Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Dhanbad के पिता–पुत्र की मेहनत ने लिखी सफलता की नई कहानी, CM Hemant Soren ने दोनों को सौंपा शिक्षक नियुक्ति पत्र

    By Dinesh Kumar Mahatha Edited By: Mritunjay Pathak
    Updated: Fri, 28 Nov 2025 09:12 PM (IST)

    Yadav Sen and son Mrinal Sen: धनबाद में पिता-पुत्र की जोड़ी ने अपनी मेहनत से शिक्षक बनने का सपना साकार किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपकर सम्मानित किया। उनकी यह सफलता की कहानी राज्य के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो कड़ी मेहनत और लगन से अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

    Hero Image

    रांची में शिक्षक नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के दौरान सहायक अध्यापक यादव सेन और उनके पुत्र मृणाल सेन।

    जागरण संवाददाता, टुंडी (धनबाद)। Dhanbad Father-Son Success Story: झारखंड के धनबाद के दक्षिणी टुंडी प्रखंड के कदैया गांव की एक साधारण-सी मिट्टी ने एक असाधारण कहानी जन्म दी है-मेहनत, लगन और सपनों पर अटल विश्वास की कहानी। सहायक अध्यापक यादव सेन और उनके पुत्र मृणाल सेन (Teacher Yadav Sen and son Mrinal Sen) ने यह साबित कर दिया कि सच्ची निष्ठा के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शुक्रवार को रांची के मोरहाबादी मैदान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से दोनों ने शिक्षक पद की नियुक्ति पत्र प्राप्त किया। यह पल सिर्फ उनके लिए नहीं, पूरे गांव के लिए गर्व व प्रेरणा का क्षण बन गया।

    यादव सेन का सफर संघर्षों से भरा रहा। जनवरी 2007 में वे पारा शिक्षक के रूप में केशका मध्य विद्यालय में नियुक्त हुए थे। सीमित साधन, जिम्मेदारियों का भार और उम्र की दौड़। इन सबके बावजूद उन्होंने पढ़ाई जारी रखी।

    2013 में कक्षा 1 से 5 तक की अनिवार्य परीक्षा उत्तीर्ण की और 2016 में 6 से 8 तक का मूल्यांकन भी सफलतापूर्वक पार किया। हर बार उन्होंने खुद से यही कहा-सरकारी शिक्षक बनना है, किसी भी हाल में। इसी दृढ़ निश्चय ने उन्हें आज इस मुकाम पर पहुंचाया।

    यादव सेन का सबसे बड़ा सपना था कि उनका बेटा भी सरकारी शिक्षक बने। मृणाल की प्राथमिक शिक्षा से लेकर एमए तक की पढ़ाई में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी-कभी गुरु बनकर, कभी दोस्त बनकर और कभी एक प्रेरक बनकर।

    वे समय निकालकर बेटे को पढ़ाते, मार्गदर्शन देते और हर कदम पर साथ खड़े रहते। आखिर माता-पिता की मेहनत और बेटे के समर्पण का फल मिला-मृणाल ने शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफलता प्राप्त कर पिता का सपना साकार कर दिया।

    मृणाल पिछले दो वर्षों से पेमिया ऋषिकेश मेमोरियल पब्लिक स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। पढ़ाने का उनका अनुभव और आत्मविश्वास इस उपलब्धि में सहायक बना। सफलता का श्रेय वे अपने दिवंगत गुरु-कदैया गांव के सेवानिवृत्त शिक्षक और ज्योतिषाचार्य सुदर्शन उपाध्याय-को देते हैं, जिन्होंने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

    पिता–पुत्र की यह संयुक्त सफलता विरली है। जहां एक ओर पिता ने अपनी मेहनत से जीवन की नई दिशा पाई, वहीं पुत्र ने अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा कर परिवार का गौरव बढ़ाया।

    यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपनी परिस्थितियों से हार मानने को तैयार बैठा है। कदैया गांव से निकली यह रोशनी बताती है-सपने सच होते हैं, बस विश्वास और निरंतर प्रयास जरूरी है।