बनी-बनाई सड़कों को दोबारा बनाने के लिए 3 करोड़ मंजूर, DC ने जांच के बाद रद्द किया प्रस्ताव
धनबाद में डीएमएफटी फंड के दुरुपयोग का बड़ा मामला सामने आया है। आरईओ ने पहले से बनी हुई तीन सड़कों को दोबारा बनाने के लिए तीन करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा जिसे स्वीकृति भी मिल गई थी। जांच के बाद उपायुक्त आदित्य रंजन ने इस गड़बड़ी को पकड़ा और तीनों सड़कों की स्वीकृति रद्द कर दी। अब डीएमएफटी से बनने वाली सड़कों के लिए उपयोगिता रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा।

रविशंकर सिंह, जागरण धनबाद। बोकारो के बाद धनबाद में भी डीएमएफटी फंड के दुरुपयोग का मामला सामने आया है। जांच में डीएमएफटी (जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट) के पैसे से सड़क निर्माण में बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गई है। आरईओ ने पहले से बनी सड़कों को दोबारा बनाने का प्रस्ताव भेज दिया था।
इन प्रस्तावों को स्वीकृति भी मिल गई थी, लेकिन जांच के बाद खेल खुला और धनबाद उपायुक्त आदित्य रंजन ने तीन सड़कों की स्वीकृति रद कर दी। उपायुक्त ने इस मामले में आरईओ के कार्यपालक अभियंता को शोकाज भी किया है।
पहले से बनी हुई थी पीसीसी सड़क
गोविंदपुर, कलियासोल और निरसा इलाके की तीन सड़कों पर यह गड़बड़ी पकड़ी गई। गोविंदपुर के जंगलपुर पंचायत में भीम पांडे के आवास से सोमरा मांझी के आवास तक पीसीसी सड़क पहले से बनी हुई थी। इसी तरह कलियासोल के पंचेत में कुर्बान घाट से जीरो प्वाइंट बांदा ग्राम डैम साइट तक बनी सड़क को भी दोबारा बनाने का प्रस्ताव दिया गया।
वहीं निरसा के चरघरा पंचायत में नहर किनारे बनी सड़क के समानांतर दूसरी सड़क बनाने का प्रस्ताव भेजा गया, जिसकी कोई उपयोगिता नहीं थी। नहर के एक छोर पर पहले से अच्छी हालत में सड़क है।
ऐसे पकड़ में आई गड़बड़ी
डीएमएफटी फंड से सड़क निर्माण के लिए 13 सड़कों का प्रस्ताव आरईओ ने भेजा। इसे सैंक्शन भी करा दिया गया। अचानक डीसी ने इन सड़कों की जांच कराई तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए। तीन सड़कें ऐसी मिली जो पूरी तरह ठीक हालत में हैं। पहले से बनी हुई हैं।
इनमें कुछ जगह रिपेयर से ही काम चल सकता है। तीनों सड़क के लिए करीब तीन करोड़ के फंड स्वीकृत कर दिए गए थे। खास बात यह भी है कि पिछले सात आठ वर्ष में डीएमएफटी फंड से बनी सड़कों को बिना जांच के ही बना दिया जाता था।
अब देनी होगी सड़क की यूटिलिटी रिपोर्ट
डीसी ने स्पष्ट किया कि बिना उपयोगिता वाले प्रस्ताव अब पास नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि डीएमएफटी से बनने वाली सड़कों के लिए अब यूटिलिटी सर्टिफिकेट जरूरी होगा। इसमें यह बताना अनिवार्य होगा कि कितनी आबादी को सड़क से फायदा होगा, कौन-कौन से गांव और संस्थान इससे जुड़े होंगे। अब सड़क योजनाओं की स्वीकृति से पहले उपयोगिता का ब्योरा देना अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि डीएमएफटी की राशि का दुरुपयोग न हो।
आरईओ ने पहले से बनी सड़कों को ही दोबारा बनाने का प्रस्ताव डीएमएफटी फंड से भेज दिया था। अचानक मैने जांच कराई गई तो पता चला कि तीन सड़कें पहले से बनी हुई हैं। 13 में से तीन सड़कों को रद कर दिया गया है और कार्यपालक अभियंता को शोकाज नोटिस जारी किया गया है।
— आदित्य रंजन, डीसी, धनबाद
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