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    HURL सिंदरी प्रोजेक्ट का दौरा कर दिल्ली लौटी केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय की टीम, जून अंत तक शुरू हो सकता है उत्‍पादन

    By Deepak Kumar PandeyEdited By:
    Updated: Thu, 21 Apr 2022 10:53 AM (IST)

    केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय द्वारा गठित तकनीकी विशेषज्ञों की टीम हर्ल प्रोजेक्ट सिंदरी का दौरा समाप्त कर दिल्ली वापस लौट गई है। यह टीम हर्ल प्रोजेक्ट सिंदरी के निर्माण कार्य और उत्पादन से संबंधित अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेगी।

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    टीम ने निरीक्षण के बाद तकनीकी रूप से प्रोजेक्ट के निर्माण की रिपोर्ट तैयार की है।

    संवाद सहयोगी, सिंदरी: केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय द्वारा गठित तकनीकी विशेषज्ञों की टीम हर्ल प्रोजेक्ट सिंदरी का दौरा समाप्त कर दिल्ली वापस लौट गई है। यह टीम हर्ल प्रोजेक्ट सिंदरी के निर्माण कार्य और उत्पादन से संबंधित अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेगी।

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    सिंदरी से प्रस्थान के पूर्व अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर टीम के एक सदस्य ने बताया कि तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने संयुक्त रूप से हर्ल प्रोजेक्ट के सभी प्लांटों का दौरा किया। कार्य की प्रगति की जानकारी प्राप्त की। यदि कहीं कोई परेशानी थी तो उस संबंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। हर्ल प्रोजेक्ट में यूरिया के उत्पादन के लिए निर्धारित किए गए जून अथवा जुलाई की समय सीमा से टीम संतुष्ट दिखी। हालांकि रिपोर्ट के संबंध में कुछ भी जानकारी साझा करने से इंकार कर दिया। टीम के सदस्य ने बताया कि केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय द्वारा तकनीकी विशेषज्ञों की टीम का गठन एक माह पहले किया गया था। तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने सबसे पहले हर्ल के गोरखपुर उर्वरक संयंत्र का दौरा किया और उत्पादनरत गोरखपुर उर्वरक संयंत्र के संबंध में भी अपनी रिपोर्ट तैयार की। इसके बाद तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने हर्ल के बरौनी उर्वरक संयंत्र का दौरा किया। बरौनी उर्वरक संयंत्र का निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है। अंत में तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने हर्ल के सिंदरी उर्वरक संयंत्र का दौरा किया और निरीक्षण के बाद तकनीकी रूप से प्रोजेक्ट के निर्माण की रिपोर्ट तैयार की है।

    दिल्ली में तकनीकी विशेषज्ञ बैठक कर तकनीकी रिपोर्ट को अंतिम रूप देंगे। इस रिपोर्ट को रसायन और उर्वरक मंत्रालय को सौंप दिया जाएगा। हर्ल का गोरखपुर, बरौनी और सिंदरी उर्वरक संयंत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी उर्वरक परियोजना है। हर्ल प्रोजेक्ट के तीनों संयंत्रों की प्रगति की रिपोर्ट लगातार प्रधानमंत्री कार्यालय प्राप्त करता रहता है। लगभग 25 हजार करोड़ रुपए की लागत से बन रहे तीनों संयंत्रों के निर्माण और उत्पादन में किसी भी तरह की अड़चन पीएमओ को स्वीकार नहीं है।इसलिए पीएमओ के निर्देश पर ही रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने तकनीकी टीम का गठन किया गया है। पीएमओ हर हाल में निर्धारित समय सीमा के भीतर ही यूरिया का व्यवसायिक उत्पादन चाहता है।

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