Deoghar Ropeway Accident: त्रिकुट पर्वत पर हादसे के 70 दिन बाद उस खौफनाक मंजर की जांच को पहुंची टीम
झारखंड के देवघर में त्रिकुट पर्वत पर 44 डिग्री पर बने रोप वे में 10 अप्रैल को हादसा हो गया था। रोपवे का शाॅफ्ट टूट गया था जिससे रोप चक्के से उतर गया और हवा में 48 जिंदगी 44 घंटा तक झूलती रह गई थी।
जागरण संवाददाता, देवघर: झारखंड के देवघर में त्रिकुट पर्वत पर 44 डिग्री पर बने रोप वे में 10 अप्रैल को हादसा हो गया था। रोपवे का शाॅफ्ट टूट गया था, जिससे रोप चक्के से उतर गया और हवा में 48 जिंदगी 44 घंटा तक झूलती रह गयी थी। इस घटना में तीन यात्री की मौत हो गई थी। सरकार ने 19 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर जांच कमेटी को दो महीने में रिपोर्ट देने का समय दिया था।
सरकार की गठित जांच कमेटी मंगलवार को अजय कुमार सिंह, प्रधान सचिव (वित्त) के नेतृत्व में पहुंची है। इस कमेटी में सचिव पर्यटन अमिताभ कौशल, निदेशक राहुल कुमार सिन्हा, रत्नाकर शुंकी डायरेक्टर ऑफ माइंस सेफ्टी और एनसी श्रीवास्तव, एडवाइजर रोपवे नेशनल हाईवे लाॅजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड हैं। टीम घटनास्थल का मुआयना करने के बाद घटना में फंसे लोगों से भी बातचीत करेगी।
बता दें कि घटना के बाद मृतक के स्वजन को पांच-पांच लाख और दामोदर रोपवे इंफ्रा ने 25-25 लाख का मुआवजा दिया था। घटना के बाद सरकार ने जांच का आदेश दिया। इसके लिए एक कमेटी बनाई गई। हालांकि कमेटी ने घटना के 70 दिन बाद भी इसकी जांच शुरू नहीं की है, और ना ही जांच स्थल का मुआयना ही टीम ने किया है। मालूम हो कि घटना के चार दिन बाद प्रशासन के निर्देश पर रोप वे संचालन एरिया को सील कर दिया गया था। सीसीटीवी कैमरा की नजर में पूरे एरिया को ले लिया गया है। इधर, सामने श्रावणी मेला है। अब तक जांच नहीं होने से यह तो स्पष्ट लग रहा है कि मेला में रोप वे का संचालन नहीं होगा। दूसरी ओर शाॅफ्ट टूटने का कारण भी जांच के बाद ही पता चल पाएगा।
रामनवमी के दिन हुआ था हादसा, करीब 44 घंटे तक चला था रेस्क्यू ऑपरेशन
बता दें कि वह रामनवमी का दिन था। रविवार को सूरज ढलने के वक्त हादसा हो गया। हादसे में उस वक्त रोपवे में सववार 48 यात्री फंस गए थे। करीब 44 घंटे के बाद फंसे यात्रियों को सकुशल निकाल लिया गया। घटना में तीन लोगों की मौत भी हो गई थी। इनमें से दो ने रेस्क्यू के दौरान अपनी जान गंवाई थी। तब पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन ने कहा था कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। हाई रिस्क रेस्क्यू में सेना, आर्मी और एनडीआरएफ की टीम ने साहसिक काम किया था।
जानकारी हो कि उस समय शाॅफ्ट टूट जाने से रोप वे का परिचालन जो एक झटके के साथ रुका, वह अबतक उसी स्थिति में रुका ही है।
हादसे के अगले दिन सुबह से रेस्क्यू की कमान वायु सेना के दो हेलीकाप्टर, आर्मी, आइटीबीपी और एनडीआरएफ ने संभाल ली थी। 48 यात्रियों को निकालने के लिए संयुक्त रूप से 14 घंटा 55 मिनट का रेस्क्यू अभियान चलाया। इसमें दो को छोड़कर बाकी को सकुशल निकाल लिया। इसमें पहला पर्यटक दरभंगा का था, जबकि आखिरी व्यक्ति देवघर के छठीलाल साह थे। सभी यात्रियों को निकालने के बाद वायु सेना के जवानों ने एक एक केबिन की दोबारा जांच की थी। इसके बाद रेस्क्यू को क्लोज करने की घोषणा की गयी थी। रोप वे का संचालन दामोदर रोप वे इंफ्रा लिमिटेड कर रही थी। झारखंड राज्य पर्यटन विकास निगम ने इसके लिए ई निविदा की थी। कंपनी 2012 से इस रोप वे का संचालन कर रही थी।