लागत से कम दाम पर भी नहीं मिल रहे कोयले के खरीदार, आठ माह में BCCL को 51 करोड़ का घाटा
BCCL Reports ₹51 Crore Lossः भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) को कोयला उत्पादन लागत से कम दाम पर बिक्री के बावजूद खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं। कमजोर ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, धनबाद। Dhanbad News: भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) को कोयला उत्पादन लागत को लेकर गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रबंधन लगातार उत्पादन लागत कम करने के उपायों पर अध्ययन कर रहा है। अप्रैल से नवंबर तक कोयला प्रेषण में कंपनी को लगभग 51 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है।
बताया जाता है कि कोयला उत्पादन की लागत करीब 3150 रुपये प्रति टन पड़ रही है, जबकि कोयले की बिक्री 3125 से 3135 रुपये प्रति टन के बीच हो रही है। इस तरह प्रति टन 15 से 25 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अप्रैल से नवंबर तक करीब 175 लाख टन कोयले की बिक्री हुई, जिसमें कंपनी को घाटा सहना पड़ा।
अक्टूबर तक यह घाटा लगभग 42 करोड़ रुपये था, जो बाद में बढ़ गया। अक्टूबर 2023 से कंपनी को लगातार नुकसान हो रहा है। इसका मुख्य कारण एमडीओ व्यवस्था और अधिक ठेका लागत बताया जा रहा है। कंपनी को संचालन के लिए प्रतिमाह औसतन 1600 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है।
कोयला बिक्री से अपेक्षाकृत कम राशि मिलने के कारण कंपनी आर्थिक तंगी से गुजर रही है। वित्त विभाग आंकड़ों का विश्लेषण कर रहा है और फिक्स्ड कॉस्ट घटाने की प्रक्रिया पर काम किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले कोल इंडिया के प्रभारी चेयरमैन के बीसीसीएल दौरे के दौरान स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि फिक्स्ड कॉस्ट हर हाल में कम की जाए, तभी कंपनी की आर्थिक स्थिति में सुधार संभव है।
बीसीसीएल के सीएमडी मनोज कुमार अग्रवाल लगातार इस मंथन में लगे हैं कि कंपनी को कैसे फिर से पटरी पर लाया जाए। वे कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया के वरीय अधिकारियों के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्य कर रहे हैं।
छह साल से कोयले के दाम में नहीं हुई बढ़ोतरी
कोयले के दाम में 2019 के बाद से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। केवल प्रीमियम दरों में उतार-चढ़ाव किया गया है, वह भी पावर प्लांटों और सरकारी उपक्रमों के लिए। दूसरी ओर, हर स्तर पर महंगाई बढ़ी है। वेतन में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है और अन्य खर्च भी बढ़े हैं। ऐसे में कोयले के दाम बढ़ाने की मांग कोल इंडिया स्तर पर उठ रही है।
कोयले की कम बुकिंग से बढ़ी चिंता
ई-ऑक्शन के माध्यम से कोयले की बुकिंग में करीब 80 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे कंपनी की चिंता बढ़ गई है। बीसीसीएल की आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, चार लाख टन के ऑफर में केवल 60 से 75 हजार टन कोयले की ही बोली लग पा रही है।
इसका मुख्य कारण अवैध खनन से खुले बाजार में सस्ते दामों पर कोयले की उपलब्धता बताया जा रहा है। इसी वजह से बीसीसीएल का कोयला ई-ऑक्शन के माध्यम से नहीं बिक पा रहा है। जब फ्लोर प्राइस 4000 रुपये प्रति टन था, तब बुकिंग बेहतर होती थी। बाद में फ्लोर प्राइस घटाकर 3200 रुपये प्रति टन कर दिया गया, लेकिन इसके बावजूद बुकिंग में सुधार नहीं हुआ। ये आंकड़े बीसीसीएल की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
नवंबर में चार लाख टन कोयले का ऑफर दिया गया था, जिसमें 61 हजार टन की ही बुकिंग हो सकी। दिसंबर में फिर से चार लाख टन कोयले का ऑफर देने की तैयारी है।
इधर, स्वयं बीसीसीएल के सीएमडी मनोज कुमार अग्रवाल भी मानते हैं कि कोयला चोरी पर सख्ती से रोक लगाना जरूरी है। उन्होंने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को परियोजना क्षेत्रों में हो रही कोयला चोरी पर कड़ाई से कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

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