बसंत पंचमी में मां सरस्वती के साथ साथ माता लक्ष्मी व माता पार्वती की भी होती है यहां पूजा
पूर्वी टुंडी- प्रखंड के बलारडीह गांव में सैकड़ों वर्षों से सरस्वती पूजा के अवसर पर मां सरस्वती के साथ साथ मां के तीन रूपों की होती है पूजा। बलारडीह गांव के ग्रामीण निमाई मंडल बताते हैं सरस्वती पूजा क्षेत्र भर के पूजाओं में विशेष महत्व रखता है।

धनबाद, जेएनएन: पूर्वी टुंडी- प्रखंड के पूर्वी टुंडी- प्रखंड के बलारडीह गांव में सैकड़ों वर्षों से सरस्वती पूजा के अवसर पर मां सरस्वती के साथ साथ मां के तीन रूपों की होती है पूजा। बलारडीह गांव के ग्रामीण निमाई मंडल बताते हैं सरस्वती पूजा क्षेत्र भर के पूजाओं में विशेष महत्व रखता है। । बलारडीह गांव के ग्रामीण निमाई मंडल बताते हैं कि गांव में होने वाला सरस्वती पूजा क्षेत्र भर के पूजाओं में विशेष महत्व रखता है और यहां के मंदिर में पूर्वजों के समय से सैकड़ों वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा होती आ रही है।
निमाई मंडल चौथी पीढ़ी के सदस्य हैं यहां पर पूजा के लिए बनाई जाने वाली प्रतिमा बाकी स्थानों की प्रतिमाओं से काफी भिन्न होती है यहां पूजा अर्चना के लिए बेदी पर मां सरस्वती के साथ साथ माता लक्ष्मी एवं माता पार्वती की भी प्रतिमा पूजा के लिए स्थापित की जाती है और एक साथ माता के तीनों रूपों की पूजा अर्चना की जाती है।
मान्यता है कि विधि विधान से माता के तीनों रूपों के पूजा अर्चना से समाज में समृद्धि और खुशहाली के साथ शक्ति प्राप्त होती है। यहां के प्रतिमा पूजा के लिए ब्राह्मण देवता के द्वारा गांव के ही तालाब से कलश में शुद्ध जल मंत्रोच्चार के साथ भरकर लाया जाता है जिसके बाद देर शाम तक पूजा अर्चना की जाती है। यह सिलसिला वर्षों से होता आ रहा है।
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