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Ground Report : कभी होती थी अंतरप्रांतीय खेल प्रतियोगिता, अब छलकते हैैं जाम Dhanbad News

भूसी का खेल मैदान शराब की बोतलों से पटा रहता है। कभी इन्हीं मैदान पर अंतरजिला खेल प्रतियोगिता जिला स्तर पर फुटबॉल किक्रेट मैच आयोजित होते थे लेकिन आज स्थिति विपरीत है।

By Sagar SinghEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 09:33 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 09:33 PM (IST)
Ground Report : कभी होती थी अंतरप्रांतीय खेल प्रतियोगिता, अब छलकते हैैं जाम Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। श्रमिक नगरी भूली का खेल मैदान अब अपना अस्तित्व खोने लगा है। जिस मैदान में अंतरजिला खेल प्रतियोगिता होती थी, वहां कचड़े का अंबार लगा हुआ है। ए ब्लाक मैदान में तो अतिक्रमित हो चुका है। लोग खेल मैदान की जमीन को चारों ओर से कब्जाने में जुटे हैं। ऐसे में मैदान का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त होता दिख रहा है। जिस मैदान में पहले बच्चे खेलते थे, बूढ़े बुजुर्ग सुबह शाम टहला करते थे। वहां अब लोग जाने से भी कतराते हैं।

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पूरा मैदान कचड़ा, शराब की बोतलों से पटा रहता है। एक दशक पूर्व इन्हीं मैदान पर अंतरजिला खेल प्रतियोगिता, जिला स्तर पर फुटबॉल, किक्रेट मैच आयोजित होते थे, लेकिन आज स्थिति विपरीत हो गई है। अब न तो खेल होता है और ना ही ग्राउंड की देखभाल हो रही है। यहां तक की खेल संगठनों द्वारा भी इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं किया जा रहा है।

भूली ओपी ने पहले ही बाउंड्री बढाकर ए ब्लाक मैदान के एक बड़े हिस्से को अतिक्रमित कर लिया है। दूसरी तरफ बी ब्लॉक स्थित मैदान में शाम होते ही शराबियों की महफिल सजने लगती है। साथ ही नगर निगम ने क्षेत्र का कचरा इसी मैदान के किनारे फेंकवाना शुरू कर दिया है। इससे यहां मौर्निग वॉक करना भी लोगों के लिए मुश्किल होने लगा है। खेलों के प्रति उपेक्षापूर्ण नीति के कारण भूली क्षेत्र के खिलाडियों की प्रतिभा धूमिल हो रही है। वहीं खेल मैदान पशुओं का चारागाह और कचराखाना बन गया। अगर पंचायत प्रतिनिधि व जिला प्रशासन इस पर ध्यान देती तो ऐसी स्थिति नहीं होती।

क्या कहते हैं यहां के निवासी :

  1. ई ब्लॉक के मनोज सिंह ने कहा कि झारखंड मोड़ दुर्गा मंदिर का मैदान दिनों दिन सिकुड़ता जा रहा है। साथ ही मैदान का समतलीकरण नही होने से हम लोगों को टहलने और बच्चो को खेलने में परेशानी होती है।
  2. झारखंड मोड़ के विशाल सिन्हा ने बताया कि बच्चे आज मोबाइल गेम और टीवी चैनलों में खोये रहते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि बच्चों के खेलने लायक मैदान नहीं है। आखिर बच्चे खेलेंगे कहां? मैदान के सुदृढ़ीकरण को लेकर प्रशासन द्वारा कोई प्रयास नहीं की जा रही है।
  3. डी ब्लॉक के दिनेश यादव ने कहा कि सुबह टहलने और बच्चों को खेलने का साधन खत्म हो रहा है। बच्चों के लिए मैदान खेलने लायक बचा नहीं है। मैदान में शराब की बोतलें टूटी हुई बिखरी रहती है। मैदान के रख रखाव को लेकर न तो बिटीए प्रबंधक और न ही नगर निगम गंभीर है।
  4. ई ब्लॉक सेक्टर तीन की सीता राणा ने बताया कि हम महिलाएं जब भी मैदान में टहलने के लिए जाते हैं, जहां सुबह-सुबह शराब की टूटी बोतलें हमारा स्वागत करती है।
  5. ए ब्लॉक के गंगा बाल्मीकि का कहना है कि मैदान अब कचड़ा फेंकने का जगह बन गया है। बच्चों के खेलने की जगह अब बची ही नहीं है। एमपीआइ मैदान, थाना मैदान हो या डी ब्लॉक का हॉस्पिटल मैदान सभी जगह कचड़ा फेकने से मैदान अब खेलने या टहलने लायक नही बचा है। शाम होते ही सभी मैदान में शराबियों का कब्जा हो जाता है, जिसके कारण मैदान का अस्तित्व खत्म होने को है।
  6. सी ब्लॉक की मधुमती सिंह ने कहा कि बच्चों को पढ़ाई के साथ शारीरिक श्रम जैसे बाहरी खेल की जरुरत है। मगर भूली में एक भी ढंग का मैदान नही है, जहां बच्चे खेल सके। इससे बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

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