बिहारीलाल हत्याकाड में बिंदू सिंह समेत सात रिहा
धनबाद : नौ वर्ष पूर्व कपड़ा व्यवसायी बिहारी लाल चौधरी की हत्या के चर्चित मामले मे गुरूवार को जिल
धनबाद : नौ वर्ष पूर्व कपड़ा व्यवसायी बिहारी लाल चौधरी की हत्या के चर्चित मामले मे गुरूवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओम प्रकाश पाडेय की अदालत ने काड के सभी सात आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन साक्ष्य की कड़ी से कड़ी जोड़ने मे विफल रहा, इसलिए आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए रिहा किया जाता है। मामले में बिहार के बाहुबली पूर्व विधायक बिंदू सिंह , प्रवीण सिंह, सुनील सिंह, ब्रजकिशोर सिंह, प्रवीण गिरि, सुरेन्द्र यादव और शकर डे के खिलाफ सुनवाई चल रही थी जबकि आरोपित सुजीत कुमार की मौत हो जाने के कारण उसके विरूद्ध सुनवाई बंद हो चुकी थी।
9 साल व 145 तारीख चली सुनवाई : बहुचर्चित हत्याकाड की सुनवाई कुल नौ वषरें तक अदालत में चली। इस दौरान अभियोजन और बचाव पक्ष के बीच काफी कानूनी खींचतान हुई। नौ वषरें के दौरान अभियोजन ने इस मामले में कुल सात गवाहों का परीक्षण कराया। गवाहों ने घटना का तो समर्थन किया परंतु किसी भी गवाह ने आरोपितों नहीं पहचाना।
चश्मदीद पुत्र ने भी नहीं की पहचान : जिस बेटे के सामने उसके पिता को गोली मारी गई थी, उस बेटे ने भी अदालत में शूटरों के रूप में किसी की पहचान नहीं की। बिहारीलाल के पुत्र सुभाष चौधरी इस मामले के चश्मदीद गवाह थे, उनके सामने उनके घर के गेट पर उनके पिता को दो अज्ञात बाइक सवारों ने गोली मारी थी। इनके अलावा गवाह जीतेन्द्र पासवान, संजीव कुमार वर्मा, कृष्ण कुमार वर्मा आनंद अग्रवाल, संजय कुमार चौधरी ने भी किसी की पहचान नहीं की।
कड़ी से कड़ी नहीं जुड़ पाई : हत्याकाड का खुलासा करते हुए पुलिस ने दावा किया था कि बिहार के बिंदु सिंह के गुगरें ने रंगदारी की माग को लेकर कपड़ा व्यवसाई बिहारी लाल चौधरी की हत्या की थी। पुलिस ने इस कहानी को जोड़ने के लिए दो किरदार सामने लाए थे। दावा किया कि घटना से दो माह पूर्व बिहारी लाल के कर्मचारी जितेंद्र पासवान के साथ सुनील सिंह का झगड़ा हुआ था। सुनील सिंह ने उसे बुरे परिणाम भुगतने की धमकी भी दी थी। अन्य कर्मचारियों ने भी कहा था कि दुकान पर अज्ञात लोगों ने आकर धमकी दी थी परंतु धमकी देने वाला कौन था तथा जितेंद्र से झगड़ा का बिहारी लाल से क्या कनेक्शन था। इसे अभियोजन अदालत में साबित नहीं कर सका। काड के खुलासे का दावा करने वाले काड के अनुसंधानक परमेश्वर शुक्ला ने भी अदालत में आकर गवाही नही दी। रही सही कसर बचाव पक्ष के अधिवक्ता समर श्रीवास्तव, अंशु श्रीवास्तव , कुमार मनीष, रजनी मुखर्जी, सुब्रतो मुखर्जी,धर्मजीत पासवान के तीखे सवालों के बौछार ने पूरी कर दी। बचाव पक्ष के तर्कों को अभियोजन काट नहीं सका। बेऊर जेल से हुई पेशी : करीब चार बजे न्यायाधीश ने फैसला सुनाया। इस दौरान काड के आरोपित बिहार के बाहुबली बिन्दु सिंह को बेऊर जेल पटना से पेश किया गया। वहीं बोकारो जेल मेंबंद आरोपित प्रवीण सिंह की भी भीसीएस से पेशी हुई। प्रवीण सिंह, सुनील सिंह, ब्रजकिशोर सिंह, प्रवीण गिरि, सुरेन्द्र यादव सदेह उपस्थित थे। अदालती कार्रवाही के दौरान बरही के पूर्व विधायक उमाशकर अकेला यादव भी अदालत मे उपस्थित थे।
घर के गेट पर मारी थी गोली :
25 जून 2009 की रात्रि बिहारी लाल को उनके घर के समीप गोली मार दी गई थी। वह अपने पुत्र सुभाष के साथ केन्दुआ पुल के समीप स्थित दुकान से वापस घर आ रहे थे। घर के गेट के समीप पहुंचते ही मोटर साइकिल सवार दो अज्ञात हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग कर उनकी हत्या कर दी थी। पुत्र सुभाष ने हमलावरों को पकड़ने का प्रयास भी किया था परंतु हमलावर भागने में सफल हो गये थे। आनन फानन मे परिजनों ने उन्हे अस्पताल पहुंचाया था। जहा डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। पुत्र सुभाष की शिकायत पर अज्ञात के विरुद्ध हत्या की प्राथमिकी बैंक मोड़ थाने में दर्ज हुई थी। अनुसंधान के बाद पुलिस ने बिहार के बाहुबली बिन्दु सिंह, शकर डे, प्रवीण सिंह, सुनील सिंह, ब्रजकिशोर सिंह, प्रवीण गिरि, सुरेन्द्र यादव व सुजीत कुमार के विरूद्ध 25 जून 09 को आरोप पत्र दायर किया था। नौ सिंतबर 2014 को आरोप तय किए जाने के बाद सुनवाई शुरू हुई थी।
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