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    Dhanbad News: मौत के बाद भी वेंटिलेटर पर रखकर बिल वसूलने का आरोप, बवाल के बाद भागे डॉक्टर

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 09:48 AM (IST)

    धनबाद के एक निजी अस्पताल में भरत पंडित नामक एक मरीज की मौत के बाद हंगामा हुआ। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही और मौत की जानकारी छुपाने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि अस्पताल ने वेंटिलेटर पर रखकर बिल वसूला। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ। अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों को खारिज किया और कहा कि मरीज की हालत गंभीर थी।

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    मरीज की मौत पर सीएमसी में जमकर हंगामा

    जागरण संवाददाता, धनबाद। नावाडीह स्थित निजी अस्पताल सीएमसी में मंगलवार की शाम 35 वर्षीय भरत पंडित की मौत के बाद हंगामा हो गया। स्वजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन ने मौत की जानकारी छुपाई और मृतक को वेंटिलेटर पर रखकर बिल वसूली करता रहा।

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    इस दौरान अस्पताल परिसर में करीब चार घंटे तक अफरातफरी का माहौल रहा। सूचना मिलने पर भूली थाना पुलिस पहुंची और किसी तरह स्थिति को नियंत्रण में किया। बाद में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की मौजूदगी में त्रिपक्षीय वार्ता हुई, तब मामला शांत हुआ।

    भरत की सास पिंकी देवी ने बताया कि पिछले मंगलवार को भूली के झारखंड मोड़ के पास सड़क दुर्घटना में घायल भरत को सीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज में अब तक करीब दो लाख रुपये खर्च हो चुके थे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन बार-बार और पैसों की मांग कर रहा था।

    उन्होंने कहा कि मरीज में कई घंटों से कोई हरकत नहीं थी, फिर भी मौत की जानकारी नहीं दी गई। उल्टा कहा गया कि यदि दूसरी जगह ले जाना है तो दो लाख रुपये का बिल जमा करना होगा।

    परिजनों ने विरोध किया तो चिकित्सकों ने भरत को मृत घोषित कर शव बाहर रख दिया। इस घटना के बाद भूली बस्ती के लोग बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंचे। भीड़ बढ़ती देख सभी चिकित्सक और कर्मचारी भाग खड़े हुए, हालांकि पुलिस पहुंचने के बाद वे लौटे।

    स्वजन का आरोप है कि ईमानदारी से इलाज किया जाता तो भरत की जान बच सकती थी। भरत राजमिस्त्री का काम करता था। उसका घर बाघमारा के बरोरा में है, जबकि ससुराल भूली बस्ती में है।

    परिवार में चार माह की बच्ची और पांच साल का बेटा है। घटना के बाद से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

    आरोपों से प्रबंधन का इंकार

    अस्पताल प्रबंधक रिंकू पाल ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मरीज की स्थिति गंभीर थी। अब तक 1.40 लाख रुपये का बिल लिया गया। वेंटिलेटर से जान बचाने की कोशिश की जाती है। लापरवाही के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। 

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