मंदिर के पास मौत का मुहाना: अवैध कोयला खदान में मजदूर जख्मी, 20 मीटर दूर पढ़ते हैं बच्चे
धनबाद के कोयलांचल एरिया में अवैध कोयला खनन बेरोकटोक जारी है। नावागढ़ के पंडुआभीठा गांव में अवैध कोयला खदान में काम के दौरान एक मजदूर गंभीर रूप से जख्मी हो गया। यह खदान एक काली मंदिर और स्कूल के पास थी। घटना के बाद उसे आनन-फानन में अन्यत्र भेजा गया। इससे पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल उठे हैं।

संवाद सहयोगी, जागरण कतरास (नावागढ़)। नावागढ़ के खरखरी ओपी क्षेत्र के पंडुआभीठा गांव में अवैध कोयला खनन के दौरान शुक्रवार को एक मजदूर गंभीर रूप से जख्मी हो गया। घटना के बाद अवैध खनन में जुड़े कारोबारियों ने उसे आनन-फानन में इलाज के लिए किसी अज्ञात जगह पर भेज दिया।
बताया जा रहा है कि घायल मजदूर गिरिडीह या टुंडी इलाके का रहने वाला था। इस घटना के बाद धंधेबाजों द्वारा फिलहाल बाहर से लाए गए मजदूरों को वापस भेज दिया गया है। तस्करों के भय से ग्रामीण भी खुल कर बात नहीं करना चाहते।
खदान के मुहाने पर माता की तस्वीर, बगल में स्कूल
यह अवैध मुहाना पंडुआभीठा बस्ती स्थित काली मंदिर के ठीक बगल में खोला गया है, जहां खदान के प्रवेश द्वार पर मां काली की तस्वीर लगी है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस जानलेवा मुहाने से मात्र 20 मीटर की दूरी पर पंडुआभीठा प्राथमिक विद्यालय है, जहां छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई करते हैं।
यह अवैध खदान गांव के ही लोगों द्वारा बाहर से मजदूर बुलाकर चलाई जा रही थी। खदान के अंदर पानी निकालने के लिए बिजली के तार से दो बड़े मोटर भी लगाए गए हैं, जिसके लिए अंदर से बाहर तक पाइप बिछाई गई है। खदान के बाहर सैकड़ों बोरी कोयला रखा गया है, जिसे प्रतिदिन छोटे-बड़े वाहनों के माध्यम से गंतव्य तक भेजा जाता था।
सरकार के दावों के बावजूद जारी है अवैध खनन
घटना के बाद स्थानीय लोग कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं, जो इस पूरे मामले की गंभीरता को दर्शाता है। सरकार और स्थानीय प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद कोयलांचल में अवैध खनन और तस्करी धड़ल्ले से जारी है।
ऐसी घटनाओं के बाद पुलिस प्रशासन का पूरा अमला इसे दबाने में लग जाता है और फौरी तौर पर मुहाने भरकर अपनी कार्रवाई पूरी कर देता है। कुछ दिनों पहले ही तस्करों ने अवैध खनन में धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन तक खोद डाली थी, जो इस धंधे की भयावहता को दिखाता है। इस मामले में खरखरी ओपी प्रभारी से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, परंतु उन्होंने फोन नहीं उठाया।
अवैध कोयला खनन: कितना खतरनाक?
अवैध कोयला खनन यानी बिना सरकारी अनुमति और सुरक्षा मानकों के कोयले की खुदाई। यह एक संगठित अपराध है, जिसके कारण आए दिन हादसे होते रहते हैं। मजदूर दब कर मरते रहते हैं। यह एक पूरे क्षेत्र को प्रभावित करता है। पुलिस और तस्करी की आपसी सहमति से चलता है सिंडिकेट। यह इतना खतरनाक इसलिए है-
- जान का खतरा: इन खदानों में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं होती। ये अक्सर 'रैट-होल' खदानों (चूहे के बिल जैसी सुरंग) के रूप में होते हैं, जहां सुरंग ढहने, दम घुटने या बिजली का करंट लगने से मजदूर अक्सर अपनी जान गंवा देते हैं।
- पर्यावरण का नुकसान: अवैध खनन से बड़े पैमाने पर ज़मीन धंसने, भूजल प्रदूषित होने और ग्रीन एरिया बर्बाद होने का खतरा बना रहता है।
- कानून-व्यवस्था पर खतरा: यह पूरा धंधा अक्सर कोयला माफिया गिरोहों के नियंत्रण में होता है, जिससे अपराध और हिंसा को बढ़ावा मिलता है।
तो फिर भी क्यों जारी है?
सरकार के तमाम दावों के बावजूद, यह धंधा अक्सर राजनीतिक संरक्षण और प्रशासन की कथित लापरवाही के कारण फलता-फूलता है। गरीबी और रोजगार की कमी भी एक बड़ा कारण है, जिसके चलते स्थानीय लोग और बाहरी मजदूर जान जोखिम में डालकर इस काम में शामिल हो जाते हैं।
अवैध माइंस चलने की जानकारी नहीं है। सीआईएसएफ भेज कर देखवाते हैं। उसके बाद शीघ्र ही जांच कराके भराई कराई जाएगी।
- काजल सरकार, पीओ, मधुबन
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