DAV स्कूल अब सरकारी आदेश के तहत ही लेंगे शुल्क; अभिभावकों को राहत Dhanbad News
कोरोना से उपजे हालात के बाद शैक्षणिक संस्थान सहित अभिभावकों की स्थिति भी किसी से छुपी नहीं है। स्कूल बंद है। ऑनलाइन कक्षाएं चल रही है। ऐसी परिस्थिति में अभिभावकों पर आर्थिक बोझ न पड़े इसके लिए सरकारी आदेश है कि बच्चों से स्कूल केवल मासिक शुल्क ही ले।
धनबाद, जेएनएन : कोरोना से उपजे हालात के बाद शैक्षणिक संस्थान सहित अभिभावकों की स्थिति भी किसी से छुपी नहीं है। स्कूल बंद है। ऑनलाइन कक्षाएं चल रही है। ऐसी परिस्थिति में अभिभावकों पर आर्थिक बोझ न पड़े इसके लिए सरकारी आदेश है कि बच्चों से स्कूल केवल मासिक शुल्क ही ले।
बावजूद इसके अभिभावकों पर स्कूल लगातार दबाव बना रहा है। स्कूल के रवैये को देखते हुए झारखंड अभिभावक महासंघ के नेतृत्व में धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर, हजारीबाग, रांची, गिरिडीह सहित कई झारखंड प्रदेश के कई जिलों के अभिभावक लगातार विरोध दर्ज करा रहे है।
डीएवीसीएमसी के अधीनस्थ संचालित सभी विद्यालयों के अतिरिक्त कुछ अन्य विद्यालयों के द्वारा पिछले सत्र का शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त अन्य शुल्क जमा करने के लिए बाध्य किया जा रहा है। साथ ही शैक्षणिक सत्र 2021-22 में भी शिक्षण शुल्क सहित अन्य शुल्क जमा करने के लिए भी निर्देश जारी किया।
जिसके बाद झारखंड अभिभावक महासंघ के द्वारा जिले के 14 विद्यालय जिसमें से 11 विद्यालय डीएवी सीएमसी के अंतर्गत संचालित हो रहे हैं के अलावा बोकारो, रांची, जमशेदपुर के कई विद्यालयों के विरुद्ध शिकायत की गई। शिकायत के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, नई दिल्ली ने झारखंड सरकार के शिक्षा सचिव को पत्र जारी करते हुए आवश्यक कार्यवाई करने का निर्देश जारी किया था।
शिकायत के बाद अब डीएवीसीएमसी नई दिल्ली के द्वारा अपने अधीनस्थ संचालित सभी विद्यालयों के प्राचार्य एवं प्रबंधकों को पत्र जारी करते हुए राज्य सरकार के आदेश के आलोक में शुल्क लेने का निर्देश दिया गया है। निर्देश में यह स्पष्ट किया गया है कि सरकार के आदेश के आलोक में किसी भी प्रकार का डेविएशन नहीं किया जाएगा। डीएवीसीएमसी द्वारा निर्गत आदेश निश्चित रूप से झारखंड के अभिभावकों की बड़ी जीत है।
बताते चले कि 25 जून 2020 को आदेश जारी करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया था कि विद्यालय के सामान्य स्थिति होने तक केवल शिक्षण शुल्क मासिक दर पर लेना है। यदि किसी कारण से अभिभावक मासिक शुल्क देने में भी सक्षम नहीं हो पाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में उनकी शिक्षा बाधित नहीं होनी चाहिए।