धनबाद की 59 खदानों पर बंदी की तलवार, जानें-क्या है मामला
राज्य सरकार ने झारखंड की 334 खदानों से संबंधित लोगों को पेनाल्टी जमा करने को कहा है।
आशीष अंबष्ठ, धनबाद। सुप्रीम कोर्ट के कॉमन कॉज आदेश के आलोक में राज्य सरकार ने झारखंड की 334 खदानों से संबंधित लोगों को पेनाल्टी जमा करने को कहा है। पेनाल्टी की राशि भी 19 हजार करोड़ से ज्यादा है। पेनाल्टी नहीं जमा करने पर उन खदानों को बंद करने का सख्त आदेश है। जिन खदानों पर बंदी की तलवार लटक रही है, इसमें धनबाद की 59 खदानें शामिल हैं। मामला न्यायालय से संबंधित है इसलिए कोई भी इसमें हाथ डालना नहीं चाह रहा। विभागीय अधिकारी आदेश का पालन करने में जुटे हैं।
डीएमओ प्रदीप कुमार साह ने बताया कि सभी कोलियरी प्रबंधन को नोटिस जारी कर दिया गया है। अगर आदेश पर अमल हो गया तो बीसीसीएल की 46 कोलियरियां बंद हो जाएंगी। इसका सीधा असर धनबाद ही नहीं पूरे देश में दिखेगा। कोकिंग कोल उत्पादन करनेवाली एकमात्र कंपनी बीसीसीएल ही है। बीसीसीएल की जिन 46 कोलियरियों पर बंदी की तलवार लटक रही है उसमें फिलवक्त 30 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें स्थायी कर्मचारी पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन जो आउटसोर्स पर हैं उनकी नौकरी जानी तय है।
सेल, टाटा की कंपनियों को भी नोटिस:
खनन विभाग की ओर से बीसीसीएल, ईसीएल, सेल व टाटा प्रबंधन को राजस्व वसूली के लिए नोटिस जारी किया है। खनन विभाग ने बीसीसीएल को पहले 6233 करोड़ रुपये का पेनाल्टी चार्ज किया था, लेकिन यह राशि 2001 से लेकर 2017 के बीच गणना करने पर तीन गुणा पहुंच गई है। जिला खनन पदाधिकारी प्रदीप साह के अनुसार बीसीसीएल को 18 हजार करोड़ की राशि चुकानी होगी। सभी खदानों को मिलाकर यह राशि 19 हजार 384 करोड़ है।
बीसीसीएल का दावा:
बीसीसीएल प्रबंधन का दावा है कि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से 17 कलस्टर में सभी कोलियरियों की पर्यावरण स्वीकृति ली गई है। आदेश के अनुसार ही कोयला उत्पादन किया गया है।
बीसीसीएल की संभावित बंद होने वाली परियोजना:
ब्लॉक टू, राजापुर परियोजना, दहीबाड़ी, बसंतीमाता, मुरलीडीह, कुसुंडा, भौरा, पाथरडीह, गोपालीचक, पीबी, सलानपुर, कतरास, चैतूडीह, मुराइडीह, फुलारीटांड़, भातडीह, सिजुआ, अंगारपथरा आदि शामिल हैं। ईसीएल की संभावित बंद होनेवाली परियोजना : गोपीनाथपुर, मंडमन, हरियाजाम, कुमारधुबी, कापासाड़ा, लखीमाता आदि शामिल है।
-सेल की जीतपुर व चासनाला कोलियरी को भी नोटिस मिला है।
-टाटा की सिजुआ क्षेत्र की कोलियरी शामिल है।
जानिए, क्या है मामला
पर्यावरण स्वीकृति से अधिक कोयले का उत्पादन करने का मामला कोर्ट में दायर किया गया है। जितने टन उत्पादन दिखाकर पर्यावरण की स्वीकृति ली गई थी, उससे अधिक उत्पादन कोलियरियों में किया गया।
सबसे अधिक बकाया बीसीसीएल के पास
सभी कोलियरियों को सरकार के दिशा निर्देश पर नोटिस जारी किया गया है। पर्यावरण स्वीकृति के बिना खदानें चल रही हैं। 2001 से लेकर 2017 के बीच राजस्व गणना करने के बाद 19 हजार 384 करोड़ का डिमांड नोट तैयार कर कोल कंपनियों को दिया गया है। बीसीसीएल को करीब 18 हजार करोड़ की राशि देने को कहा गया है। सबसे अधिक बकाया बीसीसीएल के पास ही है।
-प्रदीप कुमार साह, डीएमओ धनबाद
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