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    Dhanbad Club: डाॅक्‍टर प्रणय पूर्वे से गठजोड़ की वजह से जीते चेतन गोयनका, पार्टी कल्चर भी बनी मेरी हार की वजह

    By Deepak Kumar PandeyEdited By:
    Updated: Tue, 31 May 2022 11:12 AM (IST)

    लड़ाई में शानदार प्रदर्शन करने वाले शहर के मटकुरिया निवासी मोटर पार्ट्स व्यवसायी सुरेश अग्रवाल ने कहा है कि डाॅक्‍टर प्रणय पूर्वे से चेतन गोयनका के गठजोड़ एवं चुनाव पूर्व पार्टी कल्चर तैयार कर उन्हें हराया गया। अग्रवाल ने यह बातें दैनिक जागरण से बातचीत में कहीं।

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    चेतन गोयनका को 351 एवं सुरेश अग्रवाल को 312 वोट मिले थे।

    जागरण संवाददाता, धनबाद: धनबाद क्लब की नई कार्यकारिणी चुन ली गई है। डाॅक्‍टर प्रणय पूर्वे पांचवीं बार धनबाद क्लब के सचिव बने हैं। चेतन गोयनका पहली बार क्‍लब के वरीय उपाध्‍यक्ष चुने गए। इसी पद की लड़ाई में शानदार प्रदर्शन करने वाले शहर के मटकुरिया निवासी मोटर पार्ट्स व्यवसायी सुरेश अग्रवाल ने कहा है कि डाॅक्‍टर प्रणय पूर्वे से चेतन गोयनका के गठजोड़ एवं चुनाव पूर्व पार्टी कल्चर तैयार कर उन्हें हराया गया। अग्रवाल ने यह बातें दैनिक जागरण से बातचीत में कहीं।

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    विदित हो कि वरीय उपाध्यक्ष पद के लिए चेतन गोयनका एवं सुरेश अग्रवाल के बीच कांटे की लड़ाई हुई थी। इस लड़ाई में सुरेश अग्रवाल मात्र 39 वोट से चुनाव हार गए थे। चेतन गोयनका को 351 एवं सुरेश अग्रवाल को 312 वोट मिले थे।

    सुरेश अग्रवाल ने कहा कि चेतन गोयनका ने सचिव पद के प्रत्याशी डाॅक्‍टर प्रणय पूर्वे से गठजोड़ कर लिया था, जबकि वह अकेले चुनाव लड़े। गठजोड़ का नतीजा हुआ कि ऐसे वोटर जो न उन्हें जानते थे और न ही चेतन को, उन्होंने चेतन को वोट दे दिया। इसके अलावा वोट के चार दिन पहले से क्लब में पार्टी का जो दौर चला, वह भी उनकी हार का एक कारण रहा। प्रतिद्वंद्वियों ने पार्टी के आयोजन पर लाखों रुपये खर्च किए। इसका भी उन्हें नुकसान हुआ है। यह अलग बात है कि पार्टी से अधिकांश वोटर प्रभावित नहीं हुए। यही कारण है कि उन्हें इतने वोट मिले। वह 1991 से धनबाद क्लब से जुड़े हुए हैं।

    पहली बार चुनाव लड़ने के निर्णय पर कहा कि आखिर सभी जगह चेतन गोयनका ही क्यों? नए लोगों को मौका क्यों नहीं मिलेगा? धनबाद क्लब, यूनियन क्लब, जिला चैंबर, बैंक मोड़ चैंबर, सर्राफा एसोसिएशन सभी जगह चेतन गोयनका हैं। इस कारण उन्होंने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। सदस्यों ने उन्हें पूरा समर्थन दिया। सुरेश अग्रवाल ने कहा कि भले ही वह चुनाव हार गए हैं, लेकिन क्लब एवं सदस्यों के हित में अपनी आवाज उठाते रहेंगे।

    धनबाद क्लब में अब कोई नया मेंबरशिप नहीं

    नई कार्यकारिणी के गठन के साथ ही क्लब अब बदला-बदला नजर आएगा। नई कार्यकारिणी अपने मुताबिक इसका संचालन करेगी। इस कार्यकारिणी ने सबसे अहम निर्णय यह लिया है कि अब क्लब में कोई भी नया सदस्य नहीं बनाया जाएगा। नए सदस्य तभी बनेंगे, जब कोई सीट खाली होगी या सदस्य सेवानिवृत्त होंगे। इसके साथ ही क्लब को सेल्फ डिपेंडेंट बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।

    क्लब के सचिव डाॅक्‍टर प्रणय पूर्वे ने बताया कि बिजली-डीजल की बजत करने के लिए क्लब ठोस कदम उठाने जा रहा है। क्लब में सोलर पैनल लगाया जाएगा। इससे हर महीने लाखों रुपये बिजली और डीजल मद में बचेगा। ओएस्टर हाल पहले से संचालित है, अब गेस्ट हाउस बनाए जाएंगे। इससे क्लब की आमदनी बढ़ेगी। क्लब में सदस्यों और बच्चों की संख्या बढ़ गई है। इसे देखते हुए रूफटाप रेस्त्रां बनाने की योजना है। यह अमूमन बड़े शहरों के क्लबों में होता है। इसके साथ ही अब पूरा क्लब डिजिटलाइज्ड होगा। कैश ट्रांजेक्शन लगभग बंद हो जाएगा।

    प्रत्‍याशियों ने जीतने के लिए एड़ी-चोटी का लगा दिया जोर

    रविवार को संपन्न हुए धनबाद क्लब के चुनाव में जीतने और हारने वाले सदस्यों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। क्लब चुनाव में भी पैसा पानी की तरह बहाया गया। उम्मीदवारों ने चुनाव में मतदान करने वाले सदस्यों के लिए बार और रेस्त्रां खोल दिया था। जो चाहे खाएं और पीएं। देर रात तक जाम छलका। एक-एक प्रत्याशी ने दो से तीन लाख रुपये खाने-पीने पर खर्च किया। चुनाव के दिन क्लब में लगभग 100 लीटर जाम छलका। आम दिनों की तुलना में इससे कम शराब की खपत क्लब में होती है।

    निवर्तमान कमेटी का सूपड़ा साफ

    कोविड की वजह से तत्कालीन सचिव संजीव बियोत्रा और उनकी कार्यकारिणी को तीन वर्ष तक क्लब में बने रहने का मौका मिल गया। इसके बाद हुए चुनाव में इस कार्यकारिणी से जुड़े लगभग सदस्यों को हार का मुंह देखना पड़ा। वरीय उपाध्यक्ष पद पर सुरेश कुमार अग्रवाल, उपाध्यक्ष पद के लिए दीपक कुमार सांवरिया, सचिव विशाल कक्कड़, संयुक्त सचिव आदित्य प्रसाद और कोषाध्यक्ष पद में अशोक कुमार चौरसिया को हार का सामना करना पड़ा।