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    फर्जी डीड जमाबंदी पर कारवाई से धनबाद अंचल के किसने बांधे हाथ ? ऊपर के अधिकारियों का आदेश बेअसर

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Thu, 17 Feb 2022 05:46 PM (IST)

    Dhanbad Forged Land Deed News रांची उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन कुमार कहते हैं कि ऐसे मामलों में जमाबंदी रद्द करने का अधिकार उपायुक्त सह ...और पढ़ें

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    धनबाद का अंचल कार्यालय ( फाइल फोटो)।

    अजय कुमार पांडेय, धनबाद। फर्जी डीड पर दाखिल खारिज करने में जितनी तेजी धनबाद के संबंधित अंचल के कर्मी और अधिकारी दिखाते हैं, उसका दस फीसद भी इन डीड्स के सहारे हुए जमाबंदी को रद्द करने में नहीं दिखा रहे। जिसका नतीजा यह कि दो दर्जन से ज्यादा जमाबंदी रद्द करने के आवेदन अंचल कार्यालयों में सालों से धूल फांक रहे हैं। लेकिन इन आवेदनों पर सुनवाई करने की जगह अंचलों से लेकर जिला तक के अधिकारी कान में तेल डाल का सोए पड़े हैं। और आवेदकों का समय इस कार्यालय से उस कार्यालय तक सिमट कर रह गया है।

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    जलेश्वर महतो की पीड़ा काैन सुनेगा

    जिन आवेदकों का आवेदन कारवाई के लिए लंबित पड़ा है उनमें से एक हैं मनईटांड धनबाद के रहनेवाले जलेश्वर महतो। महतो कहते हैं कि उन्होंने अक्टूबर 2019 में उपायुक्त सह जिला समाहर्ता को दिए आवेदन में गलत तरीके से दाखिल खारिज के दो मामलों का हवाला दिया। उनका कहना था कि जालसाजों ने फर्जी डीड के सहारे ना केवल दाखिल खारिज करा लिया। बल्कि अंचल कर्मियों ने उसकी जमाबंदी भी चालू कर दी। जिसे रद्द कराने के लिए जिला समाहर्ता की अदालत में 1130(3)/2011-12 एंव 2713(3)/2011-12 दो वाद दायर किए थे। उनमें आदेश पारित भी हुआ। लेकिन जमाबंदी रद्द करने की कोई कारवाई अब तक नहीं हो पाई है। इसलिए आवेदन देकर जमाबंदी रद्द कराने का अनुरोध किया। लेकिन महतो के उस आवेदन पर आज तक कोई कारवाई नहीं की गई।

    धर्मेंद्र बाउरी की भी नहों हो रही सुनवाई

    जलेश्वर महतो की तरह हाल धर्मेंद्र बाउरी के आवेदन का हो रहा है। उन्होंने अंचल कार्यालय से कई बार उनके जमीन पर फर्जी डीड के आधार पर हुई जमाबंदी रद्द करने की गुहार लगाई। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलता देख डीसीएलआर को फरवरी 2021 में आवेदन दिया था। लेकिन उनका आवेदन भी फाइलों की धूल फांक रहा है। ऐसा नहीं की केवल यही दोनों आवेदनों का यह हाल हुआ है। बल्कि पिछले दो साल में ऐसे दो दजर्न से अधिक मामले सामने आए है, जब आवेदकों ने गलत डीड के सहारे जमाबंदी होने का आरोप लगाते हुए उसे रद्द करने की गुजारिश की है। लेकिन उन सभी आवेदनों पर आज तक कोई कारवाई नहीं होना अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा है।

    विधि विशेषज्ञों की राय

    इस बारे में रांची उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन कुमार कहते हैं कि ऐसे मामलों में जमाबंदी रद्द करने का अधिकार उपायुक्त सह जिला समाहर्ता को है। हालांकि आवेदन मिलने पर डीसीएलआर भी निर्णय ले सकते हैं। और ऐसे मामलों को अधिकतम एक साल के भीतर निपटा दिया जाना होता है।