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    अब 'कोल नीर' से प्यास बुझाएंगे कोयलाकर्मी, कोल इंडिया की इस कंपनी में खदानों के पानी का होगा उपयोग

    महाराष्ट्र में वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों के पानी को पेयजल बनाया जा रहा है। यहां प्रयोग सफल रहा है। अब अन्य इकाइयों में भी इसकी शुरुआत होगी। पहले चरण में कतरास और लोदना एरिया में दो आरओ प्लांट लगेंगे।

    By MritunjayEdited By: Updated: Mon, 13 Dec 2021 12:22 PM (IST)
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    खदान के पानी का पीने में होगा उपयोग ( प्रतीकात्मक फोटो)।

    आशीष अंबष्ठ, धनबाद। कोयला खदानों से निकलने वाले पानी का सदुपयोग होगा। कोल इंडिया प्रबंधन ने इसकी रूपरेखा बना ली है। कंपनी सीएसआर मद से हर एरिया, परियोजना व ग्रामीण क्षेत्रों में आरओ प्लांट लगाएगी। इनके माध्यम से खदान का पानी (कोल नीर) कोयला कर्मियों को दिया जाएगा। पहले कोयला खदान में काम करने वाले कर्मियों को दो लीटर की पानी की बोतल दी जाती थी। उसी तर्ज पर कोल नीर देने की व्यवस्था हो रही है। कोयला खदानों के पानी को फिल्टर कर पीने के लायक बनाया जा सकता है।

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    महाराष्ट्र में वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों के पानी को पेयजल बनाया जा रहा है। यहां प्रयोग सफल रहा है। अब अन्य इकाइयों में भी इसकी शुरुआत होगी। पहले चरण में कतरास और लोदना एरिया में दो आरओ प्लांट लगेंगे। इसमें एक करोड़ खर्च होंगे। एक हजार लीटर पानी प्रति घंटे फिल्टर होगा। दूसरे चरण में सिजुआ, बस्ताकोला, कुसुंडा, कोयला नगर, जगजीवन नगर और चांच विक्टोरिया में आरओ प्लांट लगेगा।

    खदानों से निकलता है 6164 क्यूबिक मीटर पानी

    हर साल कोल इंडिया की खदानों से 6164 क्यूबिक मीटर पानी निकलता है। इसका करीब 40 प्रतिशत उपयोग हो रहा है। कोल इंडिया की 314 खदानों में काफी पानी है। इसका ङ्क्षसचाई व पीने में उपयोग हो सकता है।

    कतरास और लोदना में आरओ प्लांट लगाने की योजना तैयार है। बोर्ड से आदेश मिलते ही काम शुरू होगा।

    -बी घोष, जीएम, सिविल