका जन्म 1 अप्रैल, 1889 को नागपुर के एक गरीब ब्राह्मण परिवार के बलिराम पंत हेडगेवार के घर जन्मम हुआ था। इनकी माता का नाम रेवतीबाई था। डॉ. हेडगेवार की आज जयंती मनाई जा रही है। आरएसएस और भाजपा के नेता हिंदू धर्म को संगठित करने और मानसिक रूप से सबल बनाने के उनके प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें याद कर रहे हैं। धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा ने भी ट्वीट कर आरएसएस के संस्थापक को याद किया है। उन्हें कोटि-कोटि नमन किया है। झारखंड विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने भी ट्वीट कर आरएसएस के संस्थापक को नमन-वंदन किया है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विजयादशमी के दिन की आरएसएस की स्थापना

    डॉ. हेडगेवार के पिता बलिराम वेद-शास्त्र के विद्वान थे एवं वैदिक कर्मकांड (पंडिताई) से परिवार को भरण-पोषण करते थे। केशव के दो बड़े भाई थे-महादेव और सीताराम। हिंदू राष्ट्र के सपने को साकार करने के लिए 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ. हेडगेवार ने आरएसएस की नींव रखी। वह आरएसएस के पहले सरसंघचालक बने। उन्होंने आरएसएस को राजनीति से दूर रखते हुए हिंदू धर्म को संगठित और संस्कारित करने का काम शुरू किया। सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों को अपना केंद्र बनाया। आज आरएसएस वटवृक्ष बन चुका है। देश की राजनीति पर गहरा प्रभाव है।

    वंदेमातरम गाने पर स्कूल से हुआ था निष्कासन

    डॉ. हेडगेवार की शुरूआती पढ़ाई नागपुर के नीट सिटी स्कूल में हुई। स्कूल में वंदेमातरम गाना गाने के कारण उन्हें निकाल दिया गया। इसके बाद घरवालों ने पढ़ाई के लिए यवतमाल और पुणे भेजा। मैट्रिक के बाद हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीएस मूंजे ने उन्हें मेडिकल की पढ़ाई के लिए कोलकाता भेजा। कोलकाता में डॉक्टरी की पढ़ाई के दाैरान ही वह देश की नामी क्रांतिकारी संस्था अनुशीलन समिति से जुड़ गए। 1915 में नागपुर लाैटने पर वह कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हो गए। विदर्भ प्रांतीय कांग्रेस के सचिव भी बने। 

    खिलाफत आंदोलन के बाद कांग्रेस से हुआ मोहभंग

    1920 में नागपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ। उन्होंने कांग्रेस में पहली बार पूर्ण स्वतंत्रता को लक्ष्य बनाने का प्रस्ताव पेश किया। यह प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। 1921 में कांग्रेस के  असहयोग आंदोलनों में वे भी जेल गए। इसके बाद भारत में शुरू हुए धार्मिक-राजनीतिक खिलाफत आंदोलन के चलते हेडगेवार का मन कांग्रेस से छिन्न हो गया। 1923 में सांप्रदायिक दंगों के बाद उन्होंने कांग्रेस को छोड़ हिंदुत्व की राह चली। आरएसएस की स्थापना की। डॉ. हेडगेवार का निधन 21 जून, 1940 हो हुआ।