Corneas चाहिए तो देर न करें, योग्य रिसीवर न मिलने पर धनबाद आई बैंक से तीन नेत्रपटल भेजे गए रांची
धनबाद आई बैंक को योग्य रिसीवर न मिलने पर तीन नेत्रपटल रांची भेजे गए। कॉर्निया की आवश्यकता वाले मरीजों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे तुरंत संपर्क करें। ...और पढ़ें

धनबाद के रांची भेजे गए तीन नेत्रपटल।
डा. मोहन गोप, धनबाद। धनबाद में नेत्रदान के तहत दान किए गए तीन लोगों के कार्निया (नेत्रपटल) को एसएनएमएमसीएच प्रबंधन ने रिम्स रांची भेज दिया है। अस्पताल प्रबंधन को धनबाद में ऐसा कोई जरूरतमंद नहीं मिला, जिसे नेत्र की जरूरत है। नेत्र की जरूरत वाले अब रिम्स जाकर कार्निया ले सकते हैं।
वहीं, कुछ मरीज मिले भी, तो यह मरीज तय समय तक अस्पताल नहीं आए। जबकि कुछ मरीज ऐसे आए जिन्हें जटिल ट्रांसप्लांट के तहत सर्जरी करने के लिए स्पेकुलर माइक्रोस्कोप की जरूरत प़ड़ती, लेकिन आई बैंक के पास अभी यह स्पेकुलर माइक्रोस्कोप उपकरण नहीं है। ऐसे में सितंबर 2025 में दुबारा खुले आई बैंक में ट्रांसप्लांट सर्जरी की शुरूआत नहीं हो पाई है।
नेत्र रोग विभाग के एचओडी डा. धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि आई बैंक में कई रिसिवर आए, लेकिन वह फिट नहीं पाए गए। कुछ लोग बाद में आने की बात कह गए। ऐसे में कर्निया को लंबे समय तक नहीं रखा जा सकता है। यह जितना जल्द जरूरतमंदों को लग जाए, वह बेहतर होता है।
ज्ञात हो कि इससे पहले एसएनएमएमसीएच में वर्ष 2014 में आई बैंक का उदघाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने किया था। 2022 में चिकित्सकों की कमी से आई बैंक पूरी तरह से बंद हो गया था। अब सितंबर 2025 में फिर से खुला।
तीन लोगों ने किया था नेत्रदान
24 सितंबर 2025 को झरिया के 79 वर्षीय तुलसीदास मोदी के मरणोपरांत नेत्रदान किया गया। वहीं, 16 नवंबर 2025 को कतरास निवासी आलोक राजगढिया का मरणोपरांत नेत्रदान किया गया। 27 नवंबर 2025 को कतरास के ही रामचंद्र सोनार का मरणोपरांत नेत्रदान कराया गया। स्वजनों का इच्छा थी कि धनबाद में किसी जरूरतमंद को कार्निया मिल पाए। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। अब रिम्स में जरूरतमंद को लगाया जाएगा।
आई बैंक में विशेषज्ञ चिकित्सक व उपकरण की कमी
आई बैंक में कई जरूरी उपकरण की जरूरत है। जिससे ट्रांसप्लांट के दौरान आने वाली विभिन्न जटिलताओं से निबटा जा सके। इसके साथ यहां पर कार्नियल सर्जन भी नहीं है। अस्पताल के पूर्व नेत्र रोग विभाग के एचओडी डा. आरके सिन्हा से सहयोग लेने की तैयारी है। प्रबंधन ने मुख्यालय रांची से कई जरूरत के सामान व उपकरणों की मांग की है।
योग्य जरूरतमंद मरीज नहीं मिलने के कारण कॉर्निया रिम्स भेजे गए हैं। आई बैंक को जल्द विकसित किया जाएगा और इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जरूरतमंद मरीजों के लिए निजी नेत्र चिकित्सालयों से भी सहयोग लिया जाएगा।- डा. धर्मेंद्र कुमार, एचओडी, नेत्र रोग विभाग, एसएनएमएमसीएच।

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