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    अपडेट हो जाइए, बाबा बैद्यनाथ की कृपा से देवघर की बन रही ये पांच खास पहचान

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Wed, 09 Mar 2022 02:28 PM (IST)

    Baba Baidyanath Dham Deoghar देश-दुनिया में देवघर की पहचान बाबा बैद्यनाथ मंदिर को लेकर होती रही है। अब बाबा मंदिर के अलावा भी नई पहचान बन रही है। यहां एम्स चालू हुआ। इसके बाद इलाज के लिए झारखंड के साथ ही बिहार और पश्चिम बंगाल के लोग आ रहे हैं।

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    बाबा बैद्यनाथधाम मंदिर देवघर में स्थापित द्वादश ज्योतिर्लिंग ( फोटो जागरण)।

    आरसी सिन्हा, देवघर। झारखंड का देवघर (Deoghar) । जब भी देवघर का नाम आता है तो लोगों के मन में बाबा बैद्यनाथ का मंदिर ( Baba Baidyanath Temple Deoghar आता है। इस मंदिर में द्वादश ज्योतिर्लिंग है। यहां पूजा करने के लिए हर साल देश-दुनिया से करोड़ों की संख्या में लोग आते हैं। इस शहर की पहचान बाबा बैद्यनाथ मंदिर के कारण ही होती है। अब बाबा बैद्यनाथ की कृपा से देवघर शहर की पहचान बदल रही है। यहां बाबा मंदिर में पूजा करने से इतर दूसरे काम से भी झारखंड के साथ ही पड़ोसी राज्य बिहार और पश्चिम बंगाल से बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। आने वाले दिनों में विदेश से भी यहां आने वालों की संख्या में वृद्धि होगी। आइए, जानते हैं बदलते दाैर में बाबा बैद्यनाथधाम देवघर की पांच नई खास खास पहचान। 

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    1. AIIMC Deoghar स्वस्थ समाज की कल्पना को साकार करने में झारखंड के देवघर में स्थापित एम्स मील का पत्थर साबित हो रहा है। संताल परगना जैसे पिछड़े इलाके के साथ साथ बंगाल और बिहार के लोगों को 26 अगस्त, 2021 से ओपीडी में चिकित्सीय सुविधा मिल रही है। 400 से अधिक मरीज देखे जा रहे हैं। अब तक 50 हजार से अधिक मरीज को ओपीडी से लाभ मिल चुका है। 2022 में 750 बेड का स्वीकृत अस्पताल जब शुरू होगा तब ओपीडी में मरीजों को देखने की संख्या भी बढ़ेगी। और आइपीडी (इंडोर पेसेंट डिपार्टमेंट) शुरू हो जाएगा। तब मरीजों को देखने के साथ उनको भर्ती किया जाने लगेगा। 750 बेड की सुविधा तो साल के अंत तक हो सकती है। फिलहाल मार्च या अप्रैल से तत्काल 300 बेड पर मरीजों की भर्ती शुरू करने में एम्स प्रबंधन सक्षम हो जाएगा। 1103 करोड़ की लागत से 237 एकड़ भू खंड पर एम्स देवघर में 2022 तक स्वीकृत निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। पूरा होते ही कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एम्स देवघर में आइपीडी (इंडोर पेसेंट डिपार्टमेंट) का उदघाटन कर सकते हैं। एमबीबीएस की 100 सीट स्वीकृत है। 2021-22 में तीसरा बैच का नामांकन शुरू हो रहा है। एमबीबीएस में दो बैच का सत्र चल रहा है। पहला बैच में 50 दूसरे बैच में 62 और तीसरा बैच में पूरे स्वीकृत सीट पर नामांकन हो रहा है। 60 सीट बीएससी नर्सिंग का भी स्वीकृत है। एम्स से देवघर की नई पहचान बनी है।

     

  • Deoghar International Airport बाबा बैद्यनाथ की पूजा करने के लिए देवघर में देश व विदेश के लोगों का आना होता है। इसके मद्देनजर देवघर में इंटरनेशल हवाईअड्डा का निर्माण हो रहा है। यह देवघर को बदलने के लिए एक नायाब तोहफा है। बहुत जल्द ही हवाईअड्डा से हवाई सेवा शुरू करने की तैयारी है। इसके चालू होने से धनबाद, गिरिडीह, बिहार का अंग प्रदेश का सीधा नाता देवघर से हो जाएगा। क्योंकि देवघर एयरपोर्ट से उड़ान भरने का अरमान पूरा होने वाला है। उदघाटन की घोषणा जल्द हो सकती है। 2500 मीटर के रन वे पर 320 एयर बस उड़ान भरने वाली है। घरेलू विमान के उड़ान के बाद यह इंटरनेशन एयरपोर्ट में जल्द ही परिणत हो जाएगा। रन वे का सफल ट्रायल अगस्त में ही हो चुका है। एयर ट्रैफिक कंट्रोल जो एयरपोर्ट के आपरेशन में अहम होता है, उसका ट्रायल रन हो गया है। तीन एयरवेज स्पाइ जेट, इंडिगो और एयर एलायंस सेवा देगी। घरेलू सेवा शुरू होगी, बाद में एयर बस 320 भी उड़ान भरेगी। अभी सभी विमान दिन में उड़ान भरेंगे बाद में रात्रि सेवा भी शुरू होगी। इंडिगो, स्पाइस जेट से बातचीत हुई है। डीजीसीए जल्द ही लाइसेंस देने की प्रकि्रया पूरा करेगा। एयरपोर्ट के टर्मिनल बिल्डिंग पर देवघर और झारखंड की पहचान बाबा बैद्यनाथ मंदिर की प्रति आकृति उकेरी गयी है। इस पर ब्रास से पंचशूल बनाया गया है। जो बहुत की सुंदर और आकर्षक है।

