कतरास में बड़ा हादसा, अचानक फटी धरती और आंखों के सामने दर्जनों घर जमीन में धंसे; दहशत में लोग
कतरास के केशलपुर मुंडा पट्टी में भू-धंसान से कई घर जमींदोज हो गए। छह से अधिक घर और मवेशी 20 फीट नीचे धंस गए जिससे क्षेत्र में दहशत फैल गई। कई लोग घायल हुए और मवेशी दब गए। लोगों ने बीसीसीएल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया। प्रभावित परिवारों का भविष्य अधर में है प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग की जा रही है।

जागरण संवाददाता, कतरास। कतरास कोयलांचल और आसपास के इलाकों में कोयला उत्खनन के कारण भू-धंसान की घटनाएं आम हो चुकी हैं।
इसी कड़ी में शुक्रवार की सुबह कतरास क्षेत्र के केशलपुर मुंडा पट्टी में एक बड़ा हादसा हुआ। सुबह करीब 10:40 बजे अचानक धरती फट गई और जोरदार आवाज के साथ छह से अधिक घर और मवेशियों के खटाल लगभग 20 फीट नीचे धंस गए। इस घटना से पूरे इलाके में अफरातफरी मच गई और लोगों में दहशत फैल गई।
अचानक फटी धरती, आंखों के सामने सब कुछ खत्म
शुक्रवार की सुबह हमेशा की तरह सामान्य थी, लेकिन अचानक आई चरचराहट की आवाज ने केशलपुर मुंडा पट्टी के निवासियों की जिंदगी में भूचाल ला दिया। यह आवाज कुछ और नहीं बल्कि जमीन के नीचे दरार पड़ने की थी। जब तक लोग कुछ समझ पाते, देखते ही देखते उनकी आंखों के सामने आधा दर्जन से अधिक मकान धंस गए।
जमीन में एक विशाल गोफ बन गया, जिसके अंदर घरों का सारा सामान और मवेशी समा गए। जिन घरों को लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई से बनाया था, वे पल भर में मिट्टी में मिल गए।
हादसे के वक्त कई लोग अपने घरों के अंदर मौजूद थे। अपनी जान बचाने के लिए वे जान हथेली पर रखकर भागे। इस दौरान करीब आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें विजय यादव, अर्जुन यादव, अशोक यादव, नागेश्वर यादव, गंगा कुमार यादव, महादेव यादव, सुनील कुमार, रूखी कुमारी और मुन्नी कुमारी के परिवार के सदस्य शामिल हैं।
घायलों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, जिन्हें स्थानीय लोगों की मदद से कतरास के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया है। सबसे दुखद बात यह है कि घटना में आधा दर्जन से अधिक मवेशी भी जमीन के अंदर समा गए।
लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर कुछ मवेशियों को बचाने की कोशिश की, लेकिन कई मवेशी भू-धंसान की चपेट में आ गए। साबो देवी नामक एक महिला अपनी गायों के लिए रो रही थी, जो इस हादसे में जमीन के अंदर समा गईं। उन्होंने बताया कि उनके घर का सारा सामान, जिसमें गहने भी थे, सब कुछ जमीन में समा गया।
पुलिस और बीसीसीएल प्रबंधन पर फूटा लोगों का आक्रोश
घटना की खबर मिलते ही कतरास थाना पुलिस, रामकनाली ओपी के थाना प्रभारी संतोष कुमार रवि, कतरास पुलिस अंचल इंस्पेक्टर मुकेश कुमार चौधरी और तेतुलमारी व मधुबन के पुलिसकर्मी दल-बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने तुरंत पूरे इलाके की घेराबंदी कर बैरिकेड लगा दिए ताकि कोई भी व्यक्ति खतरे वाले क्षेत्र में न जाए।
हालांकि लोगों का गुस्सा पुलिस और बीसीसीएल प्रबंधन पर फूट पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबंधन की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ है। लोगों का कहना था कि प्रशासन ने पहले से कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे इस तरह के हादसों को रोका जा सके।
वहीं, पुलिस इंस्पेक्टर मुकेश कुमार चौधरी ने बताया कि बीसीसीएल प्रबंधन ने इस इलाके को पहले ही डेंजर जोन घोषित कर दिया था और एक महीने पहले ही रामकनाली ओपी प्रभारी द्वारा लोगों को घर खाली करने का नोटिस दिया गया था।
उन्होंने बताया कि कुछ परिवार पहले ही सुरक्षित स्थानों पर जा चुके हैं, जबकि बाकी बचे परिवारों को भी बसाने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि भू-धंसान में किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन कुछ लोग घायल हुए हैं।
प्रभावित परिवारों का भविष्य अधर में
इस घटना से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब परिवार हुए हैं। जिन लोगों के घर जमींदोज हो गए, उनके पास अब रहने के लिए कोई जगह नहीं है।
मुंडा धौड़ा के 100 से अधिक परिवार अब भी दहशत में जी रहे हैं, क्योंकि आसपास की जमीन में भी बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं, जिससे कभी भी और भू-धंसान होने का खतरा बना हुआ है। लोग आनन-फानन में अपने घरों का सामान निकालकर सुरक्षित जगह पर ले जा रहे हैं।
यह भू-धंसान की तीसरी बड़ी घटना है, जिसने लोगों को हिला कर रख दिया है। प्रशासन और बीसीसीएल प्रबंधन को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और लोगों की जान-माल की रक्षा की जा सके।
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