धनबाद में 14 करोड़ की कैथ लैब भवन 9 साल बाद भी बेकार, हृदय रोगियों का सपना अधूरा
धनबाद में 14 करोड़ की लागत से बना कैथ लैब भवन 9 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया है, जिससे हृदय रोगियों का इलाज बाधित है। यह परियोजना धनबाद के लोगों के लि ...और पढ़ें

14 करोड़ की कैथ लैब भवन 9 साल बाद भी बेकार
डॉ. मोहन गोप, धनबाद। 14 करोड़ खर्च हुए, धनबाद में ही हृदय रोग का इलाज का सपना दिखाया गया, अब 9 वर्ष बीत गए। लेकिन सपना आज भी अधूरा पड़ा है। भवन बेकार हो गया है। चार मंजिला कैथ लैब सिस्टम की लापरवाही की बानगी है।
स्थिति यह है कि धनबाद के हर दिन बड़ी संख्या में हृदय रोग के मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। वर्ष 2017 में यहां तीन मंजिला कैथ लैब बनाया गया था। भवन बनाने के बाद विभाग भूल गया।
अस्पताल के लिए कार्डियोलॉजिस्ट, सर्जरी, एनेस्थेटिक्स, ट्रेनर समेत 100 कर्मियों की बहाली करनी थी, लेकिन कोई काम शुरू नहीं हुआ। अब बगल में बने सुपर स्पेशियलिटी में अलग कैथ लैब सेवा शुरू करने की बात विभाग ने की है, ऐसे में कैथ के लिए बना यह करोड़ों का भवन बेकार हो रहा है।
कोरोना में बना था कोविड सेंटर
बेकार पड़े खाली भवन को कोरोना समय में कोविड सेंटर बनाया गया था। यहां संक्रमित मरीजों का इलाज हुआ। लगभग 300 करोड़ रुपए का यहां सामान व उपकरण लगाए गए। इसमें ऑक्सीजन प्लांट भी शामिल है। लेकिन अब सभी मशीन भी बेकार हो रहे हैं। एसएनएमएनसीएच प्रबंधन अब मशीन को अपने मुख्य भवन में शिफ्ट कर रहा है।
धनबाद में 90,000 हृदय रोगी
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार धनबाद की कुल 32 लाख की आबादी में लगभग 3 प्रतिशत आबादी फिलहाल हृदय रोग और उसके जोखिम से पीड़ित है। लगभग 90000 हृदय रोगी अथवा हृदय की परेशानी से जूझ रहे हैं। युवा अब इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं। ज्यादा संख्या 25 से लेकर 45 वर्ष की है। पहले 50 के ऊपर के लोग पीड़ित हो रहे थे। ऐसे में कैथ लैब सेवा मिलने से मरीजों की सरकारी स्तर पर यहां इलाज हो पाता।
कैथ लैब में क्या-क्या होती है सेवाएं
कैथ लैब में हृदय रोगियों के लिए एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग लगाया जाता है। इसके साथ मरीज को पेसमेकर लगाना या डिफिब्रिलेटर लगाया जाता है। इसके साथ ओपेन सर्जरी, दिल का दौरा पड़ने पर सर्जरी होती है।
कैथ लैब की सेवा सुपर स्पेशियलिटी में शुरू करने की योजना है। वर्तमान कैथ लैब भवन के बारे में मुख्यालय के आदेश का इंतजार है। यहां फिलहाल सामान्य मरीजों का इलाज हो रहा है।- डॉ. डीके गिंदौरिया, अधीक्षक, एसएनएमएमसीएच।
Mohan Kumar Gope

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