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    मौत का 'गोफ' बना दिल्ली-कोलकाता हाईवे का खरनी ओवरब्रिज, NHAI की साठगांठ पर जांच की मांग!

    By Sushil Kumar ChaurasiaEdited By: Nishant Bharti
    Updated: Thu, 13 Nov 2025 03:23 PM (IST)

    दिल्ली-कोलकाता हाईवे पर खरनी ओवरब्रिज दुर्घटनाओं का केंद्र बन गया है, जिससे यह 'मौत का गोफ' बन गया है। स्थानीय लोगों ने NHAI पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है और ओवरब्रिज के निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल की जांच की मांग की है। लोगों का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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    दिल्ली-कोलकाता हाईवे 

    जागरण संवाददाता, कतरास (धनबाद)। कोलकाता-दिल्ली सिक्स लेन नेशनल हाईवे 2 (अब 19) पर स्थित खरनी ओवरब्रिज के अचानक धंस जाने से देश के सबसे व्यस्ततम परिवहन मार्गों में से एक पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। अहले सुबह हुई इस घटना के बाद पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से में एक विशाल गोफ बन गया है, जिसमें निर्माण में इस्तेमाल हुआ घटिया सरिया और जर्जर कंक्रीट साफ दिखाई दे रहा है। 

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    सड़क के नीचे का भाग भरभरा कर गिरने के कारण स्थिति काफी चिंताजनक बनी हुई है, और इस घटना ने पुल का निर्माण करने वाली कंपनी अशोका बिल्डकॉन पर निर्माण में घोर लापरवाही और खराब गुणवत्ता वाली सामग्री के इस्तेमाल के गंभीर आरोप लगा दिए हैं।

    लापरवाही की खुली पोल 

    स्थानीय दुकानदारों और ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के समय से ही ब्रिज के नीचे से हर जगह पानी टपक रहा था। यह स्पष्ट रूप से जल-रिसाव और ड्रेनेज सिस्टम की विफलता का संकेत था, जिसकी जानकारी संबंधित विभाग को दिए जाने के बावजूद निर्माणकर्ता या एनएचएआई के अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया। 

    स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि सड़क में छेद होने के बाद भी वाहनों का आवागमन जारी रहा, और बड़े वाहनों के गुजरने से ब्रिज के नीचे का प्लास्टर गिरता जा रहा था। यदि समय रहते आवागमन नहीं रोका जाता, तो लाखों यात्रियों की जान जोखिम में पड़ सकती थी।

    दुर्घटना की सूचना मिलने के बाद संबंधित विभाग के कर्मी मौके पर पहुंचे और इसकी सूचना एनएचएआई के पदाधिकारियों को दी। जिसके बाद पदाधिकारी मौके में पहुंचकर क्षतिग्रस्त स्थल का मुआयना किया और सुरक्षा के दृष्टिकोण से टूटी हुई लेन को पूरी तरह बंद कर दिया। वाहनों को अब रूट डायवर्ट कर सर्विस लेन की तरफ मोड़ दिया गया है।

    एनएचएआई की भूमिका पर गंभीर सवाल 

    इस घटना ने सड़क निर्माण में ठेकेदार की मनमानी के साथ ही नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों की निरीक्षण में घोर लापरवाही को भी उजागर किया है। 

    एक राष्ट्रीय महत्व के हाईवे पर पुल का इतनी जल्दी जर्जर होना सीधे तौर पर ठेकेदार और निरीक्षण करने वाले अधिकारियों की साठगांठ को दर्शाता है। 

    स्थानीय लोगों ने उच्च-स्तरीय जांच की मांग की है ताकि घटिया निर्माण के लिए जिम्मेदार अशोका बिल्डकॉन के साथ-साथ के दोषी अधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई हो सके।