  • Deoghar Plastic Park देवीपुर औद्योगिक क्षेत्र में देश का पांचवां डेडिकेटेड प्लास्टिक पार्क बन रहा है। 75 प्रतिशित इंफ्रास्ट्रक्चर कार्य पूर्ण हो चुके हैं जिसमें बाउंड्री, एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग, रोड, सिवरेज, स्ट्रीट लाइट, लॉजिस्टिक, वेयरहाउस, लेबर शेल्टर्स, पावर स्टेशन आदि की प्लग एंड प्ले सुविधा बहाल की जा रही है। यहां तीन श्रेणियों माइक्रो, लघु और मध्यम को मिलाकर 100 प्लाट का आवंटन होगा जिसमें प्लास्टिक एवं प्लास्टिक निर्मित सामानों के निर्माण की 100 इकाइयां अगले 2 से 3 वर्षों में लगने की संभावना है। इन उद्योगों में कम से कम पांच हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। देवघर में ही जसीडीह और देवीपुर में दो बड़े औद्योगिक क्षेत्र हैं। जसीडीह में फर्टीलाइजर एवं पेस्टिसाइड की बड़ी इकाइयां कार्यरत हैं और अभी हाल में ही इफको के सागरिका ब्रांड का उत्पादन शुरू हुआ है।

  • Peda got international recognition केंद्र सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने अपने विशेष स्वाद के लिए प्रसिद्ध देवघर के पेड़े की बाबाधाम पेड़ा के नाम से ब्रान्डिंग करने व इसके निर्यात को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। मंत्रालय के अधीन कार्यरत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने इस दिशा में प्रयास तेज कर दिया है। 15 अप्रैल, 2022 को निर्यात की ट्रायल लांचिंग लगभग तय है। दिल्ली में 22 से 26 अप्रैल तक आयोजित आधार फूड फेस्टिवल में देवघर पेड़ा का स्टाल लगाकर इसका प्रचार प्रसार भी किया जाएगा। दो सदस्यीय सोसायटी दिल्ली में इसका प्रतिनिधित्व करेंगे। मेधा डेयरी को भी निर्यात में पहचान दिलाया जाएगा। दो दिन में पेड़ा के जियो टैगिंग की प्रक्रिया पूरी हो रही है। निबंधन के बाद इसके लिए आवेदन दिया जाएगा। जियो टैगिंग से देवघर पेड़ा की दुनियां में अपनी पहचान हो जाएगी। चैंबर आफ कामर्स, जिला प्रशासन, पेड़ा व्यवसायी इस दिशा में संयुक्त प्रयास है। एपीडा के पूर्वी क्षेत्र इंचार्ज ने कहा है कि भारत सरकार की मंशा है कि देवघर के पेड़ा को राष्ट्रीय और अंतर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलायी जाए। जिस तरह मथुरा का पेड़ा कोलकाता के निर्यातक के माध्यम से दुबई भेजा रहा है। इसी तरह देवघर के पेड़ा का निर्यात किया जाएगा।

  • Ramakrishna Mission Vidyapeeth भारत की वैभवता की आभा का आकलन और भारतीय सभ्यता व संस्कृति का ताना बाना शिकागो के धर्म सम्मेलन से दुनियां को बताने वाले स्वामी विवेकानंद के आदर्श का दीपक झारखंड के देवघर में स्थापित रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ जला रहा है। रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ स्वामी विवेकानंद का मनुष्य निर्माण और चरित्र निर्माण की शिक्षा को आधारभूत रूप देने का प्रयास कर रहा है। और इस प्रयास का 2022 शताब्दी वर्ष है। एक पेड़ के नीचे चंद बच्चों को शिक्षा देने का काम शुरू हुआ था। 19 जनवरी 1926 को रामकृष्ण मिशन संघ के अध्यक्ष ने सरस्वती पूजा के दिन संस्थान का शुभारंभ किया था। परंतु मानव निर्माण का संकल्प लेकर शिक्षा की ज्योति 1922 में कुछ छात्रों को लेकर मिहिजाम में शुरू कर दी गयी थी। 1923 में मिहिजाम छोड़कर रोहिणी में शिक्षा दी जाने लगी। और अंत में देवघर में रामकृष्ण मिशन की स्थापना हो गयी। स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा था कि विद्यापीठ का भविष्य काफी उज्ज्वल है। वास्तव में जिस मंशा को लेकर इस राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थान ने कदम बढ़ाया वह अतुलनीय है। रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ भारत के गौरवशाली गुरू-शिष्य परंपरा और गुरूकुल का जीवंत दर्शन है। आपको कभी भी यहां आने का अवसर मिले तो जरूर जाएं।