Hemant Soren Cabinet: फौजदारी बाबा की कृपा से मंत्री बने बादल, जिस गांव में शाम ढलती वहीं लेते पनाह
विधायक बादल की बाबा बासुकीनाथ के प्रति आस्था जगजाहिर है।वर्ष 2014 एवं वर्ष 2019 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में मतगणना के दिन पूरे दिन बासुकीनाथ दरब ...और पढ़ें

बासुकीनाथ [ रूपेश झा लाली ]। हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में कांग्रेस कोटे से शामिल होने वाले मंत्री बादल पत्रलेख बाबा बासुकीनाथ के अनन्य भक्त हैं। बाबा बासुकीनाथ जिन्हें फौजदारी बाबा भी कहते हैं, उन्हीं की कृपा से बादल पत्रलेख मंत्री बने हैं। इस कृपा भाव को बादल भी खुलेआम स्वीकार करते हैं।
बादल पत्रलेख झारखंड के जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए हैं। जरमुंडी क्षेत्र में ही बाबा बासुकीनाथ का मंदिर है। झारखंड की उपराजधानी दुमका से करीब 24 किलोमीटर दूर दुमका-देवघर मुख्य मार्ग पर स्थित बाबा बासुकीनाथ की कीर्ति देश-विदेश तक फैली हुई है। बाबा बासुकीनाथ के प्रति आस्था रखने वाले इन्हें फौजदारी बाबा के नाम से भी पुकारते हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई सभी मुरादें बाबा भोलेनाथ पूरा करते हैं। कुछ ऐसे ही कृपा बादल पत्रलेख पर भोले बाबा की है। उन्हें इस बार मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। बादल पत्रलेख को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने से क्षेत्र में खुशी एवं हर्ष की लहर फैली हुई है। यहां बता दें कि मूल रूप से जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र के सारवां प्रखंड अंतर्गत कुशमाहा गांव निवासी हरिशंकर पत्रलेख के अग्रज पुत्र बादल पत्रलेख करीब 15 वर्ष पूर्व घर परिवार छोड़ पूरे क्षेत्र को ही अपना घर बना लिया है। वह अपने घर में न रहकर विधानसभा क्षेत्र में भ्रमण करते हैं। जिस गांव में शाम हो गई वहीं रात्रि प्रवास करते हैं। अपनी सहजता, सरलता और विनम्र स्वभाव के लिए विधायक बादल पत्रलेख जाने जाते हैं।
मतगणना के दिन बाबा बासुकीनाथ मंदिर में देते धरना
विधायक बादल की बाबा बासुकीनाथ के प्रति आस्था जगजाहिर है। उन्होंने वर्ष 2014 एवं वर्ष 2019 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में मतगणना के दिन पूरे दिन बासुकीनाथ दरबार में धरने पर बैठ गए। मतगणना के उतार-चढ़ाव चुनावी कयासों से दूर बाबा बासुकीनाथ के दरबार में शांति से बैठकर बाबा का ध्यान करते रहे। एक महीने पूर्व संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में मतगणना के दिन भी पूरे दिन वह घर बासुकीनाथ मंदिर परिसर एवं गर्भगृह में ही डटे रहे। चुनाव में जीत की सूचना मिलने के बावजूद भी गर्भगृह डटे रहे एवं दोपहर की श्रृंगार पूजा संपन्न होने एवं गर्भगृह बंद होने के उपरांत ही वह बाहर निकले थे।
बादल की राजनीतिक संघर्ष गाथा
छात्र जीवन से ही समाजसेवा में गहरी अभिरुचि रखने वाले बादल ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई लिखाई गांव से ही शुरुआत की। दिल्ली में पठन-पाठन के दौरान भी छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रहे। बादल पत्रलेख ने वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी पहली बार चुनाव लड़ा। लेकिन किस्मत ने उन्हें साथ नहीं दिया। दूसरी बार वर्ष 2014 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बादल ने झामुमो प्रत्याशी सह पूर्व मंत्री हरिनारायाण राय को हराया और विधायक बने। वर्ष 2019 के चुनाव में पुनः बादल ने दूसरी बार जीत दर्ज की। इस बार उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली।
वह बचपन से ही सबों के लिए मददगार रहे। दिल्ली में पढ़ाई के दौरान घर से खर्च के लिए भेजे गए रुपयों से वे किसी जरूरतमंद की मदद कर देते थे। कई बार घर से भेजे गए रुपयों से उसने एम्स में क्षेत्र के लोगों की इलाज में मदद कर दी।
-हरिशंकर पत्रलेख, विधायक बादल के पिताजी
भाई ने जनसेवा को ही अपना एकमात्र लक्ष्य बनाया। काफी पहले से ही घर से निकल गए। कहते हैं कि पूरा क्षेत्र ही उनका घर है। वे क्षेत्रवासियों को ही मां-बहन, भाई-बंधु मानते है। अपने भाई पर गर्व है।
-विक्रम पत्रलेख, विधायक बादल के छोटे भाई

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