की मुश्किल रे बाबा! इस बार 'जमाई सष्ठी' का दावत व उपहार लॉक, वीडियो कॉल से सासु मां देंगी आशीर्वाद Dhanbad News
गुरुवार को जमाई सष्ठी है। बंग समुदाय के लोग इसे जश्न की तरह मनाते हैं। इस दिन दामाद को घर बुलाकर पूरे विधि विधान के साथ लजीज व्यंजन परोसे जाते हैं और महंगे उपहार भी दिए जाते हैं।
धनबाद, जेएनएन। की मुश्किल रे बाबा! ए बार सोसुर बारी जेते पारलाम ना...। जी हां, लॉकडाउन ने जमाई यानी दामादों की परेशानी बढ़ा दी है। गुरुवार को जमाई सष्ठी है और बंग समुदाय के लिए यह किसी बड़े जश्न से कम नहीं है। जमाई सस्ती ऐसा दिन है जब दामाद को घर बुलाकर पूरे विधि विधान के साथ उन्हें लजीज व्यंजन परोसे जाते हैं और महंगे-महंगे उपहार भी दिए जाते हैं। पर इस बार लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण की वजह से इस पर ब्रेक लग गया है।
दामाद को ससुराल बुलाने के बजाए सासु मां अपने जमाई को वीडियो कॉल पर आशीर्वाद देंगी। सारे पारंपरिक अनुष्ठान भी वीडियो कॉल से ही होंगे। यानी न जेब गर्म होगी, न गिफ्ट मिलेंगे और न ही दावत उड़ाने का मौका। रेलकर्मी एनके खवास का ससुराल पुरुलिया के रघुनाथपुर में है। शादी के बाद से लगभग हर साल खातिरदारी के लिए पत्नी के साथ ससुराल पहुंचते थे। इस बार कारानो वायरस को लेकर ससुराल जाना नहीं हो सकेगा। पिछले साल ससुराल में गुजारे वक्त को याद करते हुए खवास कहते हैं कि इस बार वीडियो कॉल से काम चलाएंगे।
लॉकडाउन में यहीं रह गयी थीं सास, अपने घर पर ही मनाएंगे : हीरापुर के बैंक कर्मचारी पुलक घोष इस मामले में काफी खुशकिस्मत हैं। उनका ससुराल कोलकाता में है। उनकी सास मार्च में बेटी दामाद से मिलने धनबाद आई थी, जो लॉकडाउन के कारण यहीं फंस गई हैं। पुलक घोष ने बताया कि उनकी सास उनके साथ उनके घर पर ही है, इसलिए जमाई सष्ठी सेलिब्रेट करने का अवसर मिलेगा। हालांकि, पुलक का मानना है कि इस त्योहार का असली मजा तो सुसराल में ही है, लेकिन सासु मां भी यहीं है और कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन के कारण अभी कहीं आना-जाना भी ठीक नहीं है।
जमाई को लंबी उम्र का आशीर्वाद देती हैं सास : जमाई सष्ठी बंगाली समाज के महत्वपूर्ण पर्व में शुमार है। इस दिन बेटी-जमाई को घर बुलाया जाता है। दूब घास, पांच किस्म के फल, चंदन के साथ जमाई की आरती उतारी जाती है। जमाई अपनी सास का पांव छूकर कर आशीर्वाद लेते हैं। सास दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती हैं। जमाई को वेज और नॉनवेज भोजन के साथ मौसमी फल और मिठाई खिलाने का रिवाज है। उपहार और पैसे भी दिए जाते हैं। जमाई भी अपनी क्षमता के अनुसार सास को साड़ी भेंट करते हैं।
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