Dhanbad News: कोल इंडिया की नई पहल, खदानों के पानी का सिंचाई और पेयजल जैसे कार्यों में होगा इस्तेमाल
कोल इंडिया खदानों के पानी को पेयजल और सिंचाई जैसे कार्यों में उपयोग करेगी। इसे लेकर कोयला कंपनियों को काम करने को कहा कि बंद खदानों से निकाले जा रहे पानी के साथ-साथ खदानों में उपलब्ध पानी का लाभ खनन क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले लोगों को मिले इस योजना पर काम किया जाए। इसे लेकर कोल मंत्रालय की ओर से गाइडलाइन भी जारी किया गया है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: कोयला खनन के चलते हो रहे प्रदूषण को लेकर कोल इंडिया ने एक नई पहल की शुरुआत की है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए कोल इंडिया अब पेयजल और सिंचाई जैसे सामुदायिक कार्यों में तेजी लाएगी।
कोयला खदानों से निकलने वाले पानी का उपयोग ज्यादा से ज्यादा सिंचाई के लिए किया जाएगा। इसे लेकर सभी कोयला कंपनियों को प्राथमिकता के आधार पर काम करने के लिए कहा गया है। साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी इस संबंध में सुझाव मांगे गए हैं।
9 सौ गांवों के 18 लाख लोगों को मिला लाभ
कोल मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 9 सौ गांवों के लगभग 18 लाख लोगों को फिलहाल कोयला कंपनियों से लाभ मिल रहा है। यह आठ राज्यों में फैली कोयला कंपनियों के आस-पास के गांव शामिल हैं। खदानों से निकलने वाले लगभग चार हजार एलकेएल पानी की आपूर्ति सामुदायिक उपयोग के लिए बनाई गई है।
दिसंबर 2022 तक 2,788 एलकेएल की आपूर्ति की जा चुकी है। इसमें से 881 एलकेएल पानी का उपयोग पेयजल सहित घरेलू उपयोग के लिए किया गया है। खदानों के पानी का लाभ मुख्य रूप से जनजातीय समुदाय और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को मिल रहा है।
कोयला कंपनियों को दिशा-निर्देश जारी
इस नई पहल को लेकर कोयला मंत्रालय की ओर से कोयला कंपनियों को जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं और कंपनियों को इस पर काम करने के लिए भी कहा गया है।
कोयला कंपनियां को कहा गया है कि बंद कोयला खदानों से निकाले जा रहे पानी के साथ-साथ खदानों में उपलब्ध पानी का लाभ कोयला खनन क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले लोगों को भी मिले, इस योजना पर भी काम किया जाए।
जल शक्ति अभियान के तहत जल संरक्षण
कोल इंडिया लिमिटेड सरकार के जल शक्ति अभियान के तहत जल संरक्षण कर रही है। बीसीसीएल में इसका उपयोग तेजी से हो रहा है। बताया जाता है कि कोल इंडिया लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2022-23 में दिसंबर तक 16 सौ हेक्टेयर में से 1510 हेक्टेयर पर पौधरोपण का लक्ष्य भी पार कर लिया है।
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