बोकारो में अवैध जमीन पर बना है चिन्मय विद्यालय, बीएसएल ने दिया तत्काल जमीन खाली करने का नोटिस
बोकारो का चिन्मय विद्यालय अवैध जमीन पर बना है। बीएसएल के संपदा न्यायालय ने सेक्टर-पांच स्थित चिन्मय विद्यालय को 29 अगस्त तक अतिक्रमित जमीन को खाली कर ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बोकारो: बोकारो के प्रमुख स्कूलों में से एक चिन्मय विद्यालय अवैध जमीन पर बना है। बीएसएल के संपदा न्यायालय ने सेक्टर-पांच स्थित चिन्मय विद्यालय को 29 अगस्त तक अतिक्रमित जमीन को खाली करने का नोटिस दिया है।
बीएसएल की टीम ने शुक्रवार को स्कूल के मेन गेट समेत अन्य जगहों पर इस संबंध में नोटिस चिपकाया। संपदा न्यायालय ने कहा है कि जमीन खाली नहीं करने पर अतिक्रमण हटाने संबंधी अभियान चलाया जाएगा। साथ ही जमीन खाली कराने की एवज में एक लाख रुपये की वसूली स्कूल प्रबंधन से की जाएगी। जानकारी के अनुसार, चिन्मय विद्यालय प्रबंधन ने खेल मैदान की 5000 वर्ग मीटर जमीन पर लंबे समय से कब्जा जमा रखा है। इस संबंध में संपदा न्यायालय की ओर से स्कूल प्रबंधन को कई बार नोटिस भेजकर जमीन खाली करने को भी कहा जा चुका है, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने आज तक जमीन खाली नहीं की है। आखिरकार शुक्रवार को बीएसएल के संपदा न्यायालय की टीम स्कूल पहुंची और मेन गेट सहित अन्य स्थानों पर 29 अगस्त तक जमीन खाली करने से संबंधित नोटिस चिपकाया।
1979 में स्कूल प्रबंधन ने मांगी थी अतिरिक्त जमीन
जानकारी के अनुसार, चिन्मय विद्यालय ने वर्ष 1979 में स्टाफ क्वार्टर बनाने के लिए बीएसएल प्रबंधन से अतिरिक्त जमीन की मांग की थी। प्रबंधन ने पहल करते हुए एक अप्रैल 1980 को स्कूल को उसके परिसर से सटी हुई 5000 वर्ग मीटर जमीन इस शर्त पर दी थी कि वह तीन माह के अंदर निर्माण कार्य से संबंधित डिजाइन जमा करेगा। उसके बाद दोनों पार्टी के बीच लीज एग्रीमेंट होगा, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने डिजाइन जमा नहीं की। इस वजह से लीज एग्रीमेंट नहीं हो सका। प्रबंधन ने कई बार रिमाइंडर भेजा, लेकिन इसका कोई जवाब स्कूल प्रबंधन की ओर से नहीं दिया गया। वर्ष 2009 में स्कूल प्रबंधन को इस मामले में शोकाॅज किया गया था, लेकिन उसका भी जवाब नहीं मिला। इसके बाद 22 अगस्त 2017 को अलाॅटमेंट कैंसल कर दिया गया था।
जिसे भी जमीन मिली, उसी ने फैला लिये अपने पांव
चिन्मय विद्यालय तो एक उदाहरण मात्र है, दरअसल बोकारो स्टील के माध्यम से जितनी भी धर्मार्थ संस्थाओं को जमीन का आवंटन किया गया, उनमें से अधिकांश ने आवंटित भूमि से 4 गुना अधिक जमीन पर कब्जा कर व्यवसायिक उपयोग प्रारंभ कर दिया है। इन धर्मार्थ संस्थाओं ने स्वयं बीएसएल से लीज की जमीन को थर्ड पार्टी लीज भी कर दिया और अलग-अलग टेंट हाउस को देकर करोड़ों रुपए सालाना कमाई कर रहे हैं । इनमें भारत सेवाश्रम, बिरसा आश्रम, साईं मंदिर से लेकर कई अन्य संस्थाएं हैं, जिनका उद्देश्य अलग था, लेकिन आज वह उद्देश्य भटक कर केवल कुछ एक लोगों के हाथों में चली गई हैं और उन भवनों का व्यावसायिक उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है।
खास बात यह है कि लीज की शर्तों का उल्लंघन करने के बावजूद इन संस्थाओं की बिजली और पानी सहित अन्य सुविधाएं निर्बाध रूप से बहाल है। भवन तोड़ने का नोटिस तो स्टेट कोर्ट द्वारा दिया जाता है, पर इन भवनों में आपूर्ति की गई बिजली और पानी को काटने की कवायद आज तक किसी ने नहीं की, जबकि झारखंड हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए वर्ष 2011 में लोक उपक्रमों की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में स्पष्ट निर्देश जारी किया था कि अतिक्रमणकारियों की बिजली और पानी काट दिया जाए। पर कोर्ट के इस आदेश को मानने की भी जहमत बीएसएल के अधिकारियों ने नहीं उठाई।

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