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    Dhanbad News: गरीबी के कारण टूटा तीरंताज बनने का सपना, मंत्री की अनुशंसा के बाद भी नहीं मिली मदद

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 10:42 AM (IST)

    धनबाद के तिसरा की तनीषा और सिमरन तीरंदाजी में ऊंचाइयां छूना चाहती हैं। पिता शिवकुमार भुइयां चाय की दुकान चलाते हैं पर बेटियों के सपनों को पूरा करने में जुटे हैं। सिमरन ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है तनीषा भी राज्य स्तर पर खेल चुकी है। आधुनिक धनुष के अभाव में उनकी प्रतिभा दब रही है। खेल मंत्री से गुहार के बाद भी मदद नहीं मिली

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    तनीषा कुमारी और सिमरन कुमारी। फोटो जागरण

    विकास कुमार, तिसरा। कहते है मेहनत के साथ इरादे मजबूर हो और चाहत सफलता की ऊंचाई छूना चाहे तो हर कायनात उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने में जुट जाती है। ऐसी ही कहानी दोबारी बस्ती की दो बहनों की है।

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    दो बहनों के पिता शिवकुमार भुइयां ने अपने जिन आंखों ने तीरंदाजी का सपना देखा उन सपनों को साकार करने के लिए उनकी दोनों बेटियां अब उड़ान भर रही है। 13 वर्षीय तनीषा कुमारी व नौ वर्षीय सिमरन कुमारी विश्व चैंपियनशिप रहे दीपिका कुमारी को अपना आइडल मानती है।

    तनीषा राज्य स्तर पर खेल चुकी है। वही नौ वर्षीय सिमरन वर्ष 2023 में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी है।

    पूर्व खेल मंत्री के साथ सिमरन व तनीषा

    पूर्व खेल मंत्री के साथ सिमरन व तनीषा

    सिमरन और तनीषा कई बार जिला व राज्य स्तर पर भी अपना परचम लहरा चुकी है, लेकिन आधुनिक धनुष नहीं होने के कारण अब इनका प्रतिभा धीरे-धीरे साथ छोड़ता जा रहा है।

    सिमरन और तनीषा के पिता एक चाय की दुकान चलाते हैं। उसी दुकान से अपना परिवार का भरण पोषण करता है। दोनों बेटियों को तीरंदाजी भी सीखा रहे है। धनुष पुराना हो चुका है और नए धनुष के लिए शिवकुमार अपने दोनों बेटियों के साथ पूर्व में जिले के अधिकारी से लेकर खेल मंत्री तक गुहार लगाया चुके है।

    पूर्व खेल मंत्री हाफिजुल हुसैन ने वर्ष 2023 में खेल डायरेक्टर को आधुनिक धनुष के लिए अनुशंसा भी की, लेकिन यह अनुशंसा महज कागज में ही सिमट के रह गई। आज भी सिमरन व तनीषा अपने पुराने धनुष से ही अभ्यास कर रही हैं।

    तनीषा व सिमरन की मां रचना देवी गृहिणी है। दोनों भाई अभी छोटा है वह पढ़ाई कर रहे है। तनीषा व सिमरन इंडियन पब्लिक स्कूल में पढ़ाई कर रही है। उनकी प्रतिभा व घर के माली स्थिति को देख स्कूल निशुल्क शिक्षा दे रहा है।

    धनुष की कमी बन रहा है सफलता में बाधक

    तनीषा और सिमरन के पास आधुनिक धनुष नहीं है। प्रत्येक दिन तनीषा और सिमरन 12 किलोमीटर की सफर तय करके अभ्यास करने अपने घर से टाटा के जामाडोबा ग्राउंड जाती है। जहां आर्चरी के कोच मो. शमशाद उन्हें प्रशिक्षण देते हैं।

    राष्ट्रीय स्तर के खेल में किराए के धनुष से सिमरन वर्ष 2023 में गोल्ड मेडल दिलाकर राज्य का नाम रौशन की। घर की स्थिति अब धनुष का किराया देने का भी नहीं है। आधुनिक तकनीक का धनुष नहीं होने के कारण वर्ष 2025 के मार्च माह में आयोजित आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिता के क्वार्टर फाइनल में सिमरन खेल से बाहर हो गईं।

    सिमरन के पिता ने कहा कि बेटी को आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन मदद कोई नहीं कर रहा। अधिकारी, विधायक से लेकर मंत्री तक सब से मिले गुहार लगाए, लेकिन सब ने सिर्फ आश्वासन ही दिया। आज चाय के दुकान के सहारे परिवार का भरण पोषण के साथ-साथ बेटी का तीरंदाजी भी करवा रहे हैं। लेकिन हिम्मत अब जवाब दे रहा है।

    दोनों लड़कियों में तीरंदाजी के प्रति लगन है। प्रत्येक दिन अपने पिता के साथ अभ्यास के लिए ग्राउंड आती है। आर्चरी एक महंगा खेल है। सरकारी सहयोग मिले तो सिमरन देश को मेडल दिला सकती है।

    -मो. शमशाद, कोच, आर्चरी

    हमारे पास दोनों लड़कियों के पिता आए थे। इस वर्ष के मार्च माह में निदेशालय को फार्म भेज दिया गया है।जरूरत को देखते हुए निदेशालय के कमेटी तय करेगी कि कब देना है और किसको देना है। -उमेश लोहार, जिला खेल पदाधिकारी