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    Deoghar: बाबा धाम में परंपराओं का कीर्तन मंडली कर रही न‍िर्वाह

    By Atul SinghEdited By:
    Updated: Fri, 12 Nov 2021 04:26 PM (IST)

    शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक चलने वाले प्रभातफेरी कीर्तन का 18 नवंबर को किया जाएगा समापन इस दौरान प्रतिदिन प्रातः 400 बजे से बाबा बैद्यनाथ धाम के कीर्तन मंडलियों द्वारा प्रभात फेरी का मांस व्यापी कीर्तन किया जा रहा है।

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    शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक चलने वाले प्रभातफेरी कीर्तन का 18 नवंबर को किया जाएगा। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

    संवाद सहयोगी, देवघर: शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक चलने वाले प्रभातफेरी कीर्तन का 18 नवंबर को किया जाएगा समापन इस दौरान प्रतिदिन प्रातः 4:00 बजे से बाबा बैद्यनाथ धाम के कीर्तन मंडलियों द्वारा प्रभात फेरी का मास व्यापी कीर्तन किया जा रहा है। जिसमें कीर्तन मंडलियों द्वारा अपने अपने स्थान से निकल कर कीर्तन करते हुए नगर के चारों ओर भ्रमण करते हुए हरे कृष्णा हरे रामा हरि बोल का कीर्तन करते हुए बाबा मंदिर प्रांगण में पहुंचते हैं। और वहां से अपने अपने स्थान पर प्रभात फेरी समाप्त करते हैं यह सिलसिला पूरे महीना चलता रहता है कुल 6 कीर्तन मंडली है मगर इस में चार कीर्तन मंडली ही भाग लेती है जो बम बम बाबा कीर्तन मंडली मसानी कीर्तन मंडली बैजनाथ कीर्तन मंडली, गोपाल कीर्तन मंडली के द्वारा यह प्रभात फेरी का आयोजन बड़ी उत्साह पूर्वक किया जा रहा है।

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      इस बार कीर्तन मंडलियों द्वारा कोरोना को देखते हुए माक्स एवं शारीरिक दूरी के साथ प्रभातफेरी निकाला जा रहा है वही श्याम कीर्तन मंडली बाल आनंद आश्रम जगतबंधु आश्रम लीला आश्रम पगला बाबा आश्रम एवं रिखिया स्थित योगा आश्रम सत्संग आश्रम आदि स्थानों में कार्तिक महा से पूरे 1 महीने तक मास व्यापी कीर्तन का आयोजन परंपरा के अनुसार किया जा रहा है। यह परंपरा बंगाल से शुरू की गई थी जिसमें गौर निताई जैसे भक्त भगवान के कीर्तन करके मुक्ति का सरल मार्ग बताया था बंगाल क्षेत्र में बाऊल एवं कीर्तन का एक दौर शुरू हुआ जो बंगाल क्षेत्र के प्रभाव में रहने के कारण बाबा धाम में भी यह परंपरा शुरू हो गई। जिसकी शुरुआत लक्ष्मीपुर चौक स्थित नाड़ी बैठकी से शुरू की गई जहां पर सिर्फ बांग्ला भजन का ही प्रचलन था। मगर धीरे-धीरे यह परंपरा कला का रूप लेते हुए विभिन्न भाषाओं में बाबा मंदिर प्रांगण में वैशाख माह में पूरे महा मास व्यापी कीर्तन का आयोजन किया जाने लगा। जहां पर बांग्ला पाला बंदी बाउल एवं भोजपुरी और लोक भजन हिंदी मैथिली आदि भाषाओं में भजन का प्रचलन शुरू हो गया जो आज बड़े ही उत्साह के साथ सभी भजन मंडलियों के द्वारा पूरे साल अपने बैठकी पर भजन कीर्तन सुबह शाम करते हैं। इसके साथ ही साल के 2 महीने बाबा मंदिर प्रांगण में भजन-कीर्तन करते हैं और इस भजन को लेकर लोग वैशाख माह का इंतजार बड़ी ही बेसब्री से करते हैं। दूर-दूर से लोग कीर्तन सुनने के लिए बाबा मंदिर प्रांगण में आते थे और आज भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

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