Dhanbad Judge Murder Case Verdict: आ गया फैसला... राहुल व लखन दोनों दोषी करार... न्यायाधीश ने माना जानबूझकर मारी थी टक्कर
महज एक संयोग ही कहें की न्यायाधीश उत्तम आनंद की पहली पुण्यतिथि के ही दिन धनबाद सीबीआई के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक की अदालत ने मामले के दोनों नामजद आरोपी लखन व राहुल वर्मा को हत्या का दोषी करार दिया।

अजय भट्ट, धनबाद: जज उत्तम आनंद मर्डर केस में दोनों आरोपित दोषी पाए गए। विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक ने माना कि जज साहब को जानबूझकर टक्कर मारी गई थी। इसे महज एक संयोग ही कहें की न्यायाधीश उत्तम आनंद की पहली पुण्यतिथि के दिन ही फैसला आया। धनबाद सीबीआई के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक की अदालत ने मामले के दोनों नामजद आरोपी लखन वर्मा एवं राहुल वर्मा को हत्या का दोषी करार दिया। अदालत सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 6 अगस्त की तिथि निर्धारित कर दी है।
26 जुलाई 2022 को दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने 28 जुलाई की तारीख फैसले के लिए निर्धारित की थी। धनबाद सीबीआई के विशेष अदालत ने इस मामले का स्पीडी ट्रायल किया। 22 फरवरी 2022 को आरोप तय होने के बाद महज पांच महीने में 58 गवाहों का बयान दर्ज कर लिया। सुनवाई के दौरान सीबीआई के क्राइम ब्रांच के स्पेशल पीपी अमित जींदल ने आरोप पत्र के कुल 169 गवाहों में से 58 गवाहों का बयान दर्ज कराया था। सीबीआइ ने दावा किया था कि आरोपित लखन वर्मा एवं राहुल वर्मा ने जानबूझकर जज साहब को टक्कर मारी जिनसे उनकी मौत हुई । वहीं बचाव पक्ष ने इसे महज एक दुर्घटना बताया था ।
रणधीर वर्मा चौक पर आटो ने मारी थी टक्कर
जज उत्तम आनंद की माैत 28 जुलाई 2021 की सुबह हुई थी। वह घर से सुबह की सैर पर निकले थे। धनबाद के रणधीर वर्मा चाैक पर 5 बजकर 8 मिनट पर एक ऑटो ने धक्का मार दिया। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। सीबीआइ ने दावा किया था कि 27 जुलाई 2021 को दोनों मोबाइल चोरी करने में कामयाब नहीं हो पाए थे। जिस कारण दोनों को अफसोस था। इसी कारण दोनों ने यह तय किया था कि आज मोबाइल चोरी कर लेना है। इसीलिए सुबह 5:00 बजे दोनों ऑटो लेकर निकले थे। मोबाइल छीनने की नियत से लखन ने जज साहब को टक्कर मारी थी। और भाग गए थे। सीसीटीवी में भी यह घटना कैद हुई थी। घटना का सीसीटीवी फुटेज देखने से ऐसा प्रतीत हुआ कि यह हादसा नहीं है। जज को जानबूझकर धक्का मारा गया। इस घटना को सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया। झारखंड सरकार की अनुशंसा पर मामले की जांच की जिम्मेवारी सीबीआइ को साैंप दी गई। पहले झारखंड सरकार द्वारा गठित एसआइटी ने मामले की जांच की। इसके बाद 4 अगस्त 2021 को सीबीआइ को जांच सौंप दी गई थी। दो माह के अनुसंधान के बाद 20 अक्टूबर 2021 को सीबीआई ने दोनों के विरुद्ध हत्या का आरोप लगाते हुए चार्जशीट दायर कर दिया था। वही सीबीआई ने हत्या के अलावा ऑटो चोरी एवं मोबाइल चोरी की दो अलग एफआइआर दर्ज किया था। सीबीआई के विशेष अभियोजक अमित जिंदल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सजा के बिंदु पर सुनवाई के दिन वह अदालत से दोनों आरोपियों की फांसी की सजा की मांग करेंगे। दोनों ने न्यायपालिका पर हमला किया है
सीबीआई के वकील अमित जिंदल धनबाद कोर्ट में। (जागरण)
बचाव पक्ष ने क्या कहा
बचाव पक्ष के वकील कुमार विमलेंदु कोर्ट रूम में उपस्थित। (जागरण)
बचाव पक्ष के अधिवक्ता कुमार विमलेंदु ने कहा कि एक ऑटो ड्राइवर जज की हत्या नहीं कर सकता। इस मामले में इंटेंशन और मोटीव दोनों का अभाव था। कोर्ट ने इस बिंदु पर विचार नहीं किया कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट में अपील दायर कर चुनौती देंगे।
सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक ने फैसला पढ़ रहे है। अनुसंधान के दौरान यह पाया गया कि ऑटो रिक्शा से जानबूझकर धक्का मारी गई। पीएमसीएच में उनकी मौत हुई। पुलिस ने 321 बटा 21 कांड दर्ज किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए झारखंड सरकार ने सीबीआइ जांच की अनुशंसा की थी। अभियोजन ने 58 गवाहों का परीक्षण कराया गया है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस कोर्ट में चला कर देखा गया।
सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक के फैसले का लाइव
जज रजनीकांत पाठक: जज ने कहा कि सीबीआइ ने दोनों के विरुद्ध धारा 302 में आरोप पत्र समर्पित किया था।
दोनों दो फरवरी 2021 से जेल में बंद है। दोनों के विरुद्ध हत्या हत्या का षड्यंत्र का आरोप है। मैं धारा 302 हत्या के परिभाषा को पढ़ना उचित समझता हूं। अभिलेख पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर मैंने पाया कि अभियोजन यह साबित किया कि उत्तम आनंद की मौत हुई। वीडियो क्लिप और फोटोग्राफ्स एक्सपर्ट के ओपिनियन भी बताते हैं कि उनकी मौत हुई। इलेक्ट्रॉनिक्स सीसीटीवी फुटेज भी यह बता रहे हैं कि ऑटो रिक्शा से धक्का लगने के कारण उत्तम आनंद की मौत हुई है। मैं पाता हूं कि चश्मदीद पवन कुमार पांडे ने से उत्तम आनंद को ऑटो से धक्का मारते हुए देखा था। और उसने अदालत में यह बात बताई थी। नर्स ने भी धक्का मारते देखा था। और घायल को उसने आशुतोष और श्रवण की सहायता से सदर अस्पताल ले गए थे।
जज रजनीकांत पाठक: सदर अस्पताल का गेट बंद था, जहां से उन्हें पीएमसीएच ले जाया गया था। इलाज किया गया था। फोन करने पर एंबुलेंस नहीं आई थी। ऑटो से जज को ले जाया गया था। मैं पाता हूं कि विश्वकर्मा प्रोजेक्ट में काम करने वाले सरवन सिंह ने भी ऑटो को धक्का मारते हुए देखा था। जब रणधीर वर्मा चौक से गुजर रहा था।
जज रजनीकांत पाठक: इस मामले में तीन चश्मदीद गवाह थे। तीनों ने ऑटो को जज साहब को धक्का मारते देखा। धक्का लगने से जब साहब के सर में गंभीर चोट लगी थी। जो मृत्यु के लिए पर्याप्त थी। सभी डॉक्टरों ने और फॉरेंसिक रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि की। सभी गवाहों के बयान से यह साबित होता है कि एक जीवित आदमी की मौत हुई। ऑटो के धक्का लगने के कारण ही मौत हुई और दोनों ने जानबूझकर धक्का मारा। इस संबंध में लाए गए साक्ष्य की विवेचना पर मैं यह पाता हूं कि सीसीटीवी फुटेज वीडियो क्लिप फोटोग्राफ यह साबित कर रहा है कि ऑटो से धक्का मारी गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट मेडिकल टीम के द्वारा की गई जिसमें बताया कि सर में गंभीर चोट लगने के कारण जज की मौत हुई।
जज रजनीकांत पाठक: यह स्पष्ट है की ऑटो से धक्का मारी गई उत्तम आनंद की मौत हुई रणधीर वर्मा चौक के फुटेज से यह स्पष्ट होता है। और मैं पाता हूं कि ऑटो रिक्शा के सामने सीट पर दो लोग बैठे थे। मैंने फुटेज को दर्जनों बार देखा। तीन ऐसे फुटेज है जिसमें यह दिखता है कि एसएसएलएनटी की ओर ऑटो जा रहा था। उसमें पता चलता है कि जज कॉलोनी की आटो ने दो राउंड मारी थी। इस विषय पर विवाद नहीं है कि ऑटो लखन चला रहा था। राहुल आटो में लखन के बगल मे बैठा था।
दिल्ली से सीबीआइ के वकील अमित जिंदल धनबाद कोर्ट पहुंच चुके है। बचाव पक्ष के वकील कुमार विमलेंदु भी कोर्ट रूम में उपस्थित हाे चुके है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के थ्रू जेल से दोनों आरोपित लखन व राहुल वर्मा को जोड़ा गया है। राहुल ने अपने वकील विमेलेंदु को वहीं से प्रणम किया। दोनों के अंदर नहीं दिख रहा है किसी तरह का भय। दोनों शांत लग रहे है। जज उत्तम आंनद हत्याकांड का फैसला बस कुछ ही देर में आने वाला है। डीएसपी अरविंद विन्हा भी पहुंचे कोर्ट पहुंच चुके है। सुरक्षा व्यवस्था का जायजा ले रहे है। अधिवक्ताओं से खचा-खचा भरा है धनबाद कोर्ट परिसर। आम जनों की भीड़ वैसी नहीं है जैसा अमूमन बड़े या चर्चित मामलों के फैसले में देखा जाता है। अधिवक्ताओं के अलावा विभिन्न अखबार व चैनलों व अन्य मीडिया कर्मी उपस्थित है। दोनों आरोपियों के स्वजन भी अब तक कोर्ट नहीं पहुंचे है।
